माँ

सब रूठ सकते हैं लेकिन माँ नहीं रूठती है। सब थक जाते हैं लेकिन माँ थक कर भी नहीं थकती है। सब सो जाते हैं,…

घड़ी

वो घड़ी है कौन सी जिस घड़ी खुश रहते हो तुम, अब घड़ी की जगह मोबाइल ने ले ली हर घड़ी उसी में गुम रहते…

जाग जा

जाग जा नई रोशनी का आभास कर, प्रातः हो गई है, पौधों में चमकती ओस की बूंदें, बता रही हैं, किस तरह नींद में रोया…

धड़कनें

सामने देखकर हमें बढ़ जाती हैं धड़कनें जिनकी जीवन को सही दिशा में ले जाने को हमें जरुरत है उनकी। सामने देखकर हमें बढ़ जाती…

लौट आ घर

दूर चले गये राही आ अब लौट आ, कब तक रहेगा रूठा-रूठा तेरे बिना मैं भी तो रहता हूँ टूटा-टूटा। अपने दो बोल सुना जा…

गरिमा

यदि हम कवि हैं या स्वयं को कवि मानते हैं तो हमें उस भाषा की गरिमा रखनी ही होगी, जिस भाषा का हम स्वयं को…

New Report

Close