Abhishek kumar
तेरी मोहब्बत में
July 14, 2020 in शेर-ओ-शायरी
तेरी मोहब्बत में कुछ यूँ हुआ असर
एक-एक पल शताब्दियों सा लगता है।
स्पंदन
July 14, 2020 in शेर-ओ-शायरी
मेरे हृदय में तेरे नाम से कुछ यूँ स्पंदन होता है
मेरी आँखों से आँसू बहते हैं जब-जब तू रोता है।
असर
July 14, 2020 in शेर-ओ-शायरी
तुझसे धोखा खाकर प्यार में
कुछ यूँ असर हुआ मुझ पर
पीछे मुड़कर नहीं देखता हूँ मैं
जिसे छोड़ आया बस छोड़ आया।
अकेला
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
हकीकत कुछ इस तरह बयां हुई मेरे होठों से
मैं तुझसे मिलकर अकेला हो गया।
काव्य सौंदर्य:- विरोधाभास
तेरे प्यार में
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
तेरे प्यार में झरनों से बहता जा रहा हूँ मैं।
न जाने किस सागर की ओर जा रहा हूँ मैं।
उपमा अलंकार
बेशक खूबसूरत
July 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
बेशक तुम खूबसूरत हो
पर इतना बुरा मैं भी नहीं हूँ
जो तुम मुझे छोड़ कर चली गई
बस तुम्हारी कसम ने जिन्दा रखा है मुझे
वरना मैं यह नश्वर शरीर कब का छोड़ कर चला गया होता।
तुम्हारा इंतजार
July 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
मैने कोशिश बहुत की तुमको मनाने की
पर तुम मुझे छोड़ कर चली गई।
और बसा ली जाकर तुमने अपनी दुनिया
मेरे रकीबों के साथ।
मेरा दिल तोड़कर न जाने क्या मिल गया तुम्हें!
पर याद तो जरूर करती होगी तुम मुझे
जब-जब तुम्हारी आँखों में कोई आँसू लाता होगा।
मैं पागल कल भी तुम्हारा इंतजार करता था।
और आज भी तुम्हारा इंतजार करता हूँ।
उधार वाला वादा
July 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम्हें याद है वह उधार वाला वादा?
याद है तुम्हें एक कप चाय का वादा
जो तुमने किया था मुझसे कभी
और आज तक पूरा नहीं किया
मुझे भी याद है और तुम्हें भी याद है।
पर पता नहीं कब तुम मेरे वादे को
मुकम्मल करने आओगी
और मेरा उधार वाला वादा पूरा करोगी।
क्योंकि वह वादा आज भी उधार है।
रहना है तुम्हारे दिल में
July 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
डूब जाने दे मुझे अपनी
झरने- सी आँखों में
इन्हीं में है मेरी ख्वाहिशें
इन्हीं में है मेरी मोहब्बत
डूब जाने दे मुझे
अपनी झरने-सी आंखों में
मुझे देखना है
है क्या इनके पार एक और जन्नत
मुझे झांकना है इन्हीं में
और रहना है तुम्हारे दिल में।
मैं आज भी
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
मेरा प्रेम तुम्हारी स्मृतियों से कभी वंचित नहीं होता
मैं आज भी किसी और के ख्वाबों में नहीं खोता।
खिसक रहे थे जो सपने
July 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
उनकी आहटों पर फिर फिसला
मेरी तमन्नाओं का हार है
खिसक रहे थे जो सपनें
आज हाँथ में आया वही लम्हात है…..
प्रेम-पिपासु हूँ जी भर के
पिला दे साकी
टपक रही जो तेरे
होठों से शराब है…
बींद के इंतजार में
July 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
आज कुछ बदला- बदला मिज़ाज है
दिल भी बेताब है
सिसकियाँ भी खामोश हैं…..
लफ्जों में मिठास है
गूंजती जा रही है
गलियों में शहनाई
बींद के इन्तज़ार में…..
बीती जा रही है स्वर्ण रात्रि
गेसुओं की घनी छाँव के तले बैठी
मेरी ख्वाइशों भरी एक शाम है….
मोहब्बत का अंजाम
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
यही अंजाम होना था मेरी मोहब्बत का
जब पथ्थर से पसीजने की उम्मीद लगाये बैठे थे
खैरियत
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
कभी तो खैरियत पूछ लिया करो मेरी
क्या पता आज तुम्हारा हूँ,
कल किसी और का हो जाऊँ।
जो भी करना शिद्दत से
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
मुझे दोस्ती भी पसंद है
और दुश्मनी भी।
पर जो भी करना शिद्दत से करना,
क्योंकि मुझे हर काम में वफादारी पसंद है।
दरिया
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
है आज भी दरिया मेरे दिल में
तेरी मोहब्बत का,
तू जब चाहे डूब कर देख ले।
तुम मिटाती रहो सबूत
July 13, 2020 in मुक्तक
तुम मिटाती रहो मेरे प्यार के सबूत
मैं सबूत जुटाता रहूंगा।
तुम कितना भी मेरे ख्वाबों से बचना चाहो
मैं हर रात ख्वाबों में आता रहूंगा।
काश कुछ देर
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
काश! कुछ देर तू मेरे पास बैठता
मैं तेरी आँखों में डूब जाता।
तेरा नशा यूँ चढ़ता
मैं शराब तक भूल जाता।
काश कुछ देर
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
काश! कुछ देर तू मेरे पास बैठता
मैं तेरी आंखों में डूब जाता।
तेरा नशा यह चढ़ता
मैं शराब तक भूल जाता।
अधूरा रह गया मैं
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
अधूरा रह गया मैं तेरे ख्वाबों को पूरा करते-करते
कितना जी गया मैं तेरी आरजू करते-करते।
13-7
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
आज 13-7 है..
पर तेरा साथ कब मिलेगा मुझे?
यही खुदा से पूछता रहता हूँ मैं
चलो अब
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
मोहब्बत पूरी हुई
चलो अब जख्म गिनते हैं।
जो अरमान टूटे उन्हें फिर से बुनते हैं।
मोहब्बत
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
मिलने को तो दुनिया में कई चेहरे मिले…
पर तुम-सी मुहब्बत मैं खुद से भी ना कर पाया…
मैं
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
चला जाऊंगा जैसे खुद को अकेला छोड़कर..
मैं रात में उठकर यूँ खुद को देखता हूँ..
दौलत में अन्धा
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
धुन सुकून की और धमाके का धंधा…
मयस्सर खुशियाँ उसे
जो दौलत में अन्धा…
बादशाह
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
हर किसी की निगाहों में उठते-उठते
कई लोग दुनिया से उठ गए
हमने जब से छोड़ दी दुनिया की फिकर
अपने जहान के बादशाह बन गए।
काबिलियत
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
अंदाजे से नापिए किसी इंसान की काबिलियत को,
क्योंकि ठहरे हुए दरिया अक्सर गहरे होते हैं।
रात्रि को विराम
July 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
तेरी यादों को सलाम करता हूँ
और अब मैं रात्रि को विराम देता हूँ।
नींदे है छत पर सोई हुई,
मगर मैं अपनी आँखों को आराम देता हूँ।
चलो ठीक है अब तुम्हारी यादों को
अलविदा करता हूँ और
रात्रि को विराम देता हूँ।
ओझल हो चुकी हैं पलकें मगर
नींदों का कुछ भी पता नहीं,
तुम्हारी यादों को छोड़कर मैं पीछे
ख्वाबों को सलाम करता हूँ।
चलो ठीक है अब तुम्हारी यादों को
अलविदा करता हूँ और रात्रि को विराम देता हूँ।
सावन का उत्सव
July 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
इस काँच में कहाँ से आई दरारें?
उस रात जब जोर से आँधी आई थी
तब खिड़कियाँ आपस में गले थी।
और चीख-चीख कर
अपने मिलन की खुशी
प्रकट कर रही थी और
सावन के आगमन का
उत्सव मना रही थी।
शायद उसी रात, उसी बरसात में
इन खिड़कियों के काँच में आ गई थीं दरारें।
कलियों से सौंदर्य
July 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
बताओ ना! तुमने यह नूर कहाँ से पाया है?
फूलों से रंगत चुराई,
या फिर कलियों से नूर पाया है।
बताओ ना! तुमने यह नूर कहाँ से पाया है?
तितलियों से ली शरारत
या भंवरों से यह गुर पाया है।
बताओ ना! तुमने यह नूर कहाँ से पाया है?
शाखों से या पत्तियों से लचक पाई है
बताओ ना! तुम्हारे अंदर
यह अनुपम छटा कहाँ से आई है?
जो मेरी जान पर बन आई है।
बताओ ना! तुमने यह सौंदर्य कहाँ से पाया है?
फूलों से ली रंगत, या कलियों से नूर चुराया है।
बताओ ना तुमने यह सौंदर्य कहाँ से पाया है?
बूढ़ा बरगद
July 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम्हें याद है वह बूढ़ा बरगद?
जिसके तले हम सपने सँजोते थे
कल्पनाएं करते थे।
अपने भविष्य की अनगिनत
और एक दूसरे के कंधे पर
सर रखकर रो लेते थे।
तुम्हें याद है मेरे पास आना
मुझे देख कर शर्माना?
मेरे शरारत करने पर
मुझसे दूर भाग जाना।
तुम्हें याद है वह बूढ़ा बरगद?
जिसके तले हम शामें बिताते थे।
लोग कहते हैं
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
लोग कहते हैं बहुत बुरा हूँ मैं
क्योंकि मैं गलतियों को
अनदेखा नहीं करता।
नजर रहती है मेरी चप्पे-चप्पे पर
मैं अन्याय का पक्ष नहीं लेता।
पौरुष
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
नारी पर अत्याचार करना ही
पौरुष की निशानी नहीं है।
बल्कि हर कदम पर
नारी के साथ चलना
और उसके सम्मान को
सर्वोपरि रखना ही
पौरुष की निशानी है।
मैं बताऊंगा
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
तुझे तन्हाइयों से फुरसत
मिलेगी तो
मैं बताऊंगा
कि आईना में भी फर्क होता है।
चेहरा वही रहता है
बस उम्र ढल जाती है।
मैं दहलीज़
July 13, 2020 in शेर-ओ-शायरी
मैं दहलीज पार नहीं कर सकता
मगर तू तो आ सकती है मिलने
कोई बहाना लेकर
जैसे मिलते थे हम पहले
उसी तरह मिल जा तू
फिर से क्योंकि
बहुत वक्त हो गया तुझे देखे हुए
सावन में…
July 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
सावन की एक-एक बूंद
कैसा एहसास दिलाती है?
कोपलें भी फूटते लगती हैं….
पत्तियां नाचती हैं सावन में
और पुष्प आपस में
सौंदर्य की बातें करते हैं
सब मगन होते हैं सावन में….
जब बरसात होती है
और सभी के घर, गलियां
उपवन, बरसात में भीगते हैं….
मन मयूर-सा नाच उठता है
और गुनगुनाता है कोई-साज….
मेरा मन भी याद करता है
तुम्हारे साथ बिताए गए
पलों को सावन में….
मैं खो गया हूँ कहीं
July 12, 2020 in शेर-ओ-शायरी
मैं खो गया हूँ कहीं, दुनिया की चमक में।
रोता है ख्वाब मेरा, अध-खुली सी पलक में।।
मोहन
July 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
राधा ने प्रेम किया
मोहन को टूट कर,
फिर भी चले गए मोहन
राधा का दामन छोड़कर।
क्या प्रेम का यही अर्थ है!
क्यों विरह का
सामना करना पड़ता है?
क्यों वेदना की लौ में
मोहब्बत को तपना पड़ता है?
जिंदगी की आरजू
July 12, 2020 in शेर-ओ-शायरी
ज़िन्दगी की आरज़ू में मरते जा रहे हैं लोग,
हाय! कैसे-कैसे गुनाह करते जा रहे हैं लोग।
ज़िन्दगी की जंग
July 12, 2020 in शेर-ओ-शायरी
जीतना आसान नहीं है
ज़िन्दगी की जंग
यूँ ही,
रोज़ जलना पड़ता है
पतंगे की तरह।
बस यूँ ही
July 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
तेरे ज़िस्म के पन्ने
बस यूँ ही
पलटता हूँ
मैं तेरे चेहरे में
अपनी पहली
मोहब्बत
ढूंढ़ता हूँ,
तेरी रूह से कोई
वास्ता नहीं मेरा
तेरे इश्क को मैं
अपना मुकद्दर
समझता हूँ।
बस यूँ ही
July 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
तेरे ज़िस्म के पन्ने
बस यूँ ही
पलटता हूँ
मैं तेरे चेहरे में
अपनी पहली
मोहब्बत
ढूंढ़ता हूँ
तेरी रूह से कोई
वास्ता मेरा
तेरे इश्क को मैं
अपना मुकद्दर
समझता हूँ
हम स्कूल चलेंगे
July 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
शीर्षक:- ‘हम स्कूल चलेंगे’
हम स्कूल चलेंगे जहाँ हम खूब पढ़ेँगे,
सीखेंगे अच्छी बातें और पायेंगे ज्ञान,
पढ़ लिखकर हम बनेंगे अच्छे और महान,
हाँ, हम स्कूल चलेंगे जहाँ हम खूब पढ़ेंगे।
प्रार्थना सभा में मिल गाएंगे राष्ट्रीय गान,
सबको बतायेंगे कि है मेरा भारत देश महान,
हाँ, हम स्कूल चलेंगे जहाँ हम खूब पढ़ेंगे।
पढ़ेंगे हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत और विज्ञान,
पायेंगे गुरूजन से गणित का सारा ज्ञान,
हाँ, हम स्कूल चलेंगे जहाँ हम खूब पढ़ेंगे।
हम प्रेम और भाईचारे से रहना सीखेंगे,
भूल से भी आपस में न हम कभी लड़ेंगे,
हाँ, हम स्कूल चलेंगे जहाँ हम खूब पढ़ेंगे।
हाँ, हम स्कूल चलेंगे जहाँ हम खूब पढ़ेंगे।।
रचनाकार:-
अभिषेक शुक्ला (सहायक अध्यापक)
प्राथमिक विद्यालय लदपुरा
जिला- पीलीभीत
उत्तर प्रदेश
लेख:- आत्महत्या
July 12, 2020 in Other
शीर्षक:- “जीने का लें संकल्प, आत्महत्या नहीं है विकल्प”
आत्महत्या यानी खुद ही खुद की हत्या कर लेना।अपने आप ही अपने प्राण ले लेना अर्थात् आत्महत्या कर लेना उचित नहीं है।
आत्महत्या एक जघन्य अपराध है।ईश्वर के द्वारा दिये गये अनमोल जीवन की लीला समाप्त कर लेना, एक अनुचित कार्य है।
सभी के जीवन में ऐसी परिस्थितियाँ कभी न कभी अवश्य उत्पन्न हो जाती हैं, जब व्यक्ति को उन समस्याओं से निकलने का कोई भी मार्ग दिखायी नहीं देता।वह कुंठाग्रस्त होकर मानसिक तनाव भी सहन करता है।परन्तु तब उसका धैर्य व शिक्षा ही उसे जीवन का मार्ग दिखाते हैं।
वर्तमान आर्थिक युग में बहुत सी समस्यायें हमनें खुद भी तैयार कर ली है।पश्चिमी सभ्यता के अनुसरण, दिखावे के प्रचलन और झूठी प्रतिस्पर्धा के कारण हम नित नवीन समस्याओं में उलझ जाते हैं।
आज की जिन्दगी में कुछ भी स्थिर नहीं है।विश्वासघात, राजनीति और रिश्तों की अस्थिरता हमारे जीवन का अंग बन चुके हैं।कभी रोजगार में उच्च लक्ष्य प्राप्ति, ज्यादा मुनाफ़े की चाह भी हमें चिंताग्रस्त करती है।
कभी पारिवारिक कलह भी हमे बहुत कष्ट देती है।आज प्रत्येक व्यक्ति स्वंतंत्र रहना चाहता है तथा अपने हिसाब से अपना जीवन जीने की चाह रखता है।किसी का तनिक भी हस्तक्षेप उसे बर्दाश्त नहीं होता।
आज की शिक्षित युवा पीढ़ी स्वछन्द मानसिकता का अनुसरण करती है।उनमें मिथ्याभिमान असीमित है।माँ- बाप की डाट बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होती और वे तुरंत ही आत्महत्या का रास्ता अपना लेते हैं।
समाचार पत्रों में किसान, मजदूर या गरीब व्यक्ति की भूख व कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या करने की खबर छपती ही रहती है।जिन्हें पढ़कर हम दुखी होते हैं और उनके दर्द का एहसास करते हैं।
किन्तु अब तो
शिक्षित,उच्च पदों पर सुशोभित अधिकारी, खिलाड़ी और अभिनेता भी आत्महत्या कर रहे हैं।जिसका प्रमुख कारण अपनी क्षमता से उच्च लक्ष्य निर्धारण व दिखावे का अनुसरण माना जा सकता है।
विपरीत परिस्थितियों में हमेशा अपने से नीचे जीवन स्तर के व्यक्ति को देखें।वह कैसे जीवन जी रहा है।वह अगर खुश है तो आप भी खुश रह सकते हैं।जीवन में उतार-चढ़ाव लाजमी है।
यदि पारिवारिक कलह घोर समस्या के रूप में सामने आ जाये तो आप उस स्थान को छोड़कर अन्यत्र अपना नव जीवन प्रारंभ करे।यदि आत्महत्या का मन में विचार आये तो अपनी माँ को याद करें जिसने नौ महीने आपको कोख में रखा, सारे दर्द सहे तब आपको ईश्वर प्रदत्त यह अनमोल जीवन प्राप्त हुआ।
यदि आप अपनी आत्महत्या करते हैं तो आप स्वयं के साथ पूरे परिवार की हत्या कर देते हैं।आप के जाने के बाद आपके परिवार मे सिर्फ जिन्दा लाशें होती हैं।
आत्महत्या ही सभी समस्याओं का हल नहीं है।यह कायरता की निशानी है।जो व्यक्ति अपनी परिस्थितियों से सामना नहीं कर सकता, वह अपने परिवार व देश के लिये तो फिर कुछ नहीं कर सकता।
आप निर्भीक साहसी व पराक्रमी हैं या ड़रपोक, भीरू व कमजोर इसका निर्धारण केवल जीवन के उतार- चढ़ाव व विपरीत परिस्थितियों में आपको स्वयं ही करना है।आप जीवन के महत्व को समझे।
जीवन एक युद्ध का मैदान है और आप उसके नायक हैं।मैने सुना है कि नायक कभी मैदान छोड़कर नहीं भागते।
लेखक:-
अभिषेक कुमार शुक्ला (सहायक अध्यापक)
प्राथमिक विद्यालय लदपुरा
जिला- पीलीभीत (उत्तर प्रदेश)
खूब पढ़े खूब बढ़े
July 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
खूब पढ़े खूब बढ़े
शिक्षा ही जीवन का आधार है,
इसके बिना जीवन निराधार है।
शिक्षा ही जिन्दगी का सच्चा अर्थ बताती हैं,
सत्य और अनंत उन्नति का मार्ग बताती है।
शिक्षक नित नवीन सबक सिखाते हैं,
सबको स्वाभिमान से जीना सिखाते हैं ।
बिना पढ़े-लिखे लोग पशु समान होते हैं,
जो न पढ़ाये अपने बच्चे,
वो माता-पिता दुश्मन के समान होते हैं।
जिंदगी में शिक्षा के महत्व को समझना चाहिए।
‘खूब पढ़े खूब बढ़े” ये जीवन का मूलमंत्र होना चाहिए।।
अभिषेक शुक्ला ‘सीतापुर(up)
जीत
July 11, 2020 in शेर-ओ-शायरी
जीतकर अक्सर मैं यूँ ही हार जाता हूँ
बनकर खुशी मैं बहन का चेहरा सजाता हूँ।
क्या लिखा करता था
July 11, 2020 in शेर-ओ-शायरी
क्या लिखा करता था मैं ये भूल गया
बहन ने हौसला बढ़ाया है।
जब उदास हुआ हूँ मैं तेरे धोखे से
बहन ने मुस्कुराना सिखाया है।
इस कदर
July 10, 2020 in शेर-ओ-शायरी
इस कदर प्यार में डूबा कि फिर उबर ना सका,
पसंद बहुत आया पर दिल में उतर ना सका।