प्यार की निशानी

May 13, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

*“प्यार की निशानी “*
^^^^^^^^^^^^–^
गीतकार जानकीप्रसाद विवश

मेरा हर शेर ,
तेरे प्यार की
निशानी है।

प्यार तेरा ,
मेरे जीवन की
अमर कहानी है ।

मत समझ
सिर्फ हँसी
जिस्म से है
प्यार मुझे ,

जिस्म के साथ
मेरा
प्यार भी
रुहानी है ।

*दर्द से नाता*

May 13, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

*दर्द से नाता*
********
गीतकार- जानकीप्रसाद विवश

दर्द का
जिंदगी से
नाता है ,

बेहिसाबी से
दर्द भी
इसे निभाता है।

न किसी को है ,
किसी की
कभी
कोई चिंता ,

दर्द की जिंदगी ,
कैसे
कोई बिताता है।

जानकीप्रसाद विवश

मधुर जिंदगी

April 23, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सभी मित्रों का
आत्माभिवादन
मीठे स्वरों में , मधुर जिंदगी मिल जाती है।
स्वरों की वसंती बहार में , जिंदगी खिल जाती है।।
दुख- दर्दों की लू -लपटों में जो झुलस जाएँ,
स्वरों की चिकित्सा उन सभी पर , ठंडक का लेप लगाती है।

प्यारे मित्रो ,
सपरिवार सहर्ष स्वरमयी सवेरे की
गुनगनाती मंगलकामनाएं स्वीकार करें।
आपका हर पल मंगलमय हो।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

मत करो देर

April 9, 2018 in ग़ज़ल

**मत करो देर”**

मत करो देर , झटपट पाट दो , दिल की दरारों को ।
जमाना क्या कहेगा ,समझ़ो, जमाने के इशारों को ।

जिदों का यह अड़ियली रुख ,बहुत ज्यादा, नहीं अच्छा ,
छोड़कर जिद निभाओ , प्यार के अलिखित करारों क़ो ।

बात बचपन की जो होती , जो समझाते,समझ जाते ,
जवानी का है अब आलम , ना लौटाओ, बहारो को ।

अगर जो बात बन जाए ,हो जन्नत जैसी जिंदगानी ,
सजाने जिंदगी अब बुला ल़ो झट चाँद तारों को ।

जानकी प्रसाद विवश

प्यास अधूरी

April 8, 2018 in शेर-ओ-शायरी

सारा का सारा सागर हो ,
फिर भी , प्यास अधूरी ।
अगर भाग्य में प्यास लिखी ,
यह.किस्मत की मजबूरी।
जानकी प्रसाद विवश

जगत् का कल्याण हो

April 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

“”***जगत् का कल्याण हो “**
***************
हे मात भवानी ,जग कल्याणी,
भव का रूप सँवारो ।
भक्त जनों को, दैहिक दैविक,
भौतिक तापों से उद्धारो।

जब कृपा सभी पर बरसाती,
सारे संकट मिट जाते ।
हम सब संतान तुम्हारी ही ,
हौसले सभी हर्षाते।

विनती इतनी हम सब.भक्तों की,
भव का रूप निखारो।

भक्तिमय दिवस मातरानी
चंद्रघण्टा को नमन के साथ

सपरिवारसहर्ष शुभकामनाएँ स्वीकार करें।

सविनय,
आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

प्यार की कैद

April 7, 2018 in शेर-ओ-शायरी

प्यार की कैद से रिहाई रव करे न कभी ।
इश्क की रिहाई से ,मौत भली होती है ।
– जानकी प्रसाद ‘विवश’

दरारें दिल की

April 7, 2018 in शेर-ओ-शायरी

“दरारें दिल की”
********
दरारें दो दिलोंकी दिख न जायें, दुनिया वालों को।
प्यार से पाट लो, कहीं प्यार न बदनाम हो जाए ।

जीने का बहाना

April 6, 2018 in शेर-ओ-शायरी

आप जैसे, प्यारे मित्रों से जीवन सुहाना होता है।
न चाह कर भी, जीवन जीने का बहाना होता है।
जानकी प्रसाद विवश

विराट गीतकार सम्मेलन

April 6, 2018 in Other


‘गीत विधा ‘के लिए समर्पित मध्यप्रदेश की साहित्यिक, साँस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था “सृजक संसद ” के तत्वावधान में ,आयोजित काव्योत्सव में सुप्रतिष्ठित गीतकार जानकी प्रसाद विवश का हिंदी साहित्य में गीत विधा मे विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया गया ।ं

 

भेद खोल दिया

April 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

**भेद खोल दिया”**
^^^^^^^^^^^^^

भेद
पायल ने
दिल का
खोल दिया ,

घुघरुओं ने
भी क्या क्या
बोल .दिया ।

बेखुदी
बेसुधी तन मन की,
सारी
लाँघ गई ,

प्यार ने
जिंदगी को ,
प्यारा सा ,
माहौल दिया ।

जानकी प्रसाद विवश

गुणों की महक

March 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्रातः अभिवादन

**गुणों की महक”**
***?**?**??
गुणों के गुलों की महक गुदगुदाए ,
गुणों की महक ,जिंदगी महक जाए।
लगाएँ नयी पौध नित , सदगुणों की ,
वसंत आए ,आकर कभी भी न जाए।

******जानकी प्रसाद विवश ******
सभी प्यारे मित्रों को ,
गुणी सवेरे की ,
प्यार भरी शुभकामनाएँ…।
सपरिवारसहर्ष स्वीकार कर
अनुगृहीत करें ।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

जिंदगी

March 18, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

“”**जिंदगी”**
*****

खुश रहकर गुजारो,
तो मस्त है जिदंगी,
दुखी रहकर गुजारो,
तो त्रस्त है जिंदगी,
तुलना में गुजारो,
तो पस्त है जिंदगी,
इतंजार में गुजारो,
तो सुस्त है जिंदगी,
सीखने में गुजारो,
तो किताब है जिंदगी,
दिखावे में गुजारो,
तो बर्बाद है जिदंगी,
मिलती है एक बार,
प्यार से बिताओ ये जिदंगी,
जन्म तो रोज होते हैं,
यादगार बनाओ ये जिंदगी!!
आपकी जिंदगी खुशियों भरी हो

मधुर सवेरे की
मंगलकामनाएँ
सपरिवारसहर्ष स्वीकार करें ।
सविनय ,
आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश
. ( .रचना उद्धरित…. अज्ञा त …
साभार। )

सावधान हों

March 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

**सावधान हों”**
******

सावधान होकर रहें , विपदा- शूली राह ।
आतुरता करती सदा , जीवन भर गुमराह।।
अजी सब सावधान हों ,
नहीं व्यवधान कोई हो ।

*********जानकी प्रसाद विवश ******
* प्राण से प्यारे मित्रो,
प्यार बरसाते सवेरे की मधुर मंगलकामनाएँ सपरिवारसहर्ष स्वीकार करने की कृपा करें।

सादर,
सविनय
आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

प्यार के गीत

March 16, 2018 in मुक्तक

रोज प्यार के गीत गुनगुनाए हर कोई मन ,
मुसीबतों को ,सबक सिखाए हर कोई मन।
नाच ले ,झूम ले मस्ती भरे , मधुर तरानों पर,
खुशियों की बाँहों में ,झूल जाए हर कोई मन ।

^^ जानकी प्रसाद विवश^^

तेरी तस्वीर

March 16, 2018 in शेर-ओ-शायरी

तेरी तस्वीर के आगे यह दुनिया कुछ भी नहीं है ।

जो भी देखेगा तुझे देखकर, दीवाना हो जायेगा ।

जिन्हें याद करके

March 16, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

**जिन्हें याद करके “** मंगलकामनाएँ
************
जिन्हें याद करके , हृदय नाच उठता,
नहीं और कोई , वे हैं मित्र मेरे ।

हर इक दुख और सुख में ,
सदा साथ रहते ,
करें एक दूजे के हरपल ,
दिल में बसेरे ।
कभी भी न छू पाए ,
स्वारथ की परछाँई ,
चाँद सूरज से हैं मित्र ,
डरते हैं अँधेरे ।

जिन्हें याद करके, हृदय नाच उठता ,
मेरे मित्र हैं चमचमाते सवेरे ।

प्यारे मित्रो ,
सपरिवारसहर्ष
मित्रतामय सवेरे की मंगलकामनाएँ
स्वीकार करें ।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

प्रातः अभिवादन

March 13, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

“**प्रातः अभिवादन “**
***********
मित्रतामय जगत सारा ,
मित्रता ही महकती है ।

गुलाबों की तरह हर पल
दुख के शूलों के संग रहती।
निभा कर साथ, सुख दुख में ,
मित्र के सुख दुख को सहती।

हर इक जीवन -परीक्षा में ,
मित्रता याद आती है ।

प्यारे मित्रो ,
सपरिवारसहर्ष
मधुर सवेरे की
उमंगों से भरे हर पल की
शुभकामनाएँ स्वीकार करें ।

सविनय
आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश,

मित्रता के तख्त पर

March 13, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

**मित्रता के तख्त पर”**
मधुर प्रातः स्मरण ”

नित शाखें प्यार की हैं झूमती ,
हर जिंदगी के. दरख्त पर ।
हर सुवह शाम की दुआ-सलाम,
करते है मित्रता के तख्त पर ।

जानकी प्रसाद विवश
प्यारे मित्रो ,
मधुर सवेरे की हार्दिक मंगलकामनाएँ ,
सपरिवारसहर्ष स्वीकार करें ।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

सुप्रभाती-नमन

March 12, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुप्रभाती-नमन
दुआओं की दवाओं ने, वह असर दिखला दिया।
दस दिनों की जगह, दो दिन में ही अंतर ला दिया।
जानकी प्रसाद विवश

प्यारे मित्रो,
गुनगुनाती सुवह का रसीला नमन,
सपरिवारसहर्ष स्वीकार करें ।
सादर सविनय ।
आपका अपना मित्र
जानकीप्रसाद विवश

इन्द्र धनुषी-अभिवादन

March 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

**इन्द्र धनुषी-अभिवादन”**
***************
मित्रता का महकता रहे चंदन ,
मित्रता का मन करे हर पल वंदन. ।
अमर रहें मित्रता के अक्षय कोष मे ,
जग करे मित्रता का हरपल अभिनन्दन ।

प्यारे मित्रो ,
प्यार के चटकीले रंगों के
रम्य छटामय सवेरे की
मंगलकामनाएँ,
सपरिवारसहर्ष स्वीकार करें ।

आपका अपना मित्र ,
जानकी प्रसाद विवश

जानकी प्रसाद विवश

**अमर गीत”**

March 4, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

**अमर गीत”**

आज कहीं भी नहीं उमड़ती
मन से ऐसी पीर ।
आज कहाँ ढूढें बतलाओ ,
पीड़ा की जागीर ।

जानकी प्रसाद विवश

नित शाखें प्यार की हैं झूमती

March 4, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

**मित्रता के तख्त पर”**
मधुर प्रातः स्मरण “

नित शाखें प्यार की हैं झूमती ,
हर जिंदगी के. दरख्त पर ।
हर सुवह शाम की दुआ-सलाम,
करते है मित्रता के तख्त पर ।

जानकी प्रसाद विवश
प्यारे मित्रो ,
मधुर सवेरे की हार्दिक मंगलकामनाएँ ,
सपरिवारसहर्ष स्वीकार करें ।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

मित्रता

March 3, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

*प्रातः अभिवादन*

सुवह सुवह जो मित्रता की
ना महक आये ।
जिंदगी व्यर्थ में , दिन -रात सी
चली जाये ।

चंद लमहे ही सही ,दोस्तों के
बीच जियें ,
जिंदगानी की कहानी नयी
लिखी जाये ।
…… . जानकी प्रसाद विवश

प्यारे मित्रो ,
मुसकराओ , दोस्ती के महकते
गुलाबों का साथ निभाओ ।
…… सपरिवारसहर्ष सवेरे की मंगलकामनाएँ स्वीकार करें ।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

उठो भी यार…

March 2, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्यारे मित्रो,
रविवारीय आनन्दमय सवेरे की,
मंगलकामनाएँ सपरिवारसहर्ष
स्वीकारें।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

“उठो भी यार…
देखो एक खुशनुमा सुबह बाँहें फैलाए तुम्हारा ही इंतजार कर रही है, तुम्हारे संग खिलखिलाने और दौड़ते-भागते तुम्हारे हर ख्वाब को पाने का…
तो, अब देर मत करो और आ जाओ…”
(इट्स माई पर्सनल थिंकिंग टुडे फॉर यू)
✊?।। जय भोलेनाथ करना सबका भला ।।?✊

आपकी खामोशियाँ

March 1, 2018 in Other

प्यारे मित्रो
सुप्रभात अभिवादन ,
सपरिवारसहर्ष स्वीकार करें….
आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

“**आपकी खामोशियाँ “**
*************

आपकी
खामोशियाँ
भी ,
हर घड़ी
हैं बोलतीं ,

मौन
रहकर भी ,
हृदय के ,भेद सारे
खोलतीं ।

आपके
इस मौन से ,
मन में,
उठा भूकंप है ,

भावनाएँ ,
घड़ी के पैंडल ,
सरीखी डोलतीं ।

जानकी प्रसाद विवश

मित्र

February 28, 2018 in Other

प्राण से ज्यादा,मित्र हो प्यारे ,
इस. नश्वर संसार में ।
तीर्थ राज संगम स्थित है ,
प्रिय मित्रों के प्यार में ।

व्यर्थ सभी तीर्थटन होते ,
बिना मित्रता-तीरथ के ।
सत्कर्मों के फल मैं मिलते ,
भले मित्र उपहार में ।

जानकी प्रसाद विवश

प्यारे न्यारे मित्रो,
सवेरे की पावन मित्रतामय
फिज़ा में
सपरिवारसहर्ष
प्यार-पगी हार्दिक मंगलकामनाएँ
मन से स्वीकार करें ।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

जरूरी नहीं

February 27, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जरूरी नहीं , हम गले ही लगाएँ ।
जरूरी नहीं ,आप मिलने ही आएँ।
अमर प्रेम का ,ऐसा बंधन हमारा,
करें याद हम , हम तुम्हें याद आएँ।
******जानकी प्रसाद विवश**********

प्यारे मित्रो ,
पावन प्रेम से ओतप्रोत,
मधुर सवेरे की रसीली
पावन मंगलमय शुभकामनाएँ ,
सपरिवारसहर्ष स्वीकार करें।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

“**मोह रही मन”**

February 13, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

“**मोह रही मन”**
मोह रही मन सभी के
फागुनी बयार ।
शनैः शनेः उभर रहा है
सृष्टि का निखार ।

धडकनें सुवह की सरगमें
सुहावनी।
भावनाएँ रंगभरी हुईं
लुभावनी ।

कामनाओं पर चढ़ा
छटा काअब खुमार ।

,”**प्रातः अभिवादन “**
प्यारे मित्रो ,
सपरिवारसहर्ष
फागुनी सवेरे की
उमंगों से भरे हर पल की
शुभकामनाएँ स्वीकार करें ।

सविनय
आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

जानता है दिल…

February 11, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आपकी ख्बाहिसों को
पूरा करना
जानता है दिल,

चले आओ
सजा लें हम
किसी दिन,
स्वप्न की
महफिल ।

जानते हैं सभी,
सपनों को इक दिन,
टूटना पड़ता,

टूटता तन, टूटता मन,
छूट जाती है,
हर मंजिल ।

जानकी प्रसाद विवश

प्रातः अभिवादन

February 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

“**प्रातः अभिवादन “**
प्यारे मित्रो ,
सपरिवारसहर्ष
फागुनी सवेरे की
उमंगों से भरे हर पल की
शुभकामनाएँ स्वीकार करें ।

सविनय
आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश,

जिन्दगी के तजुर्बे

February 9, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

“**जिन्दगी के तजुर्बे”**
************

जिंदगी के तजुर्बे
सताते
बहुत हैं ,

हँसाते बहुत हैं ,
रुलाते
बहुत हैं ।

कभी हों अकेले ,
हाँ
बिल्कुल अकेले,

तजुर्बे
साथ मन से
निभाते बहुत हैं ।

*********^^^^^^^^************
*** जानकी प्रसाद विवश****

प्रातः अभिवादन

February 9, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

“**प्रातः अभिवादन “**
***********
मित्रतामय जगत सारा ,
मित्रता ही महकती है ।

गुलाबों की तरह हर पल
दुख के शूलों के संग रहती।
निभा कर साथ, सुख दुख में ,
मित्र के सुख दुख को सहती।

हर इक जीवन -परीक्षा में ,
मित्रता याद आती है ।

प्यारे मित्रो ,
सपरिवारसहर्ष
फागुनी सवेरे की
उमंगों से भरे हर पल की
शुभकामनाएँ स्वीकार करें ।

सविनय
आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश,

छू पाना आसमां को

February 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

**छू पाना आसमां को “**
*************
छू पाना आसमां को ,
माना जरा कठिन है ।
छू जाना दिलों का तो ,
आसान बहुत होता ।

विश्वास किसी को भी
हो पाए नहीं इस पर ।
विश्वास कर के देखो ,
आसान बहुत होता ।

प्यारे मित्रो ,
मधुर प्रातः की
उमंगों से भरी बेला में,
सपरिवारसहर्ष ,हमारी मंगलकामनाएँ
स्वीकार करें ।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

मित्रता का महकता रहे चंदन

February 5, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

*फागुनी सवेरे का अभिनन्दन “*
^^^^^^^^^^^^^^^^-^^^^-^

मित्रता का महकता रहे चंदन ,
मित्रता का मन करे वंदन. ।
अमर रहें मित्रता कोष मे ,
जग करे मित्रता अभिनन्दन ।

जानकी प्रसाद विवश
प्यारे मित्रो ,
सपरिवारसहर्ष मधुर सवेरे की मंगलकामनाएँ
स्वीकार करें ।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

“* सुवह को नमन “*

February 5, 2018 in Other

* सुवह को नमन “*
**********
प्यार के गीत गाती ,
वसंती सुवह को नमन ।
गंध बिखरा रही है ,
सुगंधी मित्रता का चमन ।

जानकी प्रसाद विवश

परम प्रिय मित्रो ,
प्यार की लाली बिखेरते
मधुर प्रभात का
प्यार भरा अभिवादन
सपरिवारसहर्ष , स्वीकार करें ।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

मन थिरक उठो

February 4, 2018 in गीत

*मन थिरक उठो…”*
***********
कभी पुराने नहीं रहेंगे
ये रसभरे , सुरीले गीत ।
सदा नयापन। देंगे मन को ,
यह है इन गीतों की रीत।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

**मोह रही मन”**

February 4, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

**मोह रही मन”**
मोह रही मन सभी के
फागुनी बयार ।
शनैः शनेः उभर रहा है
सृष्टि का निखार ।

धडकनें सुवह की सरगमें
सुहावनी।
भावनाएँ रंगभरी हुईं
लुभावनी ।

कामनाओं पर चढ़ा
छटा काअब खुमार ।

,”**प्रातः अभिवादन “**
प्यारे मित्रो ,
सपरिवारसहर्ष
फागुनी सवेरे की
उमंगों से भरे हर पल की
शुभकामनाएँ स्वीकार करें ।

सविनय
आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

माधवी-सवेरे

February 1, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

**माधवी – सवेरे”**
********* सुप्रभात

माधवी-सवेरे का मन से अभिनन्दन ,
सुप्रभात, मंगलमय मित्रों का वन्दन ।
प्राची की लाली की टेर है सुहानी ,
रजनी की कालिमा का थमता स्पंदन।
^^^^^***
जानकी प्रसाद विवश
प्यारे मित्रो .
सुखद सवेरे की मंगलकामनाएँ
सपरिवारसहर्ष
स्वीकार करें ।
आपका हर पल मंगलमय हो।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

भावना-साग

January 28, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

“* भावना-सागर”*
*********
भावनाओं से बँधा संसार है ,
भावना के बिना , झूठा प्यार है ।
भावनाओं में अमर विश्वास है ,
भावना की तरी , बेड़ा पार है ।
जानकी प्रसाद विवश
प्यारे मित्रो ,
सवेरे की प्रेरक भोर में
सपरिवारसहर्ष मंगलकामनाएँ सहर्ष स्वीकार करें ।

सविनय ,
आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

प्राण से प्यारे गणतंत्र

January 27, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्राण से प्यारे गणतंत्र,
पल पल कोटि कोटि प्रणाम।

“**फूली नहीं समाती,**
छब्बीस जनवरी।
खुशियों के गीत गाती
छब्बीस जनवरी ।

गांधी भगत बिस्मिल ,
आजाद बोस की,
कुर्बानियाँ सुनाती ,
छब्बीस जनवरी ।

रक्षा करने स्वदेश की ,
हँसते हँसते सर्वस्व लुटाते हैं ।
उन अमर शहीदों को ,
स्वदेशवासी श्रद्धानत होकर शीष झुकाते हैं।

देशवासियों को शुभकामनाएँ, बधाइयाँ।

सविनय,
आप सभी का मित्र
जानकी प्रसाद विवश

दोस्ती

January 26, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

दोस्ती का अजब सा
किस्सा है
दोस्त जीवन का
अहम
हिस्सा है ।

स्वार्थ का
नामोनिशाँ तक
है नहीं ,

जन्म जन्मों का
अमर रिश्ता
है ।

प्रिय मित्रों
वसंती सवेरे की सरस.
घड़ियों में
सपरिवारसहर्ष ,मंगलकामनाएँ
सहर्ष स्वीकार करें ।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

देख लिया

January 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

“**देख लिया”**
******
डूबकर
देख लिया ,
जिस घड़ी
से ,
तेरी आँखों में ।

नहीं अब
डूबने से ,
जरा सा भी ,
डर हमें लगता ।

जानकी प्रसाद विवश

प्यारे मित्रो .
सवेरे की गुनगुनी अनुभूतियों का
सपरिवारसहर्ष
हार्दिक अभिवादन.,
हर पल मंगलकामनाएँ
स्वीकार करें ।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

वसंतोत्सव-अभिनन्दन

January 23, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

**वसंतोत्सव-अभिनन्दन”**
******^^^******
कोयल के स्वर पड़े सुनाई ,
यह वसंत बेला सुखदायी ।
मधुऋतु में , माधुर्य पगा है,
जीवन का हर क्षण ।

…..जानकी प्रसाद विवश

प्यारे मित्रो
वसंत पंचमी के
ऋतु पर्व पर
सपरिवारसहर्ष ,हार्दिक शुभकामनाएं
स्वीकार करें ।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

तेरी इक मुसकराहट पर बहारें

January 23, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

“**प्रात:अभिवादन”**
****^^^^***
तेरी इक मुसकराहट पर बहारें
लौट आती हैं ।
तेरी इक मुसकराहट पर बहारें ,
गुल खिलाती हैं ।
महक जाता है तन मन और
हर उजड़ा हुआ उपवन ,
प्यार की वसंती रितु , जिंदगानी
गुनगुनाती है ।

जानकी प्रसाद विवश

प्यारे मित्रो,
प्यार बरसाते सुखद सवेरे
की
प्यार भरी
मंगलकामनाएँ
सपरिवारसहर्ष स्वीकार करें ।

जानकी प्रसाद विवश

खूँटी और दीवार

January 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आपके-गीत-क्रमांक-20- दिनांक-16 -01-2018
खूँटी और दीवार
गीतकार-जानकी प्रसाद विवश
साथ तुम्हारा मेरा…साथ तुम्हारा मेरा जैसे
खूँटी ओर दीवार का।

साथ हुआ है जिस पल से भी,
हम दोनों ही साथ रहे।
अपनी भार वहन क्षमता से,
बढ़चढ़ कर हैं भार सहे।
कभी उखड़ना फिर ठुक जाना
अपनी तो है नियति रही,
नहीं अपेक्षा रही तनिक भी
कभी कोई आभार. कहे।

खूब समय की लीला देखी
बन गुम्बद मीनार का।

टूटे जब भी ,छोड़ गये,
टूटन के अमिट निशान को।
आँच न आने दी हमने,
कर्तव्य पुजारिन शान को।
कौन न टूटा है इस जग में
टूटना जुड़ना खेल है,
किंतु टूटने कभी न दी,
अपनी साबुत पहचान को।

दें जबाब आशा की किरणें
दंभी तम के वार का।

निरंतर पढ़ते रहें।……सभी मित्रों को
गीत सवेरे का शुभ प्रभात……..

सवेरे की मधुर मुसकान का

January 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सवेरे की मधुर मुसकान का
अर्चन करें मन से ।
उजाले की अमर पहचान का ,
वंदन करें मन से ।
मित्रतामय उमंगों का चिर स्पंदन,
निराला है ,
नमन हो मित्रता तीरथ की महिमा
सकल तन मन से ।

जानकी प्रसाद विवश

प्यारे मित्रो ,
महिमामय सवेरे की
अशेष मंगलकामनाएँ ,
सपरिवारसहर्ष स्वीकार. करें ।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

प्राण से ज्यादा , मित्र हो प्यारे

January 20, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्राण से ज्यादा, मित्र हो प्यारे,
इस. नश्वर संसार में ।
तीर्थ राज संगम स्थित है ,
प्रिय मित्रों के प्यार में ।

व्यर्थ सभी तीर्थटन होते ,
बिना मित्रता-तीरथ के ।
सत्कर्मों के फल मैं मिलते ,
भले मित्र उपहार में ।

जानकी प्रसाद विवश

प्यारे न्यारे मित्रो,
पावन मित्रतामय फिज़ा में
सपरिवारसहर्ष
प्यार-पगी हार्दिक मंगलकामनाएँ
मन से स्वीकार करें ।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

मेरे मित्र देवता हैं

January 20, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जीवन के खत पर
लिखा वो पता हैं ,
मेरे मित्र ,मेरे लिए ,
देवता हैं।

धड़ी चाहे सुख की,
या हो चाहे दुख की,
किसी पल नहीं वे ,
हुए लापता हैं ।

जीवन में भरते हैं ,
रिश्तों के मेले ,
मेरे मित्र ,मेलों की
चिर भव्यता हैं ।

इनके प्रमाणन की
कब है जरूरत
चुनौती रहित ,इनकी
सर्वज्ञता हैं ।

डूबकर देख लिया

January 13, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

डूबकर
देख लिया ,
जिस घड़ी
से ,
तेरी आँखों में ।

नहीं अब
डूबने से ,
जरा सा भी ,
डर हमें लगता ।

जानकी प्रसाद विवश

प्यारे मित्रो .
सवेरे की गुनगुनी अनुभूतियों का
सपरिवारसहर्ष
हार्दिक अभिवादन.,
हर पल मंगलकामनाएँ
स्वीकार करें ।

आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश

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