आखिर मैं भी तो जग का हिस्सा हूं
कोई मेरी व्यथा क्यों समझता नहीं, मैं भी प्यासा हूं,मेरे लिए कोई पानी रखता नहीं। बढ़ रही उमस इतनी,और धूप कितनी तेज है, पानी के…
संपादक की पसंद
कोई मेरी व्यथा क्यों समझता नहीं, मैं भी प्यासा हूं,मेरे लिए कोई पानी रखता नहीं। बढ़ रही उमस इतनी,और धूप कितनी तेज है, पानी के…
ये धुंआ धुंआ सा जल रहा है क्या? कहीं कोई हो रहा बेखबर सा क्या? सब में प्रभु पहचान कितना भ्रम है लोगों को सब…
बचपन से ही न जाने कितने दोस्त बनाये हंसी ख़ुशी उनके संग ज़िंदगी के पल ये विताये जगह बदल जाने पर वे कितने याद आते…
यह जीवन जीना जग में साथी, नहीं है सहज सरल। ज़ालिम यह दुनियाँ है, पीना पड़ता है गरल। कोई-कोई ही इस दुनियाँ में, हॅंसकर साथ…
थोड़ा निहारने दो कुदरत की छवि मुझे तुम तुम भी निहार लो ना इस वक्त भूलो सब गम। सूरज निकल रहा है सब ओर लालिमा…
कविता ऐसी कहो कलम, प्रफुल्लित हो उठे मन। दुखी ह्रदय में खुशियों के फूल खिलें, बिछुड़ों के हृदय मिलें। कभी प्रकृति का हो वर्णन, कविता…
अंधेरी राह जीवन की हमारी रोशन करते हैं, हमें जो ज्ञान देते हैं उन्हें हम शिक्षक कहते हैं। दिशा देते हैं जीवन को करा कर…
हर बार चिपकाता है वह पोस्टर। बैनर टाँगता है हर चुनाव में। इस आशा में कि कभी तो बैठूँगा अपने विकास की नाव में। कुछ…
हर दिन हम अच्छे होते जायेंगे बहुत लगाए बाड़ काटों के अब फूल से कोमल होते जायेंगे गलत स्पर्धा में हमें नहीं पड़ना मुरझाये चेहरे…
जिसने हमें सम्हाला कितने प्यार से पाला आज उसे सम्हालने की पड़ी है सच कैसी मुश्किल की घडी है माँ जो हमपे गर्व थी सदा…
ऑक्सीजन की कमी हुई है देश में, मार रही है बीमारी, कोरोना के भेष में। प्रदूषित होती जा रही है धरा, वृक्ष लगाकर आओ बनाऍं…
आओ कथा सुनाएं तुम्हें पारिस्थितिकी पारितंत्र की, खतरे में आज है स्थिति अपने मानव तंत्र की। दिन-रात खनन हो रहा है चहुंओर हरियाली का, आधुनिक…
पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) स्पेशल ——————————– इन दो हाथों के बीच में पृथ्वी निश्चित ही मुसकाती है पर यथार्थ में वसुंधरा यह सिसक-सिसक रह जाती…
मर्यादा की पराकाष्ठा सद्गुणों के धाम हे पुरुषोत्तम तुम्हें बारम्बार प्रणाम अवतार पूर्व मनुष्यता थी विकल ज्ञानी ध्यानी सारे संत थे विफल अत्याचार मुक्ति की…
आत्मसम्मान जीवित रखो वक्त काफी कठिन क्यों न हो, बस रहो कर्मपथ पर अडिग वक्त काफी कठिन क्यों न हो। मन में घबराहटों के लिए…
भोजपुरी देवी पचरा गीत – काली माई हो | काली माई हो भगाई देतु कोरोनवा | भस्म करा खोली आपन तीसरा नयनवा | काली माई…
धरा माँ है हमारी पालती है पोसती है, इसी में जिंदगी सारे सुखों को भोगती है। अन्न रस पहली जरूरत है हमारी जिंदगी की, वायु-जल…
सुनने को कर्ण यह तरस गये कहां अब कोई अच्छी ख़बर है वेवसी का आलम है यह कैसा पल यह कैसा,हर एक की सूनी नज़र…
हिम किरीटनी, हिम तरंगनी, युग चरण के रचयिता हे साहित्य देवता है ऋणि हम,करते है अर्पित श्रद्धा-सुमन, साहित्यअकादमी से विभूषित,शोभित पद्यभूषण तेरा यश है फ़ैला,…
आसान बहुत है चाह अच्छा बनने की पाल लेना पर तय सफर पर बढ़ते रहना,बङा ही कठिन है आस किसी के मन में जगाकर, खुद…
बोझ खींचे जा रहा था वह हाथ ठेले से, पेट भीतर तक खींच कर जोर लगा रहा था। आँतें एक दूसरे से चिपक कर सपाट…
अपनी पृथ्वी बचालो – पृथ्वी दिवस पर मेरी नवीन रचना हे भूमिपुत्र आज अपनी, पृथ्वी को बचालो तुम, स्वार्थों से दूर रहकर हाथ अपने मिला…
पतियों की हालत पत्ति की तरह श्रम कर कर गिरे पत्ति की तरह कहने को ही घर का मालिक है दिन श्रमरत रहा रात चौकीदारी…
मैं तुम्हारी धरोहर मैं पृथ्वी बोलूँ आज अपने दिल की, सुनू,देखूँ मैं भी तुमसा तुम ये जानो, बोला तुम्हरा हर शब्द हर पल मैं सुनती,…
कहने को हम भी कहते हैं धरा को धरती माता, है कितनी पीड़ा धरती मां को,यह कोई क्यों ना समझ पाता। करते हम अपने कृत्यों…
संतापों क्रम यह कब बदलेगा, मानव जाति पर आया संकट कब निपटेगा। हा हा कार, चीत्कार विभत्स करुण क्रंदन कब रुकेगा, ओ प्रकृति !! तेरा…
सीखा तो हमने भी बहुत कुछ है तुम्हारी लेखनी से कैसे अविरल, निर्भीक चलती है शब्दों की सुंदर कारीगरी तो रहती ही है साथ में…
अरि के आगे अडिग रहना है, नहीं अरि से झुकना है। हिम की ऊॅंची चोटी से, यह हमने भी सीख लिया है। फलों से लदी…
गांव के खेत बंजर होते गये गांव के बुजुर्ग पेड़ रोते गये, पुराने घर आँगन टूटते रह गये। जो गया लौट कर आया नहीं। शहर…
मत चलो भीड़ में बंधु, भेड़ झुंड कहलाओगे। एक गिरा कुए में तो, सभी को उसमें पाओगे।। वो बिना मास्क के रहता, मानव बम सा…
जो कृत्य खुशी दे मन को वह कृत्य तुझे करना होगा नफरत विद्वेष भरी बातों से दूर तुझे रहना होगा। तन अलग कहे मन अलग…
समाज में हो रहा गलत तेरे भीतर की आत्मा को झकझोरता नहीं क्या किसी निरीह की चीत्कार किसी भूखे की भूख प्यासे की प्यास जीवन…
लगी है आग जंगल में न जाने कौन है ऐसा रगड़ माचिस की तीली को जला कर चल दिया घर को। इधर घर जल रहे…
मोमबत्तियों-सा है जीवन अब तो पिघलना है प्रकाश फैलाना है काव्य लिखने का मन है अब तो तेल डाल दे कोई मेरे जीवनरूपी दीपक में,…
चिठ्ठियों की वेदना कभी सुनी है तुमने? कितना सिसक-सिसककर रोती हैं एक पते को ढूढ़ने में जमाने लगते थे अब बात क्षण भर में पहुँचती…
कहाँ गई वो दानवीर कर्ण की संतानें ??? ***************************** ____________________________ मत बाँधो मेरी नाव को तैरने दो इसे पीर के विशाल सागर में भर गया…
भले ही सो रहा हूँ मैं थका-माँदा यहाँ फुटपाथ में मगर चलती सड़क है रुकती है बमुश्किल एकाध घंटा रात में। उसी में नींद लेता…
कोरोना का कहर हुआ, गली-गली हर शहर हुआ। आ गई है दूजी लहर, कोरोना ने कितना बीमार किया। दर्द दिया लाचारी दी, बहुत बड़ी बीमारी…
रोशनी कर दो ना जला दो बल्ब सारे, देखने हैं मुझे दिवस में चाँद तारे। अंधेरे से बहुत उकता गया हूँ, मन भरी पीड़ को…
तब आप कितने सुन्दर थे पापा देख पुरानी फोटो, देखता रह गया मैं। फौजी वर्दी चमकता चेहरा, फौलादी बाजू, सीधे लंबे से, जाने कब की…
धन है धन्य धन का राज है सबके दिलों में। बिना धन जिन्दगी का पथ कठिन। न हो धन पास जिसके दूरियां रखते हैं उससे,…
कविता- तरस आता है —————————————— हे गरीबी तुझ पर – तरस आता है, क्या बिगाड़ तू पाई इंसान का| चाहे तू और बर्बाद कर दे,…
जन्म लेकर जब आए, इस दुनियाँ में हम पहली बार। जो भी दृश्य देखा, चकित हृदय हमारा था। बारिश की पहली बूॅंदों ने भी, चकित…
उपवन में फूल खिले, महक आई सुबह सुबह की मारुत, उड़ा लाई। याद आया वह मुझे, नलिनी फूल, या नासिका से जुड़ी, यह है भूल।…
गोरी-चिट्टी, काली चमड़ी को रगड़ रगड़ क्यों धोता है। यह सब कुछ है नश्वर है जग में कर्मों का लेखा-जोखा होता है। कौन है गोरा…
आँख में देखना कुछ नया भाव होगा, धड़कते दिल में कोई घाव होगा। वो पुराना हो या नया हो मगर रख हौसले से भरना होगा,…
कविता -राम —————- राम तुम्हें फिर आना होगा आओ बाण उठाना होगा आतंकवाद से मुक्त बना भारत को आर्यावर्त बनाना होगा चाहे पाक के पाले…
कविता- मोह छोड़ कर थप्पड़ मारो ——————————————— मां मुझको चलना सिखा दे, डगमग करते पैर मेरे अंगुली पकड़ के राह दिखा दे, बहुत बड़ी गलती…
हिंदू नव वर्ष और चैत्र नवरात्रि की, आप सबको शुभकामनाएँ। यही है नववर्ष हमारा, यही जीवन में खुशियाँ लाए। एक जनवरी को क्या हुआ, क्या…
नवजात बच्चे दूध पी रहे थे, भूख उसे भी लगी थी, दूध पिलाने में भूख भी बहुत लगती है दूध पिलाने में। उर जल रहा…
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