कविता ऐसी कहो कलम

कविता ऐसी कहो कलम, प्रफुल्लित हो उठे मन। दुखी ह्रदय में खुशियों के फूल खिलें, बिछुड़ों के हृदय मिलें। कभी प्रकृति का हो वर्णन, कविता…

“पृथ्वी दिवस”

पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) स्पेशल ——————————– इन दो हाथों के बीच में पृथ्वी निश्चित ही मुसकाती है पर यथार्थ में वसुंधरा यह सिसक-सिसक रह जाती…

तेरे जन्मदिन से हो फिर नया विहान

मर्यादा की पराकाष्ठा सद्गुणों के धाम हे पुरुषोत्तम तुम्हें बारम्बार प्रणाम अवतार पूर्व मनुष्यता थी विकल ज्ञानी ध्यानी सारे संत थे विफल अत्याचार मुक्ति की…

महामना मालवीय

हिम किरीटनी, हिम तरंगनी, युग चरण के रचयिता हे साहित्य देवता है ऋणि हम,‌करते है अर्पित श्रद्धा-सुमन, साहित्यअकादमी से विभूषित,शोभित पद्यभूषण तेरा यश है फ़ैला,…

पृथ्वी दिवस

कहने को हम भी कहते हैं धरा को धरती माता, है कितनी पीड़ा धरती मां को,यह कोई क्यों ना समझ पाता। करते हम अपने कृत्यों…

कब रुकेगा

संतापों क्रम यह कब बदलेगा, मानव जाति पर आया संकट कब निपटेगा। हा हा कार, चीत्कार विभत्स करुण क्रंदन कब रुकेगा, ओ प्रकृति !! तेरा…

पलायन

गांव के खेत बंजर होते गये गांव के बुजुर्ग पेड़ रोते गये, पुराने घर आँगन टूटते रह गये। जो गया लौट कर आया नहीं। शहर…

भेड़ चाल

मत चलो भीड़ में बंधु, भेड़ झुंड कहलाओगे। एक गिरा कुए में तो, सभी को उसमें पाओगे।। वो बिना मास्क के रहता, मानव बम सा…

पापा

तब आप कितने सुन्दर थे पापा देख पुरानी फोटो, देखता रह गया मैं। फौजी वर्दी चमकता चेहरा, फौलादी बाजू, सीधे लंबे से, जाने कब की…

तरस आता है

कविता- तरस आता है —————————————— हे गरीबी तुझ पर – तरस आता है, क्या बिगाड़ तू पाई इंसान का| चाहे तू और बर्बाद कर दे,…

राम

कविता -राम —————- राम तुम्हें फिर आना होगा आओ बाण उठाना होगा आतंकवाद से मुक्त बना भारत को आर्यावर्त बनाना होगा चाहे पाक के पाले…

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