रिश्ता है बस निभाने का
बस अब और नहीं, गये अब दिन तुम्हारे हैं हमने हंस हंस के, जो अपनाये अंगारे हैं ये अंधेरे में सने पूनम की जो रातें…
संपादक की पसंद
बस अब और नहीं, गये अब दिन तुम्हारे हैं हमने हंस हंस के, जो अपनाये अंगारे हैं ये अंधेरे में सने पूनम की जो रातें…
एक छोटा सा सपना पूरा हुआ जब मेरा बेटा आर्यन आया तोतली सी बोली से जब तुमने मुझे पापा बुलाया दिल के सारे दर्द दूर…
निकल ही गई ,जान मेरी! जब नन्हीं-सी जान , पहली बार बीमार हुई। औरों को भी थी गमी, पर आंखों से मेरी, बेमौसम बरसात हुई,…
चश्मे वाले नेताजी! गजब कमाल करते हैं, करोड़ों जनों को चुना लगाने का; जिगरा सरेआम रखते हैं , ना खाऊंगा ना खाने दूंगा! ऐसे-ऐसे वादे…
ना जाने बसता कहाँ * ———-*——–*——–* सङको पे चलता कहाँ वह संक्रमण से अनजान है भय व भूख को साथ लिए वो भी एक इन्सान…
‘उँगली उठा तो दी हमने, पर साबित क्या करेंगे, वो तमीज़दार भी इतने हैं कि पत्थर खुद नही फेंकते..’ – प्रयाग
कितना नादान था वह बचपन जब… माँ मुझे चाँद की कटोरी में खिलाती थी… मैं खाना खाने में नखरे हजार दिखाती थी… पर माँ चाँदनी…
युग युग से तू ,आंसू बहाती आई पुरुष के अधीन तू, सदा रहती आई अपने घर, अपने बच्चो के लिए युग युग से तू ,मर…
‘आओ कुछ बेहतर करते हैं.. कुछ बाहर जग की परिधि में, कुछ अपने भीतर करते हैं.. आओ कुछ बेहतर करते हैं.. आओ कुछ बेहतर करते…
कब से तुम्हारी राह में नजरें बिछाए बैठे हैं। चले भी आओ कि महफिल सजाए बैठे हैं।।
मैं सैनिक हूं, मैं देश को संभालता हूं, हर रोज मृत्यु को मारता हूं, मैं मौत से नहीं डरता हूं, मौत को तो मुठ्ठी में लेकर…
बाबा जी मैं जपूं तेरा नाम सांई नाम की अलख जगा ले भोली सी सूरत अपने मन में बिठा ले सच्चा प्यारे सांई नाम बाबा…
शैतान की नानी, बन्दर-सी शैतानी, जादू की पुड़िया, सोने की गुड़िया, परियों सी रवानी, प्रेम की निशानी, बालों को नोचे, कान को खींचे, शरारतें उसकी…
एक ऐसा जहाँ, देवी नहीं बस इंसान समझा जाता हो देवी का दर्जा देके न छल, नारी से किया जाता हो। आसमां पे बिठा के…
‘दे दे कोई तदबीर मुझे हरकत में रहने की, मैं उसके तसव्वुर में तस्वीर हुआ जाता हूँ..’ – प्रयाग मायने : तदबीर – तरकीब/उपाय तसव्वुर…
बरस रहा है भाद्रपद रिम-झिम बरसता जा रहा है इस मनोरम मास में गौरा-महेश्वर सज रहे हैं। इन पहाड़ों के शिखर शिवलिंग जैसे लग रहे…
हे प्राणदायनी नारी ************* हे प्राणदायनी नारी,तेरी करूण कहानी आँचल में है करूणा,पर आखों में पानी । हर युग में क्यू नारी ही सतायी जाती…
‘मेरी वफाओं का खुलकर सिला दिया उसने, न रखा एक भी, हर खत जला दिया उसने.. दूर होने का फैसला क्या खुद तुम्हारा है ?…
मनु की संतान पर तंज कसने की कोशिश की है मैनें.. नया विषय और भारत की समस्याओं की ओर आपका ध्यान आकर्षित करने की चेष्टा…
शब्दों की सीमा लांघते शिशुपालो को, कृष्ण का सुदर्शन दिखलाने आया हूं, मैं देश दिखाने आया हूं।। नारी को अबला समझने वालों को, मां…
‘वो हादसा के सलीके से जिसका ज़िक्र नही, और कुछ लोग थे जो सुर्खियों में आते रहे.. मदद के वास्ते लाज़िम थे कई हाथ मगर,…
कुछ पाना हमारा मकसद न हो देने की लत खुद को लगाते चलें जीवन हमारा यह रहे न रहे दूसरों का जहाँ चलो बसाते चले…
साक्षात्कार था मेरा उस दिन, चिंता से था हृदय धड़कता। एक दस का नोट पड़ा जेब में, ऑफिस तक की भी बस कैसे पकड़ता। दो…
आज तू हंस ले , खुलकर मुझ पर, मगर ,थोड़ा सा सब्र कर; अरी; सुन ! मेरी अभागी क़िस्मत! मैं सीख तुम्हें सीखलाऊंगा, मेहनत की…
संवेदनाएं कहाँ रहती हैं आज-कल, मैं यह जानती नहीं.. लोग क्यों जलाते हैं नफरत के चिराग मैं यह जानती नहीं.. ऊब चुकी हूँ जिन्दगी से…
कितनी प्यारी होती हैं बेटियाँ, प्रेम की मूरत होती हैं बेटियाँ.. आती है जब परिवार पर आँच कोई, सबसे आगे खड़ी होती हैं बेटियाँ… प्यार…
‘मेरे इज़हार पर कुछ यूँ लगा तू हाँ की मुहर, दुनियाँ देखे कि इकरार किसे कहते हैं.. तेरे सिवा मुझे उस पर भी यकीं है…
चलो ‘मैं’ को, ‘मैं’ से लड़ाते हैं! जीतकर , फिर ‘मैं’ से ‘हम’ बनाते हैं। विशेष–> यमक अलंकार का प्रयोग एक “मैं ” अपने आप…
‘चारागरों, हम में से किसी एक का इलाज करो, आज़ार उन्हें नफरत का है, तो हमें मोहब्बत का..’ – प्रयाग मायने : चारागर – डॉक्टर…
शीर्षक:- पिता:-बरगद का वृक्ष पिता वह बरगद का वृक्ष है जिसकी छांव में हमें प्रेम, स्नेह तथा सुरक्षा मिलती है.. पिता नारियल का वह फल…
चला जा रहा हूँ अंजान से एक सफर में साथ न कोई साथी किसी मंजिल का एक साये के पीछे न जाने किसकी तलाश में…
गणेश वंदना – श्री गणेश वंदन | गौरी नंन्द्न शंकर सूत करे सब श्री गणेश वंदन | हाथी मस्तक मंगल दस्तक तेरा सत अभिनंदन |…
‘ऐ मेरी याद-ए-उल्फत सुन, तू इतना काम कर देना, जो उसको भूलना चाहूँ, मुझे नाकाम कर देना.. सुबह का वास्ता किससे, सहर की राह किसको…
गीता का सार जिसने भी समझ लिया संसार में उसी ने औरों से कुछ अलग किया तेरा मेरा अपना पराया माया मोह से जो दूर…
‘ये रब करे कि मोहब्बत मेरी असर कर ले, वो दिल को भेज दे, दिल को ही नामाबर कर ले..’ – प्रयाग मायने : नामाबर…
शरीफों की सभा लगी फिर लुटती रही क्यों द्रौपदी? दु:शासन के दुराचार पर संवेदना क्यों मर गई? यही पूँछे द्रौपदी हर सड़क और हर गली……
खुद को उत्साह में रख न हो मन दुखी, तू बढ़े जा, बढ़े जा न हो मन दुखी। यह तो संसार है, इसमें संघर्ष है,…
सावन की बदरी सी बरसी जो तेरे जुल्फो से बूंदे, कच्चे मकां सा मेरा ये दिल ढह गया।। मदिरा के जाम सी छलकी जो तेरी…
एक था जिम और एक थी डैला, दोनों लंदन में रहते थे। कहानी ये बिल्कुल सच्ची है, मेरे दादा कहते थे। डैला थी बहुत ही…
चल आ मैदान में पुलकित हो, ना रख चिंता ना विचलित हो.. तेरे मार्ग की हर इक-इक व्याधि, तेरी आत्म शक्ति से परिचित हो.. भय…
सुनहरी धूप है, चारों तरफ प्रकाश है, आज लगता कि बारिश ने लिया अवकाश है। यूँ तो बारिश के बिना इस जिन्दगी कल्पना कर नहीं…
वो भी क्या उमर थी,जब मस्ती अपने संग थी , सारी फिकर और जिम्मेदारियाँ, किसी ताले मे बंद थी, वो गलियाँ जिसमे खेलते थे क्रिकेट,पतंग…
“साँस लेता हूँ फकत ये भी कोई कम तो नही, ज़िंंदगी तू ही बता मुझपे तू सितम तो नही.. कभी पूछा न ज़माने के शरीफ…
पहली बार जगे थे , जो अरमान ! तुम्हें देखकर! वो ,निहारने का अंदाज अभी भी रमा है, मेरे जहन में । आंखों का आंखों…
‘ये मेरी मोहब्बत की, शिद्दत का सिलसिला था, दरिया था कभी मुझमे, अब उससे जा मिला था.. ज़िद थी गज़ब की मुझमे, तुझको जीताने की,…
सृष्टि कल्याण को कालकूट पिया था शिव ने, मैं भी जन्म से मृत्यु तक कालकूट ही पीती हूं। मैं स्त्री हूं। (कालकूट –…
ओस के मोतियों जड़ा एक हर बनाऊ मैं फलक के सितारों से तेरी मांग सजाऊंगा मैं । काली घटाओं से मांग लूं तेरी आंखों का…
‘इतना कुछ लिखा गया फितरत किताबी आ गई, ज़िंदगी के मंच पर जुर्रत खिताबी आ गई.. उंगलियाँ उठी तो अल्फाजों को ताकत मिल गई, सवाल…
कुछ खार जमाने में हर चमन में होते हैं, चुभते हैं जिस्म को लहूलुहान कर देते हैं, तो कुछ खार लफ्जों से घायल कर देते…
हे दीनबंधु,परमपिता परमात्मा, करते हम तुमसे बस यही प्रार्थना, सच्ची आजादी दिला दो तुम , एक ऐसा देश बन दो तुम। बेटियां जहां कोख में…
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