तेरी खुशी है किसमे
‘तेरी खुशी है किसमे, तय कर ये रज़ा अपनी परेशान हो गया हूँ, दुआ बदल-बदल के.. शायद के कोशिशों से, घुट जाए दम भी मेरा,…
संपादक की पसंद
‘तेरी खुशी है किसमे, तय कर ये रज़ा अपनी परेशान हो गया हूँ, दुआ बदल-बदल के.. शायद के कोशिशों से, घुट जाए दम भी मेरा,…
“गौर से देख तू इस दिल के उजड़े मंज़र को, है जो खंडहर कभी आबाद हुआ करता था.. वो जिसे ‘अदना सा शागिर्द’ लोग कहते…
अपने पन की बगिया है ,खुशहाली का द्वार जीवन भर की पूंजी है ,एक सुखी परिवार खुशहाली वह दीप है यारों ,हर कोई जलाना चाहता…
‘दिखा दिया ये तज़ुर्बा भी ज़िन्दगी ने हमें, हैं कितने शख्स ज़हर, और दवा है कितने.. न रोशनी को इल्म, न ही चिरागों को पता,…
‘यही चलन सा हो गया है अब ज़माने का, हो जो खुदगर्ज़ी तो एहसान घट ही जाता है.. रास्ता कौन बदलता है किसी की खातिर,…
‘बे-लौस किस ज़ुबाँ से कहें आज बशर को, साये में बैठकर भी काट डाला शजर को..’ – प्रयाग मायने : बे-लौस – नि:स्वार्थ बशर –…
सहनशीलता की तू देवी , हर किरदारों में ढल लेती, ‘मानुष’ तेरी महिमा का , करता गुणगान है , हे! सबला, तू महान है। अर्धांगिनी…
‘कुछ इस तरह ज़िन्दगी का फसाना बदल गया, वो क्या बदला कि सारा ज़माना बदल गया.. रिश्तों पर बेरूखी का असर कुछ यूँ हुआ, उसका…
पतन हाँ पतन पतन की शुरुआत कब होती है , जब घमंड की पराकाष्ठा होती है, जब अपने से काबिल कोई नहीं दिखता है आँख…
शिक्षक सम संसार में हितकारी ना कोइ। सकल सृष्टि के भाग्य का एक विधाता सोइ।। कहिए द्विज, शिक्षक, गुरु या कहिए उस्ताद। परमेश्वर को पूजिए…
श्याम का समय, बहुत जल्दी में थे वे लोग, तेज तेज कदमों में, अजीब सी हलचल, चेहरे पर रोनक, कुछ पाने की लालसा, एक के…
‘गाँव में हाथ, कई हाथ थामे रखते हैं, शहर में खींचने को सिर्फ पांँव होता है.. तरक्की कहने को कितनी ही की हो शहरों ने,…
‘ऐसे किरदार का यूँ भी है महकना वाजिब, कि नाम जिसका महज़ खुशबुओं से लिखा हो.. आखरी खत ये जो खाली सा नज़र आता है,…
‘तेरे खयाल से बस ये सवाल पूछा है, किसी तरह से यूँ खुद को संभाल, पूछा है नही मिला है जब, कोई हमें अयादत को,…
rajendrameshram619@gmail.com ************************ जलने दो हृदय की वेदना, विचलित मन से कैसे डरना | हो जीवन संताप दुखों का, फिर क्या जीना फिर क्या मरना ||…
गांव की ज़िन्दगी ,अब पहले जैसी नहीं जहाँ रिश्ते तो हैं ,वह मिठास नहीं जहाँ मिट्टी तो है ,पर खुशबू नहीं जहाँ तालाब तो है…
‘गुज़री कुछ यूँ कि अब तन्हाई से डर लगता है, हमें तो अपनी ही परछाई से डर लगता है.. गहराई अब तो समंदर की बेअसर…
अचानक से कर्ण में एक ध्वनि गूंजी , देखा तो भीड़ में कोई दम तोड़ रही थी, पालन हार अपनी जिंदगी की जंग लड़ रही…
बड़ी मुश्किल से बना हूँ टूट जाने के बाद, मैं आज भी रो देता हूँ मुस्कुराने के बाद.. तुझसे मोहब्बत थी मुझे बेइंतहां लेकिन, अक्सर…
रुकने नही दिया किसी की पलकों ने हमें, जब भी किसी की आँख का आँसू बने हैं हम..
स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- याद कर लो सभी आज उनको जिनके यत्नों से आजादी पाई, यह जन्मभूमि भारत हमारी उस गुलामी से मुक्ति ले…
हालत कुछ आज ऐसी बनी चलती जिंदगी से मौत उलझ गई, अकड़ कर वो कुछ यूं खड़ी मानो जिंदगी से बड़ी हो गई।। ऐ मौत,…
स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- हर देश – वासी की ज़ुबान पर, आज जय – हिन्द का नारा है। ना .डाले कोई बुरी नज़र, ये…
स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- बहुत सारी वनस्पतियों में, बस एक ही है वो जादुई पेड़! हरा -भरा ,घना -निराला, अलग-अलग सी कलियां उसकी, खुबसूरत…
मेरी वफाओं का खुलकर सिला दिया उसने, न रखा एक भी, हर खत जला दिया उसने.. ‘दूर होने का फैसला क्या खुद तुम्हारा है ?’…
स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- खुशी खूबसूरती और खैर- ख़ैरियत के साथ चलो मनाते हैं देश की स्वतंत्रता की वर्षगांठ । आजादी सौगात नहीं,अमर शहीदों…
स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:-
स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- कल ही लिपटे थे दामन से क्यूँ आज तिरंगा ओढ़ चले? दो कदम चले थे साथ अभी क्यों आज मुझे…
स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- कभी लहू तो कभी उनका कफ़न बन जाऊ स्वतंत्र दीप से जगमगाता हुआ चमन बन जाऊ ए आजादी तू घटा…
स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- दृढ़ निश्चय लेके निकले मुसीबत को निकाला जड़ से उखाड़ ये देश भक्त हुए दुनिया में विख्यात जब लहू से…
स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- कृतज्ञ देश है उन वीरों का जिसने लहू बहाया अपना देश की खातिर तन मन धन सब कुछ है लुटाया…
अध ढकें तन को छिपाए दुनिया के बाजार में गुमसुम सी बैठी एक नारी लोग आते हैं और रुक कर आगे बढ़ जाते हैं हो…
मैं बीता कल हूँ भले ही तुम्हारे लिए , पर किस के लिए तो आज हूँ मैं। तुम्हारी नजर में बेवफा हूँ। पर किसी वफ़ा…
आजकल बड़े पैतरे आजमाने लगे हो तुम! मुझसे दूर जाने के… इतनी समझ आई कहाँ से तुम में? पहले तो तुम बहुत नादान हुआ करते…
*15 अगस्त का महापर्व* कभी सोने की चिड़िया सा, ये हिंदुस्तान हमारा था ! जमी पर जैसे जन्नत था, जगत जग-मग सितारा था ! लुटेरों…
आजादी के जश्न में तो मनाता हर कोई है आजादी का मायना समझ सके तो कोई बात बने समाज जब संवेदनहीन हो जाये तब कोई…
जब भी कोई उम्मीद कभी, मेरे सर पर हाथ फिराती है .. माँ तेरी बहुत याद आती है.. माँ तेरी बहुत याद आती है.. कोई…
आदाब जहाँ के वास्ते बेशक कोई वरदान है भारत फरिश्तों के लिए भी आरज़ू-अरमान है भारत यहीं जन्मी है दुनियाँ की पुरानी सभ्यता यारो सभी…
जय हिन्द साथियो पहचान क्यों अलग सी है सारे जहान में सब सोचते ऐसा है क्या हिन्दोस्तान में है सभ्यता की मूल ये हिन्दोस्तां मेरा…
कविता- चादर —————— रुक रुक सुनले जरा फिर, फिर से मै आता हूँ| सर सर टप टप आंसू बहता , रिम झिम सावन जस होता||…
आओ ना चलो, बात करते है, ये खामोशी तुम्हारी जान ही ना लेले आओ ना चलो, बात करते है एक अरसा हुआ तुमको देखे हुए,…
ये बेबस सी दिखती है जो, ये उस निर्दोष की पत्नी है, जिसे संतों के संग कत्ल किया, ये उस खामोश की पत्नी है ।…
कविता :कुछ पल नीला आकाश ,आकाश में उड़ते पंक्षी सागर की लहरें ,लहरों पर चलती नाव रिमझिम बरसता पानी ,वो ओस की बूंदे मानो सब…
गम-ए-हयात की खातिर या किसी बात की खातिर, हम तो खामोश रहे इक नई शुरुआत की खातिर.. कुछ रहे पास, खुदा से ये भी बर्दाश्त…
मैं कब कहता हूँ फूलों की सेज मिले, मुझे तो कमल जैसी सुदृढ मन मिले l जो खिलता तो कीचड़ में है, पर दाग नहीं…
मैं भी तो नन्ही कली हूँ, तेरे अंदर ही पली हूँ तू ही तो ज़रिया है माँ, मैं तेरे कदमों से चली हूँ बस मुझे…
हुआ .गर विरोध तो क्या बिखर जाऊंगी? रफ़्तार करूं मैं दुगनी, और निखर जाऊंगी। जीवन में जीत हैं तो हार भी हैं, यही तो जीवन…
कविता- पहचान ——————– सुन्दरता मे सुन्दर हो, खुदा की बनाई मूरत हो, खुद पे इतना निर्भर हो, जब जब कोई समझाये अपने बच्चों को, बस…
वो आसां ज़िंदगी से जाके इतनी दूर बनता है, कई मजबूरियाँ मिलती हैं तब मजदूर बनता है । वो जब हालात के पाटों में पिसकर…
रात हो गई है बात हो गई है वर्षों से जिन में काफी दूरी बनी हुयी थी बिछुड़े दिलों में उनके मुलाक़ात हो गई है।…
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