मंज़र

“गौर से देख तू इस दिल के उजड़े मंज़र को, है जो खंडहर कभी आबाद हुआ करता था.. वो जिसे ‘अदना सा शागिर्द’ लोग कहते…

खुशहाली

अपने पन की बगिया है ,खुशहाली का द्वार जीवन भर की पूंजी है ,एक सुखी परिवार खुशहाली वह दीप है यारों ,हर कोई जलाना चाहता…

तज़ुर्बा

‘दिखा दिया ये तज़ुर्बा भी ज़िन्दगी ने हमें, हैं कितने शख्स ज़हर, और दवा है कितने.. न रोशनी को इल्म, न ही चिरागों को पता,…

बे-लौस

‘बे-लौस किस ज़ुबाँ से कहें आज बशर को, साये में बैठकर भी काट डाला शजर को..’ – प्रयाग मायने : बे-लौस – नि:स्वार्थ बशर –…

बदल गया

‘कुछ इस तरह ज़िन्दगी का फसाना बदल गया, वो क्या बदला कि सारा ज़माना बदल गया.. रिश्तों पर बेरूखी का असर कुछ यूँ हुआ, उसका…

पतन

पतन हाँ पतन पतन की शुरुआत कब होती है , जब घमंड की पराकाष्ठा होती है, जब अपने से काबिल कोई नहीं दिखता है आँख…

गाँव

‘गाँव में हाथ, कई हाथ थामे रखते हैं, शहर में खींचने को सिर्फ पांँव होता है.. तरक्की कहने को कितनी ही की हो शहरों ने,…

किरदार

‘ऐसे किरदार का यूँ भी है महकना वाजिब, कि नाम जिसका महज़ खुशबुओं से लिखा हो.. आखरी खत ये जो खाली सा नज़र आता है,…

अयादत

‘तेरे खयाल से बस ये सवाल पूछा है, किसी तरह से यूँ खुद को संभाल, पूछा है नही मिला है जब, कोई हमें अयादत को,…

दुर्लभ पेड़

स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- बहुत सारी वनस्पतियों में, बस एक ही है वो जादुई पेड़! हरा -भरा ,घना -निराला, अलग-अलग सी कलियां उसकी, खुबसूरत…

स्वतंत्रता की वर्षगांठ

स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- खुशी खूबसूरती और खैर- ख़ैरियत के साथ चलो मनाते हैं देश की स्वतंत्रता की वर्षगांठ । आजादी सौगात नहीं,अमर शहीदों…

आज़ादी

स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- दृढ़ निश्चय लेके निकले मुसीबत को निकाला जड़ से उखाड़ ये देश भक्त हुए दुनिया में विख्यात जब लहू से…

शहीद

स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- कृतज्ञ देश है उन वीरों का जिसने लहू बहाया अपना देश की खातिर तन मन धन सब कुछ है लुटाया…

व्यथा

अध ढकें तन को छिपाए दुनिया के बाजार में गुमसुम सी बैठी एक नारी लोग आते हैं और रुक कर आगे बढ़ जाते हैं हो…

Ghazal

जय हिन्द साथियो पहचान क्यों अलग सी है सारे जहान में सब सोचते ऐसा है क्या हिन्दोस्तान में है सभ्यता की मूल ये हिन्दोस्तां मेरा…

चादर

कविता- चादर —————— रुक रुक सुनले जरा फिर, फिर से मै आता हूँ| सर सर टप टप आंसू बहता , रिम झिम सावन जस होता||…

पालघर

ये बेबस सी दिखती है जो, ये उस निर्दोष की पत्नी है, जिसे संतों के संग कत्ल किया, ये उस खामोश की पत्नी है ।…

:कुछ पल

कविता :कुछ पल नीला आकाश ,आकाश में उड़ते पंक्षी सागर की लहरें ,लहरों पर चलती नाव रिमझिम बरसता पानी ,वो ओस की बूंदे मानो सब…

अभिलाषा

मैं कब कहता हूँ फूलों की सेज मिले, मुझे तो कमल जैसी सुदृढ मन मिले l जो खिलता तो कीचड़ में है, पर दाग नहीं…

बेटी

मैं भी तो नन्ही कली हूँ, तेरे अंदर ही पली हूँ तू ही तो ज़रिया है माँ, मैं तेरे कदमों से चली हूँ बस मुझे…

पहचान

कविता- पहचान ——————– सुन्दरता मे सुन्दर हो, खुदा की बनाई मूरत हो, खुद पे इतना निर्भर हो, जब जब कोई समझाये अपने बच्चों को, बस…

मजदूर

वो आसां ज़िंदगी से जाके इतनी दूर बनता है, कई मजबूरियाँ मिलती हैं तब मजदूर बनता है । वो जब हालात के पाटों में पिसकर…

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