क्यों
रक्त रंग जब एक सा है है सूरत सबकी एक सी फिर क्यों बाँटी है मानवता ,क्यों सरहद की लकीरें खींची हैं क्या ईश्वर ने…
संपादक की पसंद
रक्त रंग जब एक सा है है सूरत सबकी एक सी फिर क्यों बाँटी है मानवता ,क्यों सरहद की लकीरें खींची हैं क्या ईश्वर ने…
‘कुछ मुझमे सीरत है तेरी, कुछ तुझमे अब है असर मेरा.. तू रह गुज़र सी है मुझमे, सब तुझसे ही है बसर मेरा.. कभी सफर…
रिम झिम बर्षा बरसे जा भीतर का सारा जल उड़ेल दे , ऐसे उड़ेल दे कि ऊपर की परत छिन्न-भिन्न न होने पाये तेरा प्रवाह…
कुछ इस तरह रिश्ते का मान रह जाए, तेरी राखी में बंधके मेरी आन रह जाए.. तेरे बाँधे हुए धागे की गाँठ जो छूटे, मुद्दत्तों…
याद आता है मुझको अपना गांव, वो बड़ा सा आंगन, वो नीम की छांव। बारिश के पानी में, चलती थी कागज़ की नाव, ख़ूब खेलते…
ये नशा जो युवाओं के रक्त में घुल रहा है चलती फिरती लाशों का ये जहान हो रहा है जीवन की बगिया में खिलते पुष्पों…
चाशनी सी मीठी है ये बचपन की यादें ये अक्सर लिपट जाती है सीने से आके और खिलखिला के पूछती है की ऐसा क्या पाया…
कान्हा तेरो स्वागत है बारम्बार ! जनमाष्टमी आए सबके जीवन में हर बार ! मोर मुकुट तेरो सिर पे सोहे तू जन -जन के मन…
कहीं खो गया है आभासी दुनिया में आदमी झुंठलाने लगा है अपनी वास्तविकता को आदमी परहित को भूलकर स्वहित में लगा है आदमी मीठा बोलकर…
फूलों ने जब साथ दिया, मैं भी महकना सीख गया चिड़ियों ने जब साथ दिया, मैं भी चहकना सीख गया चलना गिरना, गिरकर चलना, लगा…
पतंग को देख कर आज उड़ने को मन हुआ फिर पैरों में पड़ी जंजीर देखकर मन थम गया
रात थी गहरी, काली, अंधियारी जब जन्मे थे, गोपाल – गिरधारी। भाद्रपद का मास था, कृष्णा पक्ष की अष्टमी, दिन, उस दिन बुधवार था, नक्षत्र…
इंसान एक कठपुतली है ,जो वक्त के हाथों चलती है आती जाती सांसों पर ,वक्त की गिनती रहती है वक्त जब अंगड़ाई लेता है ,सूर्य…
यशोदा प्यारे कृष्ण कहें यशोदा मैया कान पकड़ कान्हा से तंग हुई मैं लल्ला अब तेरे शरारत से सुनो लल्ला माखन चोरी की आदत छोड़ो…
*कृष्ण लीला* तू दधि चोर तो; तोही न छोडूं, पकड़ बांह तोरे; कान मरोड़ूँ ! लल्ला मेरो मोही हिय ते प्यारा तोसे कुढ़त गोकुल ब्रिज…
ओ मैया! मोरी पीर बड़ी दुखदायी सब कहें मोहे नटवर-नागर माखनचोर कन्हाई। तेरो लाला बरबस नटखट कब लघि बात छपाई। ओ मैया! तेरो कान्हा माखन…
बहुत ढूंढा, बहुत कोशिश की, बहुत आवाज लगाई। लेकिन वह वापस ना आया, वह बचपन था मेरे भाई। गांव की गलियों में खेलना, कूदना, दौड़ना,…
दानव तो है, यूं ही बदनाम ग्रंथ-पुराणों में , मैंने देखा है,शैतान! इंसानों में। रूह कांप जाए; हृदय फट जाए, हैवानियत की हदें पैर फैलाए।…
छूप छूप के खाये माखन है ये माखन चोर बड़ा नटखट है प्यारा नंद किशोर घुसे घर में मित्रो के संग देखी माखन की मटकी…
चलो कुछ नया करते हैं, लहरों के अनुकूल सभी तैरते, चलो हम लहरों के प्रतिकूल तैरते हैं , लहरों में आशियाना बनाते हैं, किसी की…
पहली मुलाक़ात थी अधूरी सी दूजी को हम तरस रहे, भूल ना रहे उन लम्हों को बादल प्रेम के उमड़ रहे।। भूखे- प्यासे हम भटक…
गरीबी एक एहसास है, इसमें एक मीठी सी दर्द है, रोज़ की दर्द में भी संतोष छिपी है, फकीरी में अमीरी का एहसास है, शायद…
मेरा वजूद भी तेरा ———***——- मेरा वजूद भी कहाँ रहा मेरा इसपर चढ़ा हर रंग तुम्हारा है । छूटे माँ पापा, कहाँ मैका अब मेरा…
कविता- माखन ———————— नटखट लाला नयनो के तारा, छोड़ दे तू सब काम निराला| मैं सह लूंगी बात तुम्हारी, आए शिकायत रोज तुम्हारी| सुन सुन…
39: बहना की मुराद ************* बहना की मुराद हुई पूरी भाई का आना था जरूरी बरसों से चाह थी उस सावन की जिसकी पूर्णमासी को…
पकड़ मत कान री मैया कसम कुण्डल की खाऊँ मैं। शिकायत कर रही झूठी कहानी सच की बताऊँ मैं ।। करूँ क्यों मैं भला चोरी…
46: अरमान ———***—– विभिन्न धर्मों की मिली-जुली गूंज सदियों से हमारी माटी के कण-कण में विद्यमान है । हमसब के मन-मन्दिर में बसते, जन-गण के…
कुछ तो शर्म करो, लाज रखो निज राष्ट्र की कुछ तो शर्म करो, लाज रखो निज राष्ट्र की मर्यादा राम की इस भू पे सीता…
रिश्तों के बाजार में अब तो नाते बिकते हैं । मात-पिता को छोड़ अब वह सुत प्यारा, अब तो सास श्वसुर के पास रहते हैं…
मोहक छवि है कैसी, मनभावन कान्हा चितचोर की। माखनचोरी की लीला करते ब्रिज के माखनचोर की।। वसुदेव के सुत, जो वासुदेव कहाते थे नन्द बाबा…
भ्रम हुआ है तुमको, मैया ! भोला तेरा कृष्ण कन्हैया, माखन नहीं चुरायों है। लांछन लगाएं ब्रजबाला, ग्वालिन बड़ी ही सयानी चपला, मुझको बहुत नचायों…
प्रियतमे तेरे स्वरूप का कैसे वर्णन करूँ अब मैं, सब उपमान सुंदरता के आ गए पूर्व की कविता में। काले बादल से सुन्दर बाल, कमल…
मां मैं तुमसे कुछ आज कहूँ। जग से प्यारी तुम मेरी मइया, नंदबाबा का मै अनमोल कन्हैया, फिर क्यू दाऊ है मुझे चिढाए , मैं…
मात हमारी यशोदा प्यारी,सुनले मोहे कहे गिरिधारी नहीं माखन मैनु निरखत है,झूठ कहत हैं ग्वालननारी। मैं तेरो भोला लला हूँ माता,मुझे कहाँ चुरवन है आत…
ओ कान्हा तूने फ़िर से माखन खाया , तोड़ दी हांडी , सारा माखन भी गिराया….. क्यों करता है तू , इतनी कुबद रे क्यों…
अहिल्या पत्थर बनायी जाती है —————******—————— करनी किसी की भी हो,सतायी नारी जाती है । हवस हो इन्द्र की,अहिल्या पत्थर बनायी जाती है ।। युग…
एक रात की बात बताऊं मित्रों , मेरे घर पर आए चोर । थी मैं अकेली उस दिन घर पर, मुझ पर आज़माने लग गए…
आज तुम्हारी फोटो देखी जब मैनें स्टेटस पे। मेरे चेहरे पर ग्लो आया जैसे आता है फोकस से। मुझसे राखी बंधवाने की खातिर लेकिन जब…
तू मुझे चाह ले संवर जाऊं।। या कहे टूट कर बिखर जाऊं।। रास्ता कौन मेरा तकता है लौटकर किसलिए मैं घर जाऊं।। तू सफ़र में…
सौ बार सरे-राह सफ़र छोड़ना पड़ा।। मंज़िल पे हर परिन्द को पर छोड़ना पड़ा।। पुश्तैनी घर की जब मेरे दहलीज़ गिर पड़ी घर को बचाने…
तुम्हारी राह देखकर ही तो मैं टूट गई हर रिश्ते से ऊपर था तू तेरे इश्क में मैं मगरूर हुई तेरे इश्क का चंदन घिसकर…
जिंदगी में मुकाम और भी हैं मंज़िल एक है पर रास्ते और भी हैं। कितनी छोटी है जीवन की चादर पैर पसारने के आसमान और…
कहते हैं नारी पानी-सी होती है जिस रिश्ते में बंधती है उसी की हो जाती है। पर प्रज्ञा की यही वेदना है क्या नारी का…
कैसे और किससे करें हम जिक्र ए गम, लफ़्ज दबे बैठे हैं, उनको भी है ये भ्रम।। सुनने को कोई उनको शायद ही यहां रुकेगा,…
थोड़ी मोहलत मांगता हु रब बस एक बार उनका दीदार हो जाए फासले जो फैसलों की वजह से थे बस उस पर सुलह हो जाए…
ओ !! प्रियतम मेरे तू ही बता, मेरा मन इतना विचलित क्यों ? मैं सच के पथ से विचलित क्यों ? जो दर्द उठाता कल…
आज हम कहाँ और कहाँ है हमारी संवेदना भूल गयें अपनों को,कहाँ कैसी है वेदना ।। भूल बैठे उन भावनाओं को जब किसी मृत के…
मत समझना कि नादान कवि हूँ बहकी बहकी सी कविता कहूंगा जिस तरफ बह रही हो हवा धूल सा उस दिशा को बहूँगा। राज दरबार…
लम्बे- लम्बे हो गए दिन , रात समुन्दर जैसी हैं , तेरे बिन; इश्क के मंजर में, हालत बंजर जैसी हैं । किया है तूमने…
समय पतंग की डोर जैसी l मांजा बड़ी तेज है l किसकी पतंग काट जाए विश्वास नहीं l कभी राजा संग कभी रंक संग l…
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