क्यों

रक्त रंग जब एक सा है है सूरत सबकी एक सी फिर क्यों बाँटी है मानवता ,क्यों सरहद की लकीरें खींची हैं क्या ईश्वर ने…

रक्षाबंधन

कुछ इस तरह रिश्ते का मान रह जाए, तेरी राखी में बंधके मेरी आन रह जाए.. तेरे बाँधे हुए धागे की गाँठ जो छूटे, मुद्दत्तों…

नशा

ये नशा जो युवाओं के रक्त में घुल रहा है चलती फिरती लाशों का ये जहान हो रहा है जीवन की बगिया में खिलते पुष्पों…

बचपन

फूलों ने जब साथ दिया, मैं भी महकना सीख गया चिड़ियों ने जब साथ दिया, मैं भी चहकना सीख गया चलना गिरना, गिरकर चलना, लगा…

कृष्णा- जन्म

रात थी गहरी, काली, अंधियारी जब जन्मे थे, गोपाल – गिरधारी। भाद्रपद का मास था, कृष्णा पक्ष की अष्टमी, दिन, उस दिन बुधवार था, नक्षत्र…

वक़्त

इंसान एक कठपुतली है ,जो वक्त के हाथों चलती है आती जाती सांसों पर ,वक्त की गिनती रहती है वक्त जब अंगड़ाई लेता है ,सूर्य…

ओ मैया! मोरी

ओ मैया! मोरी पीर बड़ी दुखदायी सब कहें मोहे नटवर-नागर माखनचोर कन्हाई। तेरो लाला बरबस नटखट कब लघि बात छपाई। ओ मैया! तेरो कान्हा माखन…

अपना गांव

बहुत ढूंढा, बहुत कोशिश की, बहुत आवाज लगाई। लेकिन वह वापस ना आया, वह बचपन था मेरे भाई। गांव की गलियों में खेलना, कूदना, दौड़ना,…

मैंने देखा है ,शैतान ! इंसानों में

दानव तो है, यूं ही बदनाम ग्रंथ-पुराणों में , मैंने देखा है,शैतान! इंसानों में। रूह कांप जाए; हृदय फट जाए, हैवानियत की हदें पैर फैलाए‌।…

माखन चोर 🙏

छूप छूप के खाये माखन है ये माखन चोर बड़ा नटखट है प्यारा नंद किशोर घुसे घर में मित्रो के संग देखी माखन की मटकी…

कुछ नया करते

चलो कुछ नया करते हैं, लहरों के अनुकूल सभी तैरते, चलो हम लहरों के प्रतिकूल तैरते हैं , लहरों में आशियाना बनाते हैं, किसी की…

गरीबी

गरीबी एक एहसास है, इसमें एक मीठी सी दर्द है, रोज़ की दर्द में भी संतोष छिपी है, फकीरी में अमीरी का एहसास है, शायद…

माखन

कविता- माखन ———————— नटखट लाला नयनो के तारा, छोड़ दे तू सब काम निराला| मैं सह लूंगी बात तुम्हारी, आए शिकायत रोज तुम्हारी| सुन सुन…

अरमान हमारे

46: अरमान ———***—– विभिन्न धर्मों की मिली-जुली गूंज सदियों से हमारी माटी के कण-कण में विद्यमान है । हमसब के मन-मन्दिर में बसते, जन-गण के…

चितचोर

मोहक छवि है कैसी, मनभावन कान्हा चितचोर की। माखनचोरी की लीला करते ब्रिज के माखनचोर की।। वसुदेव के सुत, जो वासुदेव कहाते थे नन्द बाबा…

मां

मां मैं तुमसे कुछ आज कहूँ। जग से प्यारी तुम मेरी मइया, नंदबाबा का मै अनमोल कन्हैया, फिर क्यू दाऊ है मुझे चिढाए , मैं…

माखनचोर

मात हमारी यशोदा प्यारी,सुनले मोहे कहे गिरिधारी नहीं माखन मैनु निरखत है,झूठ कहत हैं ग्वालननारी। मैं तेरो भोला लला हूँ माता,मुझे कहाँ चुरवन है आत…

तू मुझे चाह ले

तू मुझे चाह ले संवर जाऊं।। या कहे टूट कर बिखर जाऊं।। रास्ता कौन मेरा तकता है लौटकर किसलिए मैं घर जाऊं।। तू सफ़र में…

मेरे लफ्ज़

कैसे और किससे करें हम जिक्र ए गम, लफ़्ज दबे बैठे हैं, उनको भी है ये भ्रम।। सुनने को कोई उनको शायद ही यहां रुकेगा,…

मोहलत

थोड़ी मोहलत मांगता हु रब बस एक बार उनका दीदार हो जाए फासले जो फैसलों की वजह से थे बस उस पर सुलह हो जाए…

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