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मुक्तक 1

मोहब्बत के सवालों से मैं अक्सर अब मुकर जाता , कहीं बातो ही बातों में मैं कुछ कहकर ठहर जाता..  कि तेरा नाम भूले से…

मुक्तक2

हो गयी मुद्दत  तुम्हारे सामने आया ही नहीं , है मगर सच ये कभी तुमने बुलाया ही नहीं. अब तो सांसो पर मेरे पहरा तुम्हारा…

मुक्तक 3

खड़ी है जिंदगी फिर पूछती घर का पता क्या है, मुझे याद नहीं है मीर तू ही जाकर बता क्या है.. बड़ी मुश्किल है बेचारी…

मुक्तक 5

जिंदगी बीत जाती है किसी को चाह कर कैसे?  कोई  बतलाये  तो मुझको मैं जीना भूल बैठा हूँ… अदा भी तुम ,कज़ा भी तुम ,मेरे…

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