वीर

छोड़कर घर अपना ,
सीने पर झेली गोली

बहा अपने लहू को ,
ली बचा मांगों की रोली

-विनीता श्रीवास्तव (नीरजा नीर)-

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वीर

छोड़ कर घरबार अपना, सीने पर गोली झेली बहा के अपने रक्त को, बचा ली मांगों की रोली खेल सकें हम सब होली, सीने पर…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

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