मंज़िल
मंज़िल
मुस्कुराते हुए तुम चलते चलो,
गुनगुनाते तुम बढ़ते चलो,
मंज़िल तुम्हारा इंतज़ार कर रही है हर मोड़ पर,
तुम बस कदम संभाले चलते चलो,
रास्ता मुश्किल जितना होगा, उतना सुन्दर परिणाम मिलेगा,
ये बात जाने तुम बढ़ते चलो।
बहुत मिलेँगे मंज़िल ऐ मुसाफिर तुम्हे ,
तुम बस देख उन्हें अपने कदम बढ़ाते चलो ,
सुन्ना है रास्ते भी इंतज़ार करते है,
बंजारों का, बस तुम खिल-खिलाते हुए हाथ बढ़ाते चलते चलो।
nice one bro!