Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
बूंद बूंद बूंदें।
बूंद बूंद बूंदें बूंद बूंद बूंदें बूंद बूंद बरसती है , आंखों से मेरी । तूने क्यों की रुसवाई , जज्बातों से मेरे। बूंद बूंद…
रिश्तों के बाजार में अब तो नाते बिकते हैं ।
रिश्तों के बाजार में अब तो नाते बिकते हैं । मात-पिता को छोड़ अब वह सुत प्यारा, अब तो सास श्वसुर के पास रहते हैं…
दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
Very nice
Thank you very much
सुन्दर रचना
धन्यवादः
Sundar
धन्यवाद
Nice
Thanks
Nice
Thanks
Wah
Thanks
बढ़िया
ਧਨਵਾਦ
सही कहा