मासूम सी ख्वाहिश

September 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मासूम सी ख्वाहिश है इस ज़िन्दगी से,
छोटी सी फरमाइश है इस ज़िन्दगी से।
ना मांगे चांद,सितारे हम, मिले ना कभी कोई गम..
होती रहे खुशियों की बारिश, इस ज़िन्दगी में।
बहुत कश्मकश रहीं इस ज़िन्दगी में,
बहुत कुछ मिला भी, इस ज़िन्दगी में।
थोड़ा सा गिला भी, इस ज़िन्दगी से
बस…थोड़ा है, थोड़े की जरूरत है इस ज़िन्दगी से।

व्यथित मन

September 13, 2020 in मुक्तक

घबरा जाती हूं, विवादों से,
व्यथित हो उठता है मन,।
शांत हो पाती हूं एकान्त से,
करती हूं दूर ऐसे टेंशन ।

प्रतीक्षा

September 11, 2020 in मुक्तक

नव – प्रभात है बीती निशा ,
जागो कोई कर रहा प्रतीक्षा ।
धूप खिली है, सब पंछी भी उठ गए,
अब रैन कहां जो सोए हो।

मेरी कविता..

September 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सावन पर कविताओं की बहार छाई है
मेरी कविता अभी तो ना तैयार होके आई है।
कहती है थोड़ा और बन संवर लूं …
अच्छी सी दिखूंगी थोड़ा और निखर लूं ।
सब को लिखते देख ,मेरा मन मचल उठा,
कविता बोली रुक जा, अभी बहुत रात हो आई है ।
………….✍️गीता…..

मेरा गुरूर

September 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं अंतर्मुखी हूं,
इसीलिए कभी – कभी कुछ दुखी हूं,
और कभी – कभी कुछ सुखी हूं ।
बोलने से पहले तौलती हूं,
यदा – कदा मन का कह नहीं पाती,
तो थोड़ी खौलती हूं ।
कोई कहे ख़ामोश मुझे,
कोई कहे मगरूर हूं..
मगरुर तो नहीं हूं, मगर मैं मेरा ही गुरूर हूं।
………..✍️ गीता..

दो तरह के लोग..

September 9, 2020 in मुक्तक

” गीता” इस संसार में, दो तरह के लोग,
परवाह नहीं इस भयंकर रोग की, भागे फिरते रोज़ ।
दूजे वाले डरकर रहते, घर से बाहर कम निकलते,
मगर मज़े की बात देखो, …….
दोनों ही एक – दूजे को बेवकूफ़ हैं समझते
……….✍️ गीता..

सीधे – टेढ़े रास्ते..

September 9, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कलियुग ही सही, मुझे सीधे रस्ते चलने दे,
सतयुग न सही ,मुझे टेढ़े रस्ते रास नहीं आते हैं।
……………✍️गीता..

बिट्टू की ब्लैक मेलिंग

September 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बिट्टू लेता था आंखे मींचे,
मैंने सोचा सोया है वो।
मैंने एक सखी को फ़ोन लगाया,
सुबह पति से हुई लड़ाई का सारा वृतांत सुनाया ।
फोन रख के जब मैं पलटी,
बिट्टू मुझको घूर रहा था।
अरे , क्या हुआ तू तो सो रहा था।
बोला, पापा को सब बताऊंगा,
आंटी से क्या – क्या बोला है
सब उनको सुनाऊंगा ।
मैंने कहा, नहीं बेटा चुगली नहीं करते हैं।
तो आप क्या कर रही थी…….
तब से बिट्टू ख़ूब आइसक्रीम,चॉकलेट खाए जा रहा है।
और मेरी बचत के पैसे उड़ाए जा रहा है।

मेरे भाई की शादी…

September 8, 2020 in लघुकथा

बात 4-5 साल पहले की है। मेरे छोटे भाई ने एक लड़की पसंद कर ली। लड़की विजातीय थी, बस घर में कोहराम मच गया।
जो चाचा,मामा फूफा मेरे भाई पर लाड लुटाते थे, मानो उसके दुश्मन बन गए। भाई ने लड़की से मुझे मिलवा रखा था ।बड़ी क्यूट सी लड़की थी,मुझे तो पसंद थी। मम्मी पापा सब बिचारे के पीछे पड़ गए। जब मैने पक्ष लिया तो मुझे कहा लड़की, तुम चुप रहो।
भाई जो अभी तक गर्दन झुकाए बैठा था, बोला…क्यूं चुप रहेगी वो बड़ी बेटी है इस घर की, शादी हो गई तो क्या पराई हो गई । मैं उसका भाई हूं, और मेरे मामले में वो बोल सकती है। फ़िर तो भैया, भाई ने कवि “कुमार विश्वास’ जी की पंक्तियां गानी शुरू कर दी….”बड़े ही चाव से सुनते हो, तुम किस्से मोहब्बत के, मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा, तो हंगामा”……बस , फिर क्या था सब एक दूसरे का मुंह देखने लगे बस फिर हो गईं दलीलें शुरू, लड़की देखेंगे, उसका खानदान देखेंगे । भाई बोला हां- हां सब देख लेना।…..बस लड़की पसंद आ गई सबको। ख़ूब धूमधाम से शादी हुई। आज मेरी भाभी सबकी लाडली बन के रहती है।

ख़ुदा का साथ

September 8, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जिसके साथ कोई घात होता है,
यकीनन ख़ुदा उसके साथ होता है।

परछाइयां

September 8, 2020 in शेर-ओ-शायरी

वक्त की कद्र ,न करते कुछ लोग।
बस ,परछाइयों के पीछे भागते रहते हैं।

जीत का परचम

September 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

नारी हो निराशा नहीं,
टूटे ना तेरी आशा कहीं,।
निशा है तो नव – प्रभात भी आएगा ।
तेरी जीत का परचम लहरएगा ।
खोखले, ढकोसले, न तुझे रुलाएं,
खुदी को कर बुलंद इतना,
कि हवा भी पूछ के आए ।

जीत

September 8, 2020 in शेर-ओ-शायरी

खैरात में दे दी है हमने ,अपनी जीत किसी को,
लोगों को लगा ,हम हार के आ गए।

ये तन्हाइयां

September 8, 2020 in शेर-ओ-शायरी

ख़त्म हो जाएंगी एक दिन ये तन्हाइयां,
मिल जाएगी मंज़िल, दूर होंगी रुसवाईयां..

तुम नारी हो

September 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम नारी हो, यूं अबला न बनो ।
दुर्गा – अवतारी हो, सबला तो बनो ।
बीती बातों को छोड़ परे,
आगे के रस्ते तय तो करो ।
रस्ता था, कांटो वाला बीत गया
रस्ता अब , फूलों वाला आएगा ।
जीवन में तेरे ए, प्यारी सखी,
कोई सुखद संदेशा लाएगा ।
सौगंध तुम्हे तुम ना हारोगी,
भीतर की उदासीनता मारोगी ।

अनमोल है वक्त

September 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वक्त अनमोल है, ना कोई इसका मोल है ।
मुफ़्त में मिले, कुदरत से, इसकी कीमत पहचान ।
गर तू करेगा वक्त की कद्र…….
तो वक्त भी तेरी कद्र करेगा ऐ इन्सान ।
जीवन जी जा, बस सोच ले….
वक्त से ही चलता ये जहान ।
वक्त ने किया उजला जब- जब अंधेरा हो गया ।
वक्त को गंवाना नहीं, बस वक्त तेरा हो गया ।

ख़ूबसूरत है दोस्ती

September 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बहुत ही ख़ूबसूरत होती है दोस्ती,
निज स्वार्थ से ऊपर होती है दोस्ती।
कुछ रिश्ते मिलते हैं, हमें जन्म से,
कुछ रिश्ते मिलते हैं, समाज की रीत से
मगर निज चुनाव पर होती है दोस्ती ।
इसीलिए तो सबसे उपर होती है दोस्ती..
……………✍️गीता……

सतयुग और कलियुग

September 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सतयुग में ऋषि – मुनि करते थे हवन,
ताकि, ना रहें कीटाणु, शुद्ध हो वातावरण ।
कलियुग में ऋषि – मुनियों का भेष बनाकर,
बैठे हैं कुछ पाखंडी…………………..
इनसे बचकर रहना मनुज, जाग सके तो जाग,
हवन, पूजा कुछ आता नहीं, बस लगवालो आग ..

विनम्रता की पराकाष्ठा

September 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मां और पत्नी दोनों गुरू,
दोनों से नव-जीवन शुरू।
मां कहे , पत्नी सिखाती,
पत्नी कहे, मां सिखाती ।
विनम्रता की पराकाष्ठा देखो,
सिखाने का श्रेय एक-दूजे को दिलाती
✍️…गीता

कोरोना की बीमारी

September 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये कोरोना की बीमारी,
ना इंसान से डरी ना हारी ।
इसने इतने सबक सिखाए ,
ज़िन्दगी में किसी ने नहीं सिखाए ।
कोई कहे काढ़ा पीलो, कोई जड़ी – बूटी बताए ।
तुक्का मार रहें है ऐसे……
जैसे परीक्षा में कोई प्रश्न “आऊट ऑफ सलेबस” आए ।
तौबा है इससे , कोई तो इसकी वैक्सीन बनाए ।
घर में दुबके बैठे हैं, कोई इतना भी ना सताए ।

झूठी है औरत

September 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हां, झूठी है औरत,
अपनी ख्वाहिश तक ही नहीं सीमित,
औरों के लिए जगे रात तक
हां, झूठी है औरत।
मायके की तारीफ़ करे ससुराल में,
ससुराल की कमी ,ना बताए किसी हाल में।
कोशिश करती है , छिपा सकती है जब तक
हां …. बहुत झूठी है औरत ।
पति से कहे मेरा भाई दमदार है,
भाई से कहती पति शानदार है ।
यही तो करती आई है अब तक,
हां जी, … बहुत झूठी है औरत ।।

जल – धारा

September 6, 2020 in मुक्तक

कुंदन सी निखर गई,
टूटे मोती सी बिखर गई।
अंतर्मुखी सब कहने लगे,
सबका कहना सह गई मैं,
जल – धारा सी बह गई मैं ।

जज़्बाते – दिल

September 6, 2020 in शेर-ओ-शायरी

अजीब सी है ये ज़िन्दगी,
कभी, फूलों सी कोमल लगी।
कभी शमशीर की धार हुई,
दिल के जज्बातों को जब- जब किया बयां,
एक कविता हर बार हुई ।

ज़िन्दगी

September 6, 2020 in शेर-ओ-शायरी

ऐ ज़िन्दगी सुन, शिक्षक दिवस मुबारक हो,
तू भी मेरी गुरू है, बहुत कुछ सिखा दिया ।

तमाशा

September 6, 2020 in शेर-ओ-शायरी

तराशने वालों ने, पत्थर को भी तराशा है,
नदानों के आगे हुआ, हीरे का भी तमाशा है।

आदत

September 6, 2020 in शेर-ओ-शायरी

अच्छे इंसान की भी एक आदत बुरी पाई,
हर किसी को समझा अच्छा, बस यही मार खाई ।

मेरी सखी

September 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज फ़िर याद आई वो,
एक सखी मेरे बचपन की ।
जब भी मैं उसके घर जाती थी,
कई – कई घंटे बिताती थी ।
समय का पता ही ना चलता था,
छुट्टी का दिन , उसके बिन ,बड़ा खलता था ।
और आज ये आलम है कि…..
गुज़र जाते हैं कई – कई महीने, कई – कई साल,
जान ना पाते एक – दूजे का हाल ।
वो यादें मेरी अमानत, मेरी थाती हैं,
इसीलिए, मुझे बहुत याद आती हैं।

जवाब

September 6, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हर क्यूं का जवाब नहीं होता,
हर जवाब लाजवाब नहीं होता ।
यूं तो हम ख्वाब देखते हैं बहुत सारे,
पर, हर ख्वाब तो पूरा नहीं होता ।

उम्मीद

September 6, 2020 in मुक्तक

उम्मीद की लौ रोशन रहे,
ये जीवन जीने की चाह कहे।
ना हो कभी ना उम्मीद मनुज,
अवसाद की पीड़ा भी ना सहे।

झांकते बादल

September 5, 2020 in शेर-ओ-शायरी

तेरी खिड़की से झांकते बादल,
तेरे हाथों में चलती कलम ।
बड़ी ही अद्भुत लगती हमें,
कुछ लिखते ही रहते हो हरदम ।

कलम कहे

September 5, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कलम कहती है,बोल दूं,
क्या राज़ दिलों के खोल दूं।
“गीता” चाहे वो मौन रहे,
नज़र लग जाती है, कौन कहे।

सावन की रिमझिम बूंदें

September 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सावन की रिमझिम बूंदों में,
भीगे तुम भी, भीगे हम भी
भीग गया है तन – मन सारा।
नभ से मेघा जल बरसाते,
धरती को हैं सरस बनाते
गीले हैं आगे के रस्ते।
अरे! अरे, आगे फिसलन है,
ज़रा संभलकर, हाथ पकड़कर
फिसल ना जाए पांव हमारा।
पवन तेज़ है, छतरी भी उड़ गई
कैसे पहुंचें अभी दूर है, लक्ष्य हमारा।

भगवान की लीला

September 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हास्य- कविता

सत्य – नारायण जी की पूजा थी,
शर्मा जी के धाम।
गुप्ता जी भी पहुंच गए,
छोड़ के सारे काम।
आरती के समय सामने,
जब थाली आई,
डाला दस रुपए का फटा नोट,
लोगों से नजर बचाई।
भीड़ ज़रा कुछ ज़्यादा थी,
अब निकालने को आमादा थी।
तभी पीछे से एक आंटी ने,
उनका कंधा थपथपाया।
और गुप्ता जी को ,
2000 का कड़क नोट थमाया।
गुप्ता जी ने हाथ जोड़,
थाली में नोट चढ़ाया।
प्रशाद ले अपना कदम भी,
घर की ओर बढ़ाया ।
देख के ये सारी घटना,
आंटी थोड़ी सी मुस्कुराई।
केवल दस का नोट चढ़ाने पर,
गुप्ता जी को थोड़ी लज्जा भी आई।
बाहर निकल कर आंटी ने,
गुप्ता जी को बतलाया..
दस का नोट निकलते वक्त ,
तुमने 2000 का नीचे गिराया
वो ही नोट था मैनें तुम्हे थमाया।
यह सुनकर गुप्ता जी को,
चक्कर आ रहे हैं।
कल से अब तक गुप्ता जी कुछ नहींं खा रहे हैं।

गुरू की महिमा

September 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

गुरू की महिमा का मैं,
कैसे करूं बखान ।
गुरू से ही तो किया है,
ये सब अर्जित ज्ञान।
ऐसा कोई कागज़ नहीं,
जिसमे वो शब्द समाएं।
ऐसी कोई स्याही नहीं,
जिससे सारे गुरू – गुण लिखे जाएं
वाणी भी कितना बोलेगी,
कितनी कलम चलाऊं।
दूर – दूर तक सोचूं जितना भी,
गुरू – गुण लिख ना पाऊं।
गुरू के गुण असीमित भंडार,
गुरू ने ही किया बेड़ा पार
मात – पिता इस दुनियां में लाए,
गुरू ने यहां के तौर – तरीक़े सिखाए।
बिना ज्ञान के क्या जीवन कुछ है?
बिना गुरू के हम तुच्छ है।
प्रातः वंदन,मेरे गुरुओं को मेरा अभिनन्दन,
बना दिया जिन्होंने इस जीवन को चंदन।

साजिशें

September 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

साजिशें भी थीं, सामने गुनहगार भी थे।
जवाब हमारे पास, तैयार भी थे।
हम चुप रह कर सब सहते रहे,
थोड़े नादान ही सही हम,मगर
थोड़े समझदार भी थे।

विश्वास

September 3, 2020 in मुक्तक

विश्वास में विष भी है, और आस भी है।
धोखा मिले या घात,ये तो अपने नसीब की बात है

अच्छा लगा

September 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज धरा से मिला आकाश ,तो अच्छा लगा।
नन्हीं – नन्हीं बूंदों से हरी हो गई घास ,तो अच्छा लगा।
तल्ख़ हो जाए ,कुछ बातों से जब दिल,
कोई दे जाए बातों की मिठास , तो अच्छा लगा।
यूं ही तो कोई किसी की परवाह नहीं करता,
कोई दिलाए “ख़ास” का एहसास, तो अच्छा लगा ।

सलाम

September 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

तेरी दुआओं को सलाम,
तेरी वफाओं को सलाम।
तेरे दर से जो आई,
उन हवाओं को सलाम।

करुण कथा मेहनतकश की

September 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कुछ तो बेबसी रही होगी,
जो राहों पर निकल पड़ा मज़दूर।
ना साधन है ना रोटी है,,
निज घर जाने को मजबूर।
कुछ सपने लेकर आया था शहर,
वो सपने हो गए चकनाचूर ।
कड़ी धूप है, ना कोई छाया,
कब से इसने कुछ नहीं खाया।
भूखा कब तक मरे यहां,
घर भी तो है कोसों दूर।
फ़िर भी बच्चों को ले निकल पड़ा,
बेबस है कितना मज़दूर ।
किसी ने अपना बालक खोया,
किसी का उजड़ा है सिन्दूर।
करुण – कथा सुन,मेहनतकश की व्यथा सुन,
पलकें भीगेंगी ज़रूर 😥

बरखा की फुहार

September 2, 2020 in गीत

तपती धरती पर पड़े, जब बरखा की फुहार,
सोंधी सुगन्ध से महके धरती, ठंडी चले बयार।
मयूर नाचे झूम – झूम कर, बुलबुल राग सुनाए,
तितली प्यारी आए सैर को, कोयल कुहू – कुहू गाए।
मधुकर की मीठी गुंजन है, पपीहा गाए राग – मल्हार,
तपती धरती पर पड़े जब बरखा की फुहार…..

ज़िन्दगी की रीत

September 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

अपनों का साथ मिले तो,
हार में भी जीत है।
अपनों का साथ हो तो,
हर दिवस ख़ुशी का गीत है।
है निशा का अन्धकार तो,
एक दीपक साथ निभाएगा ।
तिमिर से अब भय कैसा है,
दीपक का प्रकाश जगमगाएगा ।
“गीता ” कहती है, कर्म करो,
मत चिंता फल की किया करो ।
फल देना तो ईश का काम है,
यही ज़िन्दगी की रीत है ।
अपनों का साथ हो तो,
हर दिवस ख़ुशी का गीत है..

आस पलती रही

September 1, 2020 in शेर-ओ-शायरी

वक्त थम सा गया, और ज़िन्दगी चलती रही।
तेरी याद बहुत आई, तेरी कमी खलती रही।
फ़िर ढूंढ़ने निकल पड़े तुझे, आंख के आंसू मेरे।
खैर, तू मिला नहीं, पर मिलने की आस पलती रही।

जज़्बात

September 1, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आज कैसे – कैसे हुए जज़्बात के रोना आया,
बीती किसी बात पे रोना आया।
एक दुखती रग है, गर दबा देता है कोई,
नहीं मिलती उस दर्द से निजात पे रोना आया…

अरमान भरे दिल

September 1, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कहीं खुशियों के दीप जले,
कहीं अरमान भरे दिल।
कहीं पे हो गईं, राहें लंबी,
किसी को मिली मंज़िल।

शादी की एलबम

September 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तीन साल का बिट्टू मेरा मुझसे था नाराज़,
मैंने पूछा क्या हुआ है, गुमसुम क्यूं हो आज।
बोला, मैं आपको अपनी शादी में नहीं बुलाऊंगा,
हंसी रोक कर मैंने पूछा, क्या हुआ बताओ ना ।
मैं सारी एलबम देख के आया,
मेरा फोटो कहीं नहीं पाया ।
आपने मुझे अपनी शादी में नहीं बुलाया,
इसीलिए मुझे गुस्सा आया ।
ओह! इसलिए तुमने मुंह फुलाया,
हां, सब आए बस मुझे ही भुलाया ।
मैं डरने का नाटक कर बोली…
अरे, ले के गए थे बेटा, पर तू तब था थोड़ा और छोटा।
मैंने डरते – डरते एलबम खोली,
एक छोटे बच्चे को दिखा के बोली..
अरे! ये तो बिट्टू हंस रहा है,
मामा की गोदी में है, कितना प्यारा लग रहा है ।
बिट्टू को हो गया विश्वास,
हे भगवान, आई मेरी सांस में सांस ।।

आ के मिल

August 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कोई जब जाता है, दूर कहीं,
यादें छोड़ जाता है, पास यहीं।
उससे कहो अपनी यादों से तो आ के मिल,
एक बार ही सही, फिर पहले सा आ के खिल।
यूं ही आजा एक बार कभी,
अच्छा, फिर से लौट जाने के लिए ही मिल,
तू ना आएगा, तो हम चले आएंगे, तेरे दर पे
चल ये ही सही,
बेचैन हुआ जाता है, कुछ चैन तो पायेगा ये दिल।

सावन पर

August 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

किसी ने पूछा मुझसे,
“सावन” पे लिखती हो, क्या मिल जाता है?
मैनें कहा —–
मुझे समझने वाले सखा, सखी हैं,
समझते हैं, जो रचनाएं मैनें लिखी हैं।
उनकी लिखी रचनाओं को भी पढ़ पाती हूं,
इस क्षेत्र में और आगे बढ़ पाती हूं।
आत्मा की खुराक मिल जाती है,
दो घड़ी तबीयत भी खिल जाती है।
आदर, सम्मान, प्रेम, स्नेह सब मिलता है,
और किसी को क्या चाहिए….

भावना

August 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक बाबा बरसाने के, प्रतिदिन यमुना में स्नान कर के,
दर्शन करते थे राधा – रानी के।
जीवन का एक भाग यूं ही बिताया,
एक दिन दर्शन करते – करते ,बाबा के मन में विचार आया
कोई लाए नारियल, चूड़ी, कोई बिंदी साड़ी लाया
मैनें तो आज तक राधा रानी को कुछ भी नहीं चढ़ाया।
में भी दूंगा कुछ उपहार, लहंगा,चुनरी या फूलों का हार।
सुबह- सुबह कर के स्नान – ध्यान,
बाबा जा पहुंचे एक दुकान
लहंगा, चूनर, गोटा मिला, अपने हाथों से उसे सिला।
हर्षित होते जाते थे, मंदिर की ओर दौड़े जाते थे।
मंदिर की सीढ़ी पर एक “लाली” आई,
लहंगा, चूनर देख कर मुस्काई,
बोली, बाबा ये लहंगा – चूनर तो मैं लूंगी,
बाबा बोले ये तो ना दूंगा लाली,
कल दिलवा दूंगा दूजी वाली।
ये राधा – रानी के नाम की है, ये तेरे किस काम की है।
लाली भी चंचल -चपल थी,लहंगा – चूनर छीन गई
बाबा बोले ऐसा भी करता क्या कोई, बाबा की फिर अंखियां रोई
मंदिर के अंदर से फ़िर आई आवाज़ एक,
राधा – रानी के परिधान , कितने सुंदर हैं देख।
बाबा भी भागे – भागे आए,
राधा – रानी को वही लहंगा – चूनर पहने पाए।
बाबा ने हाथ जोड़ ,स्पर्श किए राधा – रानी के पांव,
राधा – रानी समझ गई थी, बाबा के मन के भाव।
इसीलिए स्वयं ही आ के ले गई अपना उपहार,
भावना ही सर्वोपरि है, ये समझ ले सारा संसार।
————- जय हो राधा – रानी की🙏

आंख का पानी

August 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कभी नाउम्मीद हो जाती हूं जब उनसे,
फकत दो बूंद गिरती हैं मेरी आंख से।
चैन सा आता है,
बहुत पानी है बॉडी में ,मेरा क्या जाता है।
———— फकत मतलब केवल
विज्ञान के अनुसार हमारे शरीर में 70% पानी होता है।

यादें

August 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

चंद लम्हे यादों के, जीना सिखा गए
वरना, ज़िन्दगी जीना आसान नहीं होता।

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