तेरी यादें..

September 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

सारी रात लड़े हम तेरी यादों से
सारी रात बहस करी तेरे वादों से
और सुबह तेरे मीठे सपनों ने सुला दिया…

*****✍️गीता *****

जलते चिराग..

September 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जलते चिराग़ों से कह दो, कहीं और जा के जलें ,
ख़ुशी बहुत है यहां जलने वालों का काम नहीं…

……….✍️ गीता………

दिल में..

September 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

महफ़िल में हमसे हर शख्स खफा था,
क्यूंकि, जो दिल में है, लब पर वही हर दफा था ।

*****✍️गीता*****

हिचकियां

September 27, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कोई मुस्कुरा रहा है आज यूं ,
हमें फुरसत में याद कर के
हिचकियां आना तो चाह रही हैं,
पर हिचकिचा रही हैं..।

सम्मान

September 27, 2020 in मुक्तक

सम्मान उनका कीजिए ,जो तुम्हे दिल से चाहते हैं।
वरना , देख कर तो सभी मुस्कुरा देते हैं ।

आनन्द

September 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल्ली के आनन्द नगर में,
अब आनन्द कहां
सन्नाटा पसरा रहता है,
बाल – क्रीड़ाएं होती थी जहां
कोविड़ ने आतंक मचाया,
विद्यालय भी बंद कराया
खेल – खिलौने गम-सुम पड़े हैं,
बच्चे मोबाइल पर ही लगे पड़े हैं
आनन्द आएगा अब कब आनन्द नगर में,
कब होगी चहल -पहल इस डगर में..।

*****✍️गीता*****

पिंजरबद्ध

September 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

पिंजरबद्ध ना लिख सकूंगी
अंकुश होगा सिर पर तो फिर,
भावों को कैसे व्यक्त कर करूंगी
मेरे कवि मन को यदि, उन्मुक्त माहौल मिलेंगे
तभी इस कवि मन में, गीतों के पुष्प खिलेंगे
कहीं भली है बस सुंदर सराहना,
इस अंधी दौड़ की टैंशन से..।

घर पर ही डेरा जमाया

September 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरा सूट पूछ रहा साड़ी से,
क्या हुआ बहन, बहुत दिन हुए
नहीं गए, कहीं गाड़ी से
मैडम भी नहीं दिखती आजकल,
अब तो मैं भी डरने लगा हूं..
मैडम को देखने को , तरसने लगा हूं
घबरा कर मेरी चुनरी बोली…..
भगवान ना करे, कहीं मैडम निकल तो नी ली
नीली टी-शर्ट बोली अलसाई, उसने थोड़ी ली अंगड़ाई
चुप किया पहले सबको, फिर हंस कर बताया
कोविड फैल रहा है दोस्तों…..
सर और मैडम ने घर पर ही डेरा जमाया।

*****✍️गीता*****

सुन्दर सराहना

September 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुन्दर सराहना से आपकी,
मैं यूं प्रफुल्लित हो उठी
कि सोए हुए हौसले बुलंद हो गए,
रोते हुए नैन भी , रोने बंद हो गए…

……✍️गीता……

मेरी कलम

September 26, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैनें लिखना छोड़ दिया है,
कलम को मैनें तोड़ दिया है
कलम रो-रो के पूछ रही है….
क्यूं ये ऐसा मोड़ लिया है,
क्या कहूं कलम से अब मैं..
तूने तो कुछ भी नहीं किया है
अंधी रेस में ,तू ना दौड़
करना ना बेमतलब होड़
सौन्दर्य को पीछे ना छोड़ना
काव्य-कला को कभी ना तोड़ना…

*****गीता*****

राज़

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कुछ पन्नों को रखें राज़, ये भी आजमाइए
दर्द में मज़ा लेते हैं कुछ लोग,
ज़िन्दगी को खुली किताब ना बनाइए…

तेरी हर बात

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

दर्द ना पढ़ पाओगे, मेरे चेहरे से कभी
मेरी तो आदत है, तेरी बात पे मुस्काने की…

मुस्कानों के पीछे

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

रोता हुआ ही मिले, हर टूटा इंसान
हमें भी गम छिपाने आते हैं, मुस्कानों के पीछे…

मेरे जज़्बात

September 26, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कुछ नहीं, बस पाती लिखा करती हूं,
अपने मन की बात लिखा करती हूं
नवाज़िश है आपकी, जो शायरी समझते हैं,
मै तो बस अपने जज़्बात लिखा करती हूं…

…..✍️geeta…..

मन की पाती

September 26, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मन की पाती, लिख नहीं पाती
कलम को अक्सर देती दोष
कलम की कमी नहीं कुछ भी,
कलम में तो है, पूरा जोश
विचलित हो जाती हूं अक्सर
कलम पे ही निकलता रोष…

…..✍️गीता…..

ख्वाब और ख्वाहिश

September 26, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हर ख्वाब परवान चढ़े,
ये ख्वाहिश भी नहीं है।
आप ने अपना माना है,
ये दिल ने भी जाना है
हर ख़्वाब पूरा नहीं होता,
हकीक़त भी यही है..

*****✍️गीता*****

मन की बात..

September 25, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बोल उठती है तस्वीर भी,
मन से मना कर देखिए
मन की बात , ज़रा प्रभु को,
सुना कर देखिए……
मिलते हैं सबकी बातों के जवाब,
मन की सुना कर देखिए..

…..✍️गीता…..

शुक्रिया….

September 25, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मेरी लिखी नज़्म पर ,
मिलती है सबकी दुआ
और क्या तमन्ना करूं,
शुक्रिया है शुक्रिया…

नज़्म का अर्थ ——- कविता

*****✍️गीता*****

मौन..

September 25, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मौन की शक्ति को हमने जाना है,
मौन की आवाज़ को पहचाना है
शब्द जब अपना सामर्थ्य खोने लगें
आंखों के अश्क पलकें भिगोने लगें,
मौन ने ही मौन को पहचाना है…

*****✍️गीता*****

हाथों की लकीरें

September 24, 2020 in शेर-ओ-शायरी

ना आना हाथों की लकीरों के फरेब में,
ज्योतिषी की दुकानों पर, मुकद्दर नहीं बिकता..
तदबीरों से बनाए जाते हैं मुकद्दर,
तक़दीर खुद ही आ जाए रफ्ता रफ्ता..

खुशियां क्या हैं..

September 24, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

खुशियां तो इक राह है, ये मंज़िल नहीं
ज़िन्दगी जीने की चाह है, तो ज़िन्दगी बोझिल नहीं..

*****✍️गीता*****

Thinking..

September 24, 2020 in English Poetry

Thinking of past brings tears..
Over Thinking of future brings fears..
Live life this moment..
It brings chears….

Law of life

September 24, 2020 in English Poetry

When I was student..
I read…No pain,No gain,
This is the law of commerce
But now I think…..
This is the law of life also..

*****✍️Geeta*****

Mutually Pardon

September 24, 2020 in English Poetry

Common sense is a flower,
That doesn’t grow in everyone’s garden
We are all full of weakness and errors,
Let us mutually Pardon .

औषधि

September 23, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सबसे अच्छी औषधि मुस्कान है,
इसका नहीं कोई भी नुक़सान है
मेरी यह दुआ है आपके लिए,
ये औषधि सदा आपके पास रहे..

*****✍️गीता*****

ज़िन्दगी का सफ़र

September 23, 2020 in शेर-ओ-शायरी

ज़िन्दगी एक लंबा सफ़र है,
दिन भी हैं और रात भी ।
कभी – कभी गम भी मिलते,
और कभी – कभी सौगात भी..

फ्रेंड्स..

September 23, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

किट्टी पार्टी हो या हो कोई गेट – टुगेदर ,
बिना फ्रेंड्स के ना हो ये पॉसिबल
कमी कहीं पर देखें तो….
झड़ी लगा दें खुशियों की,
दोस्त जीवन में निहायत ही ज़रूरी,
फ्रेंड्स के बिना ज़िन्दगी है अधूरी..

*****✍️गीता*****

दोस्त होते हैं फ़रिश्ते

September 22, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दोस्त होते हैं वो फ़रिश्ते ,
मदद कर जाते हैं हंसते-हंसते
टूट जाएं जब पंख उत्साह के,
दौड़ कर आते हैं, दोस्त की इक आह पे
पंख अपने दे कर फिर बताएं,
भर ले उड़ान जितनी तू चाहे ।
********✍️गीता********

नारी की उपस्थिति

September 22, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

नारी की उपस्थिति भी अनुपम है,
आभास इसका नमक सम है
मौजूदगी किसी को नहीं पता चलती,
बस, गैर- मौजूदगी सदा खलती है ।

अत्याचार

September 22, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

फकत रोने से काम नहीं चलता है,
अत्याचार तो अत्याचार है, सबको खलता है
प्रतिकार करो , मत करो सहन
क्षमता से अपनी जीतो दिल
बात पते की कहती हूं,
अत्याचार सहना बढ़ावा है
एक और अत्याचार को बहन..

इन्तजार

September 22, 2020 in शेर-ओ-शायरी

देखते घड़ी की सुइयों को बार- बार हैं
पढ़ते हैं तेरी पाती बार – बार हैं।
कहां हो तुम कि आज इन्तजार है।

मेरी नन्हीं परी

September 22, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब वो मेरे घर आई
मेरी नन्हीं परी कहलाई
उसको देख के मोहित हो गई मैं,
उसके मंजुल रूप में खो गई मैं
वो, जैसे इक पौधे की डाली
बड़ी ही नाज़ुक, नाज़ुक सी,
पर थोड़ी नखरे वाली
छम – छम कर घूमा करती हैं,
घर, आंगन में सारे
पापा, भैया कहें…….
तोड़ के ला देंगे हम तारे
पापा की परी है वो,
भैया की दुलारी
बातूनी है सबसे ज्यादा
घर भर की है प्यारी ..
…….✍️ गीता……..

वो तेरे जीवन की परी (भाग 2)

September 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्रभु ने कुछ और भी बाते समझाई थीं
20-25 साल हुए थे,नन्हे फ़रिश्ते ने कुछ भुलाई थीं
किसी -किसी के याद रही,
पर कोई फरिश्ता भूल गया
प्रभु ने कुछ यूं समझाया था ………
फ़िर आंखों पर चश्मा चढ़ जायेगा
उसके बालों में , चांदी आ जाएगी
फ़िर भी तेरे “मां” कहने पर
वो पास तेरे आ जाएगी
लाठी का सहारा जब लेने लगे
तू उसकी लाठी बन जाना
काम तेरे कर ना पाएगी, पर
काम तेरे बहुत वो आएगी
इस दुनियां से जाते – जाते भी
तुझको दुआ दे जाएगी
इस दुनियां से जाते – जाते भी
तुझको दुआ दे जाएगी ……
वो तेरे जीवन की परी, वो तेरे जीवन की परी..
……✍️ गीता……

वो तेरे जीवन की परी (भाग 1)

September 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्रभु ने कहा , नन्हे फ़रिश्ते से,
तुम्हे धरा पर जाना होगा
मानव रूप मिलेगा तुमको
इस धरा को स्वर्ग सा सुंदर बनाना होगा
नन्हा फरिश्ता पूछे प्रभु से,
उस दुनियां में कैसे रह पाऊंगा,
इतना छोटा बना के भेज रहे हो प्रभु
मैं अपने भी काम कैसे कर पाऊंगा ?
प्रभु मुस्काए, बोले ..चिंता ना कर
धरा पर जाने से बिल्कुल ना डर
तेरे लिए वहां , तेरी एक परी होगी
जो तेरे लिए, तेरी इक मुस्कान के लिए खड़ी होगी
लेकिन प्रभु , वहां तो और भी पारियां होंगी !
मै कैसे अपनी परी को पहचानूंगा ,
कैसे में उसको जानूंगा……
प्रभु बोले, ये तो है बहुत आसां ,
वो दौड़ के आएगी, बस एक बार कहना मां
तू उसको ना जाना कभी छोड़ के ,
तेरे मां कहते ही , वो आएगी दौड़ के
बचपन से लेकर जवानी तक
हर गीत से लेकर कहानी तक,
वो तेरी सेवा में खड़ी होगी
तू एक मुराद मांग कर तो देखना,
पूरी करने को, सारी दुनियां से लड़ी होगी ।
फरिश्ता फिर मुस्कुरा के बोला….
जैसी आप की इच्छा प्रभु….
फरिश्ता धरा पर आया, मां के रूप में सचमुच एक परी को पाया
20-25 साल बड़े आराम से निकले,
फ़िर साहबजादे कुछ कमाने को घर से निकले….
………फिर क्या हुआ ,अगले भाग में पढ़ें…..✍️गीता..

वो कौन थी..

September 20, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो गोरी भी ना थी,
ज्यादा सुंदर भी ना थी,
ना देती थी प्रेम कभी,
फ़िर भी वो योग्य बहुत थी
कदम से कदम मिलाती थी
वो साथ मेरे आती जाती थी
मैं चाहता तो रुकती थी
मैं चाहता तो चलती थी
मंदिर में आने से करती थी इन्कार
पर बाहर मेरा करती थी इन्तजार
वो………………………………………..
जैसी भी थी, चप्पल थी मेरी……
ना जाने कौन उठा कर ले गया ।

विचारधारा

September 20, 2020 in मुक्तक

परम सौंदर्य है सादगी, क्षमा उत्कृष्ट बल ।
अपनापन अत्युत्तम रिश्ता, परिश्रम तकलीफों का हल ।

For happiness..

September 20, 2020 in English Poetry

Instead of to give and to get
Do, just double for happiness
Forgive and forget…..

कब मना है..

September 19, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

राहों में गर कांटे बिछे हों,
तो बुहारना कब मना है ।
है अगर अंधियारी राहें ,
एक दीपक जलाना कब मना है ।
साथी कोई प्यारा, साथ छोड़ जाए,
बीच – राह में, कोई हाथ छोड़ जाए,
तो गम की वादियों से निकल कर,
समेट कर के ज़िन्दगी को ,
आगे बढ़ जाना कब मना है ।
………✍️गीता…….
बुहारना का अर्थ—
सफ़ाई करना,झाड़ू लगाना

एक भ्रमण स्वपन-लोक का

September 18, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कभी कल्पना की गलियों में,
जब कवि-रूप में मैं चली ।
फ़िर जो देखा स्वपन-लोक में ,
उसका वर्णन करने चली ।
सुन्दर शहर है सपनों का ,
कुछ अनजाने कुछ अपनों का ।
सुन्दर-सुंदर नाम सभी के,
सबसे मैं रू-बरू मिली ।
स्नेह- प्रेम भी दिखा वहां पर ,
तारीफें भी लगीं भली ।
छम – छम मेघा बरस रहे थे ।
शीतल -शीतल पवन चली ।
कहीं – कहीं राहें रौशन थीं,
कहीं -कहीं अंधियारी गली ।
कोई पुकारे नाम मेरा,
और कोई बहन बनाए ।
कोई भाव कहे कविता के ,
कोई सुंदर सखी मिली ।
वो सुहाना स्वपन ही था,
स्वपन -लोक की थी गली ।
ऐसे मनोहर स्थान से,
कौन भला आना चाहे..
सुन्दर था पर, स्वपन ही था,
तो, मैं अपने घर लौट चली..।

अंजुमन

September 18, 2020 in Other

अंजुमन में कैसे आऊं,
पीत चुनरिया ले के .।
केश खुले, श्रृंगार नहीं है ,
भीष्म पितामह, द्रोण भी बैठे ।

सावन की सभा

September 18, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सावन की सभा सजी है,
शुक्रवार की शाम है ।
महफ़िल में मित्र मिले है ,
सबके सुंदर – सुंदर नाम हैं ।
मित्र बने अनजाने थे सब,
अब लगते हैं, पहचाने से..।

विवाहित व्यक्ति की शिकायत का अंदाज़..

September 17, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

…….. हास्य- रचना..
विवाहित व्यक्ति, पत्नी से शिकायत करे यूं,
क्या कमाल की सब्जी बनाई है, लव यू ।
बस, नमक थोड़ा सा ज्यादा है,
सुनो, आज तुम्हारा क्या इरादा है ।
मेहमान आएं तो यही सब्जी बनाना,
बस, थोड़ा सा इसको और ज्यादा पकाना ।
हां, प्याज़, अदरक थोड़ा कम ही मिलाना,
उसे कौन सा बिल दे के है जाना ।
तड़का तो कमाल का लगा है जी,
लगता है कड़ाही का तला खराब है जी।
जलने की गंध से, छुटकारा पाएंगे,
कल ही एक नई कड़ाही लाएंगे ।
अच्छा किया जो तुमने छीले ना आलू ,
छिलके में ही तो सारे गुण बसे हैं शालू ।
अभी फ्रिज में रख दो ये सब्जी ,
कल फिर से खाएंगे, तुम कर लेना थोड़ी मस्ती ।
सुनो, ये सब्जी अब कभी बनाना नहीं
नज़र ना लग जाए तुमको कहीं ।

नटखट साथी

September 15, 2020 in मुक्तक

साथी मेरा नटखट कम नहीं है वो,
हमारे नयनों पे हाथ रख के..
पूछे कौन है , बताओ तो,
हम भी कम नहीं हैं , कुछ..
आहट से जान लेते हैं ,
ख़ुशबू से पहचान लेते हैं ।

एक सखी मेरी प्यारी सी

September 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक सखी मेरी प्यारी सी,
कोमल मन की न्यारी सी।
कभी क्रोध की अनल में तपे,
कभी स्नेह बरसाती है
कभी कहा माने चुपके से,
कभी अपनी भी चलाती है..
एक सखी मेरी प्यारी सी,
बहुत नेह बरसाती है ।
मिली मुझे वो सावन – भादों में ,
सोने सा सुंदर मन है उसका,
चारु चंद्र की चंचल किरण सी,
मेरे जीवन में, शीतल चांदनी लाती है।
वो बहुत नेह बरसाती है,
एक सखी मेरी प्यारी सी..
______✍️गीता______

आंखों का नूर

September 14, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आंखों का नूर हैं ये आंसू
नूर की बूंदें यूं ना बहाया करो,
किसी अपने पे तरस तो खाया करो।
कहीं कोई परेशां सा हो जाता है ,
कुछ तो दोस्ती का फ़र्ज़ निभाया करो ।

याद की शिकायत..

September 14, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

किसी को याद करके रोना नही, ऐ दोस्त..
किसी को याद करके मुस्कुराओ ।
वरना शिकायत लगा देगी ,
याद उसी की उसे वापिस आकर ,
वो भी तो रो देगा..
तो कैसा लगेगा बताओ ।
तुम मुस्कुराओगे तो वो भी मुस्कुरा देगा ,
यकीं ना हो तो कभी इसको आज़माओ ।
_______✍️गीता______

ओस की बूंदें

September 14, 2020 in शेर-ओ-शायरी

ऐ दोस्त, आंख से ओस की बूंदें न गिराना ,
हम देखना चाहें फ़कत तेरा मुस्कुराना ,
अश्क आएं तो कह देना उनसे..
यहां तो है किसी और का ठिकाना

सवालों के जवाब..

September 14, 2020 in शेर-ओ-शायरी

रात भर खोजा किए ,तेरे सवालों के जवाब,और ..
कुछ और सवाल आ कर खड़े हो गए..

भावों की जननी है हिन्दी

September 14, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

भावों की जननी हिंदी है,
मां है अपने धाम की।
कोरोना काल में हाय, हैलो, छूटा ,
जय हुई अपने प्रणाम की ।
हिंदी में अपने भाव रचे ,
हिंदी ही अधरों पर सजे ।
हिंदी में खेला बचपन सारा
खेले, कूदे और बढ़े,
युवा होकर हिंदी में ही,
प्रेम प्रीत के पाठ पढ़े ।
हिंदी से समझा भावों को,
हिंदी ने धोया घावों को,
हिंदी माथे की बिंदी है ,
जो भारत की पहचान बनी,
हिंदी से सब सुखी हुए हम,
हिंदी है हिंदुस्तान की वंदनी

ज़िन्दगी एक पहेली

September 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

************ हास्य रचना*********
एक सखी ने पूछा वॉट्सअप पर दूजी से,
क्या चल रहा है ज़िन्दगी में…
दूजी वाली बोली…
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पहली ने कहा, ये क्या है,कुछ समझ नहीं आया..
दुजी वाली बोली, वो ही तो..
तुम्हें कैसे बताऊं, कैसे समझाऊं
समझ तो मुझे भी नहीं आया..

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