किसी ने ग़म दिया मुझको किसी ने घोंप दी खंजर
किसी ने ग़म दिया मुझको किसी ने घोंप दी खंजर ,
नहीं फिर प्रेम उग पाया रही दिल की ज़मी बंजर ।
मैं बर्षों से वही बैठा जहाँ तुमने कहा रुकना ,
जुदाई देख ली मैंने बडे अदभुत रहे मंजर ।।
हरेन्द्र सिंह कुशवाह
~~~एहसास~~~
किसी ने ग़म दिया मुझको किसी ने घोंप दी खंजर ,
नहीं फिर प्रेम उग पाया रही दिल की ज़मी बंजर ।….very nice!
जो दिया जमाने ने हमने हंसते ले लिया
हंसते हंसते ही हो गयी, जिंदगी की गुजर
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