पूछा करते जब
बचपन में
पूछा करते जब भी दादी से
दादी साड़ी श्र्वेत क्यों
सर पर काले केश नहीं क्यों
दादी कहतीं
‘ रंग गए सब दादा के संग
वेणी, जूड़ा, काजल, बिंदी, केश गए दादा के संग
ये ही उत्तर पाया मैंने भी
जब भी पूछा
अपनी मां से, नानी से, दादी से
ये ही उत्तर पाया उनने भी
अपनी मां से,नानी से, दादी से ‘
संग नहीं लिया मेरे बाबा नेअपने कुछ
मां से पूछा
मां बोलीं बेटा
वेणी, जूड़ा, काजल, बिंदी और रेशमी रंग
छोड़ गए सब आंगन में
बाबा तेरे संग ले गए मन के सारे रंग।
१५.०२.२०२२
हृदय स्पर्शी पंक्तियाँ
धन्यवाद गीता जी
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
धन्यवाद एकता जी