आज की शाम

आज की शाम, शमा से मैं बातें कर लूँ,
उनके चेहरे को अपनी आँखों में भर लूँ।

फ़ासले बचे हैं क्यों उनके मेरे दरमियान1,
चल कुछ कदम, कम ये फ़ासले कर लूँ।

प्यार करना उनसे मेरी भूल थी अगर,
तो ये भूल मैं एक बार फिर से कर लूँ।

उनके संग चला था ज़िन्दगी की राहों में,
बिना उनके ज़िन्दगी बसर2 कैसे कर लूँ।

परवाने को जलते देखा तो ख़्याल आया,
आज की शाम, शमा से मैं बातें कर लूँ।

1. बीच; 2. गुज़ारना।

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