समय जगा रहा हैं
‘समय जगा रहा है’ कठिनाइयां बहुत हैं,चेतावनी विविध हैं, संघर्ष पथ कठिन हैं, जो एकता विहीन हैं। जागों भारतीयों जागों, समय जगा रहा हैं, वो…
‘समय जगा रहा है’ कठिनाइयां बहुत हैं,चेतावनी विविध हैं, संघर्ष पथ कठिन हैं, जो एकता विहीन हैं। जागों भारतीयों जागों, समय जगा रहा हैं, वो…
जहां स्वयं भूतनाथ विराजे,महांकाल के वेश में, कण-कण में सुंदरता झलके मेरे मध्यप्रदेश में, जीवनदायिनी रेवा बहती,विंध्याचल विराट है; रत्न अमोल भरे अपार है, यह…
ना उठाया शस्त्र कभी ना हिंसा अपनाई थी , अंत समय पर उनके राष्ट्र में खामोशी छाई थी ; सौराष्ट्र प्रांत का संत वहां था…
दो रोटी देने को तुमको, रह जाता है भूखा वो; दूध-दही देने को तुमको, खा लेता है सुखा वो, कभी बारिश कभी जाड़े में; फसल…
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