“झूठी शान से बच जाती”
********************************* गोद में लेकर मुझे हे पिता! तुमने कहा था मांग ले गुडिया तुझे जो खिलौना मांगना है ********************** हाथ जिस पर रख दिया तुम्हे कब ना पसंद था उसका क्या मोल है उठा कभी यह प्रश्न था? ********************** जिन सपनो के संग खेली भेदभाव था नहीं उनमे कभी जीवनपथ में स्वयं चुनाव हो एसा सन्देश था जिनमे कभी ********************** माँ भी मुझे प्यार करती पर कभी वह डांट लेती ... »