Mera Pata…

ये नज़्म पोछ के आँखों से.. इन्हें कानों में पहन लो तुम, तो एक आवाज़.. दौड़ के पास आएगी, और..मेरा पता गुनगुनाएगी. फुरसत हो तो…

यतीम ख़्वाब

बारिश में भीगे कुछ ख्वाब.. कल उठा कर लेता आया, सुखा कर इन्हें, पूछुंगा आज.. कहाँ से आए? किसने छोड़ा तुम्हें सड़कों पे? अखबार में…

पता

मैं एक नज़्म तेरी आँखों मे सजा कर, पलकों पे तेरी ख़ुद का पता लिख जाऊंगा. खुर्दबीन से भी ग़र मैं अब नज़र नहीं आता,…

मैं

मैं एक नज़्म हूँ मुझे जी कर देखो, कोई ख़्वाब नहीं कि भूल जाओ मुझे, मैं एहसास हूँ मुझे महसूस करो, कोई गीत नहीं कि…

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