कांटो से लगे ज़ख्म
कांटो से लगे ज़ख्म तो सब भरते चले गए थे ‘ऐ-नीरज’ हैरत तो तब हुई जब इक फूल का स्पर्श नासूर बन गया !!
कांटो से लगे ज़ख्म तो सब भरते चले गए थे ‘ऐ-नीरज’ हैरत तो तब हुई जब इक फूल का स्पर्श नासूर बन गया !!
Kaanto Se Lage Jakhm Toh sab Bharte Chale Gaye The ‘ai-neeraj’ Hairat Toh Tab Huyi Jab Ik Phool Ka Sparsh Nasoor Ban Gaya !!
टूट चूका हूँ , चाह जीने की छोड़ चूका हूँ ! फिर भी ज़िंदा हूँ क्यूँकि साँसे कुछ “नम” अभी बाकी हैं …! ना जाने…
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