कातिल

जिंदगी जिस राह पर चल रही है, उसकी कोई मंजिल नहीं है, कश्ती साहिल पे थी सही, मजधार में डूब रही है, कत्ल हुआ है…

कातिल

जिंदगी जिस राह पर चल रही है, उसकी कोई मंजिल नहीं है, कश्ती साहिल पे थी सही, मजधार में डूब रही है, कत्ल हुआ है…

आत्मा

मैं कौन हूँ, मेरा अस्तित्व क्या ? आशाकिरण हूँ, जलता दीया, गतिहीन हूँ, पर अचल नहीं, निर्भय ना सही, भयभीत नहीं। गुणवान नहीं, निर्गुण भी…

आत्मा

मैं कौन हूँ, मेरा अस्तित्व क्या ? आशाकिरण हूँ, जलता दीया, गतिहीन हूँ, पर अचल नहीं, निर्भय ना सही, भयभीत नहीं। गुणवान नहीं, निर्गुण भी…

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