सपनो के धुंदले बादलों के पार
सपनो के धुंदले बादलों के पार एक चेहरा चमक जाता है कभी अपना-सा, कभी पराया-सा तरंगों को शूके बेक़रार कर जाता है कोई तो है…
सपनो के धुंदले बादलों के पार एक चेहरा चमक जाता है कभी अपना-सा, कभी पराया-सा तरंगों को शूके बेक़रार कर जाता है कोई तो है…
Please confirm you want to block this member.
You will no longer be able to:
Please note: This action will also remove this member from your connections and send a report to the site admin. Please allow a few minutes for this process to complete.