पुस्तक समीक्षा: ‘इंतज़ार – काव्य संकलन’

‘इंतज़ार’ कवि पन्ना की एक मर्मस्पर्शी और गहन भावनात्मक यात्रा पर ले जाने वाली काव्य पुस्तक है। यह संग्रह न केवल कवि के व्यक्तिगत अनुभवों, बल्कि सामाजिक विसंगतियों, टूटे सपनों, और एक बेहतर कल की आस को भी बखूबी चित्रित करता है।

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भाषा-शैली:

इस पुस्तक की सबसे बड़ी ताकत इसकी भाषा है। हिंदी और उर्दू का सुंदर सम्मिलन पाठक को शायराना अंदाज़ में बांधे रखता है। ‘रवानिया’, ‘शम्मा’, ‘अश्क-ए-रवाँ’ जैसे शब्द कविताओं को एक अलग ही मिठास और गहराई प्रदान करते हैं। कवि ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बावजूद, शायरी के प्रति अपने प्रेम और अपनी भावनाओं को बेहद खूबसूरती से शब्दों में ढाला है।

विषय-वस्तु:

जैसा कि नाम ‘इंतज़ार’ से ही स्पष्ट है, यह संग्रह प्रतीक्षा की विभिन्न परतों को खोलता है। यह इंतज़ार किसी इंसान का, प्यार का, न्याय का, या फिर जीवन में आने वाली एक नई सुबह का हो सकता है। कवि ने मुखौटों के पीछे छिपे असली चेहरे, सामाजिक अन्याय, गरीबी, और टूटते रिश्तों जैसे गंभीर विषयों को भी बहुत ही संवेदनशील तरीके से छुआ है। कहीं-कहीं तीखा व्यंग्य भी है, जो पाठक को सोचने पर मजबूर कर देता है।

कुछ विशेष पहलू:

  • भावनाओं की गहराई: ‘इक मुखौटा’, ‘अब कहाँ वो मैं’, ‘जिंदगी अंधेरों में’ जैसी कविताएं पाठक के दिल को छू लेती हैं।
  • सामाजिक सरोकार: ‘शजर सूखा है’ और ‘अंधेरी बस्ती में’ जैसी रचनाएं समाज के उपेक्षित वर्ग की पीड़ा को बयां करती हैं।
  • प्रेम और विरह: प्यार की तड़प, बिछड़ने का दर्द और यादों का एहसास पूरी किताब में बिखरा हुआ है।

निष्कर्ष:

‘इंतज़ार’ सिर्फ एक कविताओं का संग्रह नहीं, बल्कि एक ऐसा आईना है जो हमारे आसपास की दुनिया और हमारे अपने भीतर के संघर्षों, आशाओं और जज़्बातों को दर्शाता है। यह उन पाठकों के लिए एक उत्कृष्ट पठन है जो गहन, संवेदनशील और विचारोत्तेजक शायरी का आनंद लेना चाहते हैं। उरी की यह पहली पेशकश निश्चित रूप से एक शानदार शुरुआत है और हिंदी-उर्दू काव्य जगत में एक सार्थक हस्तक्षेप है।

रेटिंग: 4/5 ⭐⭐⭐⭐

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