by Pragya

आज की रात रहने दो

December 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज अपनी बात करो
मेरी बात रहने दो
नींद नहीं है आती
एक अर्से से मुझे
जुल्फों में सुला लो
तहकीकात रहने दो
मुलाकातों के गुल
खिला लेंगे किसी और दिन
मुझे अपने ख्वाबों में
आज की रात रहने दो’..
यूँ तो तुम्हारी पायल
मेरी हर धड़कन में
झनकती है
मगर जाओ !
आज ऐसी बात रहने दो
बड़ा अंधेरा है
मेरे दिल की गलियों में साहब !
उजाले अपनी यादों के
मेरे साथ रहने दो…

by Pragya

हम बेवफा हो गये’

December 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आवारगी में हम
क्या से क्या कर गये !
देते रहे मोहब्बत और
हम बेवफा हो गये,
जाने कैसे डूबा तेरी आँखों में मैं !
सपने सारे टूटे,
हम जुदा हो गये
अब डर नहीं है
खोने का तुझको
तुझसे बिछड़ के हम
लापरवाह हो गये…

by Pragya

आज उठाई कलम है मैंने वीरों की तलवारों-सी

December 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज उठाई कलम है मैंने
वीरों की तलवारों-सी
पंक्ति है मेरी इतनी पैनी
नैनों की तेज कटारी-सी
चलती है जब कलम हमारी
स्याही कम पड़ी जाती है
लफ्ज हैं इतने भावुक मेरे
कलम भी रोने लग जाती है
पर ना प्रेम की बात करूं
अब देश को जगाने की बारी है
लेखन हो या नौ सेना हो
हर क्षेत्र में नारी ही नारी है…

by Pragya

आवाज दूं अगर तुम सुनो !

December 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हाथ पकड़ा दो कलम
मैं लिखती जाऊं
हर लफ्ज को
तेरे हर एहसास को,
मेरी हर एक पीर को
आवाज दूं गर तुम सुनो !
मैं गायिका बन जाऊंगी
तुम्हारी इक मुस्कान पर
मैं सौ दफा वारी जाऊंगी
है सृजनशक्ति
इतनी मुझमें
लिख सकती हूँ हर
एक चीख को
तेरी बुझती आस को
मेरी ढलती उम्र को…!!

by Pragya

निम्नकोटि की कवि हूँ मैं !!

December 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

निम्नकोटि की कवि हूँ मैं !!
हाँ, थोड़ी पागल हूँ मैं
जाने कितनी खामियां मुझमें
फिर भी सब कहते हैं
अच्छी हूँ मैं !
मैं ना लिखती गज़ल कभी
ना लिख पाती नज्म, रुबाई
पद भी मेरे टूटे-फूटे
शब्दों से भी ना बन पाई
उलझी रहती
हर एक पंक्ति
मेरी ओछी भावनाओं से
बन ना पाती एक भी कविता
दूर है मन के भावों से
सड़कछाप है मेरी भाषा
थोड़ी-सी तन्हा हूँ मैं
मेरी कविता है
लक्ष्यहीन !
निम्नकोटि की कवि हूँ मैं !!

by Pragya

गरीब की कुटिया में…!!

December 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हो जाए जो तेरी मेहर तो
चमक उठेगी किस्मत मेरी
पड़ा तम में स्वप्न जो
दीप्तिमान हो जायेगा
इस गरीब की कुटिया में
आशा का दीपक
टिमटिमायेगा
पर तू ऐसा कहाँ करेगा !
भरा है जिसका पेट नोट से
उसी का तू भी भरेगा
तन पे जिसके फटे चीथड़े,
उसको कहाँ तू
चादर देगा!!
जो पहने कपड़े मलमल के
तू भी उसी का बदन ढकेगा…

by Pragya

मैं तुम्हारी भार्या हूँ…**

December 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

भार्या
**********
मैं तुम्हारी भार्या हूँ
संगिनी पथ की रहूंगी
कष्ट ना होगा तुम्हें
सारे दुःख
मैं खुद सहूंगी
बोलता है मन ये मेरा
तुम व्यथित हो आजकल
डूबते सपनें तुम्हारे
तैरते हैं पलकों पर
प्रिय सवेरा
लायेगा
नई उम्मीद,
नई रौशनी
तुम बनोगे राग मेरे
मैं तुम्हारी रागिनी
सुमन बिछ जायें धरा पर
यदि तुम मुस्कुरा कहीं
कुतर दो यदि नाखून तो
पिघल जायेगी ये जमीं…

by Pragya

पीर-फकीर-सा मेरा जीवन

December 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब-जब चलना सीखा हमने
लोगों ने रोड़े ही लगाये
खुशी के आँसू निकल ना पाए
दुःख ही दुःख
हमने अपनाए
जाने क्या है भाग्य में मेरे
जो मैं करती
सबकुछ उल्टा
पीर-फकीर सा मेरा जीवन
उल्टी नदिया में ही बहता रहता….

by Pragya

दम टूटता गया उम्मीदों का…

December 6, 2020 in शेर-ओ-शायरी

सिलसिले वार दम टूटता गया
उम्मीदों का
अब क्या करेंगे हम
सुनहरे सपनों का
अब तो अपना जीवन भी
किराये का लगता है
क्या करेंगे अब हौसलों के पंखों का ???

by Pragya

बाँसुरी की तान पर राधा दीवानी हो गई

December 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बाँसुरी की तान पर
राधा दीवानी हो गई
मीरा दीवानी हो गई
प्रज्ञा’ दीवानी हो गई
छेंड़ता मुझको है नटखट
नंदबाबा का दुलारा
छोंड़े ना मोरी कलाई
ब्रज की गोपिन का है प्यारा
प्रज्ञा लिखकर प्रेम पाती
अपने मोहन को मनाती
सारी-सारी रात राधा
वृंदावन में रास रचाती
प्रीत में सुधबुध को खोकर
हरि की प्यारी हो गई
बाँसुरी की तान पर
राधा दीवानी हो गई…

by Pragya

नेह का नीर

December 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

छलना ही सीखा जीवन भर
अच्छे कर्म कहाँ कर पाए
जीवित होते पौधों को हम
नेह का नीर कहाँ दे पाए
पीर की चादर तान के हम तो
रातोंरात कवि बन गये
और ना कुछ सीखा जीवन में
केवल हमनें अश्क बहाये…

by Pragya

बेजान हुए पत्तों-सा जीवन

December 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बेजान हुए पत्तों-सा जीवन
भूमि पर आकर बिखर गया
वृक्ष की डाली रही अकेली
पत्ता भी पीला पड़ गया
यह सब देख के वृक्ष ने बोला-
ओ डाली ! तू क्यूं
इतना संताप करे
रोज ही गिरकर जाने कितने
पत्ते मिट्टी में मिल गये
मैं कितनों पर आँसू बहाऊं
और कितना विलाप करूं
एक पत्ते के गिर जाने पर
क्यों अपना जीवन बर्बाद करूं
आज गिरा है जो पत्ता तो कल फिर से किसलय होगा
तेरे अधूरे तन पर डाली !
कल फूलों का सहरा होगा

by Pragya

जीवन की आड़ी-सीधी रेखाएं

December 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जीवन की आड़ी-सीधी रेखाएं
बनती और बिगड़ती रहती हैं…
देख के कर्मों की गति ये
कभी हँसतीं तो कभी रुवासी रहती हैं…
पथ पर अपने चलने को आतुर
रहती हैं
समय की गति से सौदेबाजी करती रहती हैं…
जीवन की आड़ी-सीधी रेखाएं
बनती और बिगड़ती रहती हैं….

by Pragya

ऐ काश! कोई तो होता…

December 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐ काश! कोई तो होता
जो बांहों में ले लेता
कहता मुझसे दो बातें
सबकुछ मेरा ले लेता
मुझ बिन ना कटती रातें
मुझ बिन ना सवेरा होता..
कभी रोती तो रोने ना देता
सारे आँसू पी लेता
जब हँसती तो खुश होता
जब रोती तो रो लेता..
ना करता परवाह जहान की
मेरे पीछे पागल रहता..
मुझे करता प्यार टूटकर
बर्बाद मुझे कर देता..

by Pragya

“हाय रे ! कितनी लोभी दुनिया”

December 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हाय रे ! कितनी लोभी दुनिया
हाय रे ! कितनी लोभी…
अपनी इज्जत बाजारू कर
घर की चलती रोटी…
हाय रे ! कितनी लोभी दुनिया
हाय रे ! कितनी लोभी….
बेंचकर अपने बाप का कफन
खाते हैं देखो रोटी…
हाय रे ! कितनी लोभी दुनिया
हाय रे ! कितनी लोभी…
बच्चे को अपनी ओट बनाकर
मांगे दर-दर रोटी…
हाय रे ! कितनी लोभी दुनिया
हाय रे ! कितनी लोभी….
रिश्ते अब तो काँच से नाजुक
जान से मंहगी रोटी…
हाय रे ! कितनी लोभी दुनिया
हाय रे ! कितनी लोभी….

by Pragya

क्यूं इतना वैमनस्य बढ़ा है ??

December 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्यूं इतना वैमनस्य बढ़ा है ??
दिल में बम-बारूद भरा है..
मुँह से तो बोले मीठा-मीठा
मन में कितना पाप भरा है
लुटा दी हमनें प्रेम की गागर
फिर क्यों मन में जहर भरा है
जान-बूझकर मुझको वह
महफिल में रुसवाकर रहा है
तिनका-तिनका जोड़ के हमनें
प्यारा-सा आशियां बनाया
वह कौन है जो मेरी छाती को
चाकू से खदखोर (कुरेदना) रहा है !!

by Pragya

माँ ने आखिर विजयश्री पाई..

December 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बिटियारानी ! अब तो आओ
कहां छुपी हो ये तो बताओ
ढूंढ नहीं पाऊंगी अब तो
नहीं सताओ सामने आओ
लुका-छिपी अब बहुत हुई
तेरी माँ बहुत थक गई
कुछ तो खा लो कुछ तो पी लो
सामने आकर दूध ही पी लो
देखो माँ क्या हाथ में लाई !
चॉकलेट, मैगी, आइसक्रीम, मलाई
यह सुनकर फिर लाडली आई
माँ की ममता ने विजयश्री पाई…

by Pragya

‘रोटी की कीमत’

December 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

रोटी की लालसा में
भटकते रहते हैं
दर-दर की ठोकरें खाते रहते हैं
रोटी की कीमत क्या होती है
यह सिर्फ हम ही समझते हैं
दिन भर उठाते हैं बोझा
तब रात को दो निवालों से
पेट भरते हैं
किस्मत वाले हैं वो लोग
जो दो वक्त की रोटी का जुगाड़
आराम से करते हैं…

by Pragya

‘तलाशती हूँ मैं जमीं अपनी’

December 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जिम्मेदारी के बोझ तले
दबा रहता है जीवन
जाने किन खयालों में
खोया रहता है जीवन
उठकर तलाशती हूँ मैं जमीं अपनी
आसमां जाने क्या
ढूंढा करता है जीवन…

by Pragya

‘विश्व एड्स दिवस’

December 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज विश्व एड्स दिवस है
जो HIV के संक्रमण से
जागरुकता हेतु मनाया जाता है…
यह आठ सरकारी स्वास्थ्य
दिवसों में से एक कहलाया जाता है….
सबसे पहले १९८७ में
जेम्स डब्ल्यू बुन और थॉमस नेटर नामक व्यक्तियों यह दिवस मनाया था…
फिर (WHO) के सामने
‘विश्व एड्स दिवस’ मनाने का विचार रखा था…
१ दिसंबर १९८८ के बाद से
यह दिवस हर वर्ष मनाया जाता है..
सरकारी एवं गैरसरकारी संगठनों
द्वारा एड्स से बचाव के लिए
जागरुक किया जाता है….
थोड़ी सुरक्षा और थोड़ी सावधानी,
HIV एड्स से बचाये हमारी जिंदगानी…
यह छूने और साथ खाने से नहीं फैलता है,
एड्स संक्रमित व्यक्ति से प्रेम जताओ यही मानवता है….

विशेष जानकारी:-
एड्स का पूरा नाम:- ‘एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम’ है और
यह एक तरह का विषाणु है,
जिसका नाम HIV (Human immunodeficiency virus) है…
विश्व एड्स दिवस’ मनाने का उद्देश्य एचआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली बीमारी एड्स के बारे में जागरुकता बढ़ाना है…
एड्स वर्तमान युग की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है. UNICEF की रिपोर्ट के मुताबिक 37.9 मिलियन लोग HIV के शिकार हो चुके हैं. दुनिया में रोज़ाना हर दिन 980 बच्चों एचआईवी वायरस के संक्रमित होते हैं, जिनमें से 320 की मौत हो जाती है. साल 1986 में भारत में पहला एड्स का मामला सामने आया था. भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आकड़ों के अनुसार भारत में एचआईवी (HIV) के रोगियों की संख्या लगभग 2.1 मिलियन है…

इसीलिए इसका बचाव व उपचार करना जरूरी है..

क्यों होता है एड्स ??

१-अनसेफ सेक्स करने से.
२-संक्रमित खून चढ़ाने से.
३-HIV पॉजिटिव महिला के बच्चे में.
४-एक बार इस्तेमाल की जानी वाली सुई को दूसरी बार यूज करने से.
५-इन्फेक्टेड ब्लेड यूज करने से…

लक्षण:-
-बुखार, पसीना आना,ठंड लगना, थकान, भूख कम लगना, वजन घटा,उल्टी आना, गले में खराश रहना, दस्त होना, खांसी होना
सांस लेने में समस्‍या, शरीर पर चकत्ते होना, स्किन प्रॉब्‍लम…

by Pragya

कफन भी बाँध लेंगे…

December 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐ वतन !
तुझ पर हम अपनी जान लुटा देंगे
तेरे कदमों में आसमां भी झुका देंगे
गर आबरू पर तेरी आँच आई कभी
दुश्मन को हम चीर-फाड़ देंगे
है जुनून हमको तेरी मोहब्बत का
तेरा तिरंगा ओढ़कर जय हिंद बोलेंगे
गर दुश्मन हमारी सरहद पर
आया कभी लड़ने !
तिरंगा क्या हम कफन भी बाँध लेंगे..

by Pragya

तुम्हारा वो सॉरी वाला मैसेज

December 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम्हारा वो sorry वाला मैसेज पढ़कर
जाने क्यूं आँख में आँसू आ गये !
सुनने में तो बहुत अच्छा लगा
कि तुम्हें अपनी गलती का एहसास तो हुआ !
पर जाने क्यूं एक टीस-सी
उठी दिल में…
शायद तुम्हारा स्वाभिमान से उठा सिर
ही मुझे पसंद है
तुम्हारा झुका हुआ सिर मुझे
बिल्कुल अच्छा नहीं लगता
अब कभी मुझे sorry’ मत बोलना
वरना मुझे रोता हुआ पाओगे…

by Pragya

घायल परिंदा

December 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्या करना है मुझे यहां
ठिकाना बनाकर
मन चंचल है लगता है कहाँ
एक ही जगह पर
बदलकर फिर आऊंगा वेश मैं अपना
घायल परिंदा हूँ
गिरा हूँ धरा पर
फिर उठूंगा, चलूंगा
बनाऊंगा आसमां में रास्ता अपना
गिरूंगा तो जरूर पर फिर से उड़ूंगा…!!

by Pragya

चमकती किरणों ने मुझे सहलाया

December 1, 2020 in मुक्तक

नई सुबह की
पहली किरण ने मुझे जगाया
हिलोरे देकर चांदनी रात ने था सुलाया
हटाये पर्दे जब माँ ने खिड़कियों से
धूप की चमकती किरणों ने
मुझे सहलाया…

by Pragya

मन के घाव

December 1, 2020 in मुक्तक

मन के घाव भी भरने जरूरी हैं
तेरे-मेरे नैन भी मिलने जरूरी हैं
आकाश से धरती के जो हैं फासले तय हैं
बरस कर बूंद तुझमें ऐ जमीं !
मिलना जरूरी है…

by Pragya

समवेत स्वर में जय हिंद

November 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

समवेत स्वर में जय हिंद बोल दो कभी
प्यार के पट खोल दो कभी
ये मुल्क तुम्हारा ही है दोस्त!
इसे प्यार और सम्मान से देख तो कभी…
*****************************

by Pragya

“थपकी प्यार की”

November 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मेरा गम तेरे दर्द से ज्यादा है
मेरी आँख में आँसू तुझसे ज्यादा है
एक बार देकर प्यार की थपकी
सुला दे साथी !
मेरे दिल में जख्म़ तुझसे ज्यादा है…

by Pragya

वह दहशत गर्दों के सम्पर्क में

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो ऐसा सोंच भी कैसे सकते हैं
मेरे देश के ही दुधमुहे बच्चे हैं
पर करें भी तो हम क्या करें
वह दहशत गर्दों के सम्पर्क में रहते हैं
पथ्थर फेंकते हैं सेना के ऊपर
और जेहाद कहते हैं
करें भी तो क्या करें
वह तो जेब के साथ दिल में भी बम रखते हैं
जो सस्ते हैं उनके जीवन से
जाने किस पाठशाला में पढ़ते हैं
हमारे कश्मीर के नागरिक तो
पाकिस्तान के इशारों पर चलते हैं

by Pragya

ताश के पत्तों की तरह

November 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

ताश के पत्तों की तरह
बिखर गई मैं
जब तूने कहा
मैं तेरा नहीं किसी और का हूँ…!!

by Pragya

मंगलसूत्र; सुहाग का प्रतीक

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मंगलसूत्र को सुहाग का प्रतीक
माना जाता है
जाने क्यों ऐसा कहा जाता है??
बचपन से यही सोंचती थी मैं पर
आज देख भी लिया अपनी आँखों से;
एक विधवा स्त्री के सामने आने पर
लोगों ने उसे अशुभ ठहराया
ताने उसको मार-मार कर
फौरन वहां से उसे भगाया
तभी सामने से कुछ सुहागन
पूजा को सज-धज निकलीं
लोग उन्हें देखकर सुखी थे
मन ही मन निश्चिंत हुए थे
कि विधवा स्त्री को देखने के बाद
कुछ तो अच्छा शगुन हुआ
मंगलसूत्र और सुहाग के प्रतीक चिह्नों
के महत्व का तब मुझको एहसास हुआ…
पर मन में एक टीस उठी
क्या इनका महत्व इतना ज्यादा है !!
विधवा स्त्री का चेहरा भी क्या इतना
अभागा है??

by Pragya

दहेज प्रथा एक अभिशाप

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दहेज प्रथा एक अभिशाप
**********************
बूढ़ा बाप अपनी पगड़ी तक निकालकर
दे देता है और
माँ अपने कलेजे का टुकड़ा
पर फिर भी नहीं भरता
लोभियों का मन
जाने क्या लेना चाहे वो ?
समझते क्यों नहीं इस बात को वह
दुल्हन ही दहेज है
कब समझेंगे
जो तड़पाते हैं गैरों की लड़की को
वह एक दिन अपनी लड़की भी
दूजे घर भेजेगें
दहेद प्रथा है समाज का अभिशाप
यह लोभी लोग कब समझ पाएगे
हिसाब होगा अच्छे-बुरे कर्मों का वहां
जब दुनिया छोंड़कर
पैसे के लोभी जाएगे…

by Pragya

**आज उसी वृद्धाश्रम में***

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

छोंड़ दो इस बुढ़िया को
किसी वृद्धाश्रम में
यह सुनकर मुझको थोड़ा गुस्सा आया
एक दिन फिर तंग आकर पत्नी से
वृद्ध माँ को आश्रम मैं छोंड़ आया
रोया बहुत माँ से लिपटकर
माँ का दिल भी भर आया
माँ ने आँसू पोंछे अपने आंचल से
और उनको मुझ पर प्यार आया
बोली बेटा आते रहना
अपने घर का भी खयाल रखना
मत रोना मुझको याद करके
मेरे लिए बहू से मत लड़ना
मेरा क्या है
मैं कब मर जाऊं
तू रहना खुश और आते रहना
यह कहकर माँ ने कर दिया विदा…
आज उसी वृद्धाश्रम में
मैं भी आ गया रहने के लिए सदा
मेरा बेटा भी मुझे बोझ समझकर
मुझे यहां छोंड़कर हो गया दफा…

by Pragya

जला दिया क्यों मुझको साजन ???

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जला दिया क्यों मुझको
ओ साजन!
ऐसी क्या गलती कर बैठी थी
मैं तो अपने सास-ससुर की पूजा देवों सम करती थी
ननद को अपनी बहन की तरह मानती थी
देवर को भैया कहती थी
जला दिया क्यों मुझको साजन
मैं तो तेरी धर्मपत्नी थी
तुम जो कहते थे वो करती थी
तुम्हारी ज्याती भी सहती थी
देखा करती थी पराई स्त्रियों के संग में
पर फिर भी मैं चुप रहती थी
तेरी छाया देख के मैं घूंघट करके पीछे चलती थी
जला दिया क्यों मुझको साजन !
मैं भी तो एक इंसान ही थी…

by Pragya

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों…

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जख्म अपनों ने दिल पे
हर बार कर दिये
अपने ही शहर के बच्चों ने
हम पर पथराव कर दिये
दर्द उस दम बढ़ा मेरा ऐ हिन्दुस्तानियों !
जब हमारी कुर्बानी पर भी
सियासत के शकुनि
राजनीति के दांव चल दिये
हम हिन्द के रक्षक हैं
किसी पार्टी के भाड़े के टट्टू नहीं
हम तो तिरंगे में लिपटकर
उस पार चल दिये
ये देश हमारा है और हम इसके सपूत
हे युवाओं ! हम देश की बागडोर
तुम्हारे हाथ में सौंपकर
अब यार चल दिये….

by Pragya

तुम्हारे नाम की मेंहदी…

November 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

तुम कहते रहे और हम सुनते रहे
आख़री वक्त तक सपने बुनते रहे,
उठ गई डोली मेरे अरमानों की फिर भी
हम तुम्हारे नाम की मेंहदी रचते रहे…

by Pragya

‘आज तुमने मुस्कुराकर बात की’

November 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आज तुमने मुस्कुराकर बात की
कुछ रोने वाली और
कुछ हँसने वाली बात की,
अच्छा लगा मुझको तुम्हारा
झगड़ा करना भी
खुशी इस बात की है कि तुमने हमसे बात की…

by Pragya

दामन छोंड़कर चल दिये

November 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

इल्जाम पर इल्जाम
लगाता ही रहा वो
हम चुपचाप सहते रहे,
जब हद हो गई सहने की तो
हमने कुछ ना कहा बस
दामन छोंड़कर चल दिये….

by Pragya

प्रकाश पर्व; गुरु पूर्णिमा

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्रकाश पर्व; गुरु पूर्णिमा
**********************
आज है नानक जी का जन्मदिवस
पावन बेला आई है
प्रकाशपर्व है आज गुरु पूर्णिमा की सबको बधाई है
जीवन में सबके आए खुशहाली
नानक का सिर पर हाथ हो
लंगर बँटें आज गुरुद्वारे
भजन-कीर्तन का साथ हो
प्रकाश पर्व के रूप में
यह त्योहार मनाया जाता है
नानक थे सिक्खों के प्रथम गुरू
इसीलिए यह गुरू पर्व मनाया जाता है…

by Pragya

कार्तिक पूर्णिमा और देव-दीपावली

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कार्तिक पूर्णिमा के दिन
देव-दीपावली मनाते हैं
सारी अप्सराएं नृत्य करती हैं
इन्द्रदेव झूमते जाते हैं
पूंछा मैंने माँ से एक दिन; क्यों देव दीपावला मनाई जाती है
स्वर्ग सजाते हैं देवता
धरती भी दीपों से सजाई जाती है
माँ ने कहा; यह देव दीपावली की कथा बहुत ही निराली है
एक त्रिपुरासुर नामक राक्षस था, वह मायावी था, बलशाली था
महादेव ने उसका वध करते देवताओं को किया सुरक्षित था,
यही नहीं इसी दिन विष्णु जी ने मत्स्यावतार लिया था…
और गज ग्राह के युद्ध पर
विष्णु भक्त गज की रक्षा हेतु ग्राह का संहार किया था..
इसी कारण से देवों ने स्वर्ग को दीपकों से सजाया था
विष्णु जी की आराधना
करके विष्णु जी को मनाया था
तभी से इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा, कथा की जाती है
स्वर्ग समेत धरती पर भी देव- दीपावली मनाई जाती है..

by Pragya

“अब दिल्ली दूर नहीं”

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

किसानों ने ‘अब दिल्ली दूर नहीं’
यह नारा सत्य कर दिखाया है
पूरे देश को अपनी व्यथा से
रूबरू करवाया है
पर कुछ सियासत के घोंड़ो के
कान पर जूं नहीं रेंगता है
सारा देश देख रहा पीड़ित किसान
पर सरकार को दिखाई नहीं पड़ता है
पानी की बौछार करें कभी
आँसू गैस का छिड़काव करें
पर किसान के हौसले को
कोई हथियार ना छलनी कर सके
तुम डटे रहो बस अड़े रहो
देखो अब दिल्ली दूर नहीं
तुम्हारे साथ है देश की शक्ति
तुम हो इतने कमजोर नहीं…

by Pragya

ये कैसा कलयुग आया है ???

November 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हे राम तुम्हारी दुनिया में
ये कैसा कलयुग आया है…!!
*************************
कहीं जल रहे दीप तो देखो
कहीं अंधेरा छाया है
हे राम ! तुम्हारी दुनिया में
ये कैसा कलयुग आया है…!!
तज रहे प्राण मानव देखो
कटते जाते जंगल देखो
बेघर होते पक्षी देखो
सड़कों पर रोते बच्चे देखो
देखो तुम मरते किसान को
जीवित तुम रावण देखो
बोया था तुमने जो बीज कभी
उसमें फल देखो कैसा आया है ?
हे राम ! तुम्हारी दुनिया में
ये कैसा कलयुग आया है…!!

सड़कों पर लुटती सीता देखो
घर-घर में बैठा विभीषण देखो
देखो तुम कपटी शकुनी को
मन्दिर में बैठा ढोंगी देखो
मानव तो हे केशव ! अब तो
दानवता पर उतर आया है
हे राम ! तुम्हारी दुनिया में
ये कैसा कलयुग आया है…???

काव्यगत सौंदर्य एवं विशेषताएं:-
यह कविता मैंने किसानों पर हो रहे अत्याचार और नारियों के प्रति निम्न दृष्टिकोंण रखने वालों के ऊपर आक्रोश में लिखी है….
अच्छे दिन आने वाले हैं का नारा लगाने वालों के नेत्रों को खोलने के लिए व्यंगात्मक शैली में लिखी है…
शब्द तथा भावों के तारतम्य को बनाए रखने का पूरा प्रयास किया है एवं पाठक की मानसिकता को ध्यान में रखते हुए लिखा है जिससे उसे यह कविता पढ़ने में कोई कठिनाई ना महसूस हो और अंत तक उसकी जिज्ञासा बनी रहे…
उम्मीद है यह कविता समाज की कुत्सित सोंच को बदलने में सहायक होगी…

by Pragya

हे क्षेत्रपाल..!!

November 29, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे देश के किसान !
मत हो परेशान
यह बुरा वक्त भी टल जाएगा…
जिसने जो बोया है
वो वैसा ही फल पायेगा
सुना तो होगा तुमने भी;
बुरा वक्त सिर्फ हमारे
सब्र का इंतेहान लेने आता है
कुछ हानि कराता है तो
कुछ सिखलाकर भी जाता है
मत रो तुम, मत हो उदास
तुम्हारे अश्कों से ना पिघलेगा
पथ्थर दिल हे क्षेत्रपाल !
तुम लगे रहो बस डटे रहो
मत रखना कदम अब पीछे तुम
तेरे स्वेद और हिम्मत से तो
यह अम्बर भी झुक जाएगा…

by Pragya

ऐ जाते हुए लम्हों…!!

November 29, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐ जाते हुए लम्हों !
मुझको भी साथ में ले लो
तुम संग मैं भी मिल लूंगा
अतीत के मीठे सपनों से
खो जाऊंगा मैं फिर से
बिखरी-बिखरी जुल्फों में
उन खुशबू वाली सांसों में
एहसास अलग होता था
मैं भूल जाता था सबकुछ
जब पास में वह होता था
ऐ लम्हों जरा ठहरो !
चलने दो संग में अपने
जो अधूरे रह गये सपने
पूरे करने दो, संग चलने दो…

by Pragya

“ममता की मूरत हो तुम”

November 28, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

देखी दुनिया की खूबसूरती
पर माँ सबसे खूबसूरत हो तुम
मेरी सबसे अच्छी सखी और
ममता की मूरत हो तुम
जो मुख से निकले मेरे फौरन
हाजिर कर देती हो
मेरे चेहरे से ही तुम दुःख
तकलीफ भांप लेती हो
पूरा दिन तुम काम करो
सबकी फिक्र तुम करती हो
सोती सबसे बाद में तुम पर
सबसे पहले उठती हो
माँ तुम कितनी अच्छी हो
दिल की कितनी सच्ची हो…

by Pragya

वृक्ष कहे रोकर पृथ्वी से….!

November 28, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वृक्ष कहे रोकर पृथ्वी से
हे वसुधा ! मैं हूँ भयभीत
बोया मुझको प्रेम से किसी ने
रोपा और दिया आशीष
पर जाने कब चले कटारी
मेरे चौंड़े वक्षस्थल पर
आज मैं देता हूँ छाया सबको
और देता हूँ मीठे फल
जाने कब कट जाऊं मैं भी
अपने साथी वृक्षों सम
रोंक सकूं मैं मानुष को
मुझमें ना है इतना दमखम
जला लकड़ियां मेरी जाने
कितने घरों में बने भोजन
मुझको ना काटो हे मानुष !
देता हूँ मैं तुमको आक्सीजन…

शुद्ध करूं मैं वायु तुम्हारी
और मिटाऊं भूख तुम्हारी
लेता ना बदले में कुछ भी
बस केवल बक्श दो जान हमारी….

by Pragya

‘बैकुंठ चतुर्दशी’

November 28, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज है बैकुंठ चतुर्दशी
पावन बेला शुभ दिन है
श्री हरि विष्णु और महादेव
का आज साथ में पूजन है….
जो पूजे विष्णु संग शंकर
वो जाये बैकुंठ धाम
बैकुंठ चतुर्दशी पर प्रज्ञा का
हरि को कर जोड़ प्रणाम….

by Pragya

साहित्य शिरोमणि हरिवंश राय बच्चन

November 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

“हरिवंश राय बच्चन बर्थ डे स्पेशल”
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आज जन्मदिन है उनका
जिसने लिखी थी मधुशाला
वह कहते थे अपने परिचय में:-
‘मेरे लहू में है पचहत्तर प्रतिशत हाला’
नाम है उनका ‘हरिवंश राय बच्चन
जन्म हुआ २७ नवम्बर १९०७ इलाहाबाद में उनका…
वह थे छायावत लेखक और समृद्ध कवि
मिला उन्हें पद्मभूषण साहित्य के क्षेत्र में थे महारथी..
अमिताभ बच्चन महानायक हैं उनके बेटे,
वह भारत सरकार के
विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ थे…
हरिवंश राय बच्चन जी
अपने निजी जीवन में बहुत
ही सामाजिक थे
आधे से ज्यादा जीवन बीता
उनका किराये के घर में,
अपनी प्रिय पत्नी श्यामा के
गुजर जाने के बाद
उनकी हर एक कविता में
एक दर्द रहता था
कुछ समय पश्चात ‘तेजी’ से विवाह किया था..
वह युवाओं से कहा करते थे
‘जो बीत गया सो बीत गया’
‘क्या भूलूं क्या याद करूं’
इस रचना से उनका मान बढ़ा..
वह एडिट्यूट के कवि कहे जाते थे
लिखते उम्दा थे और समाज को नई राह देेते थे..
देश का सबसे मशहूर कवि
२००३ में सांस की बीमारी से हमको हमेशा के लिए अलविदा कह गया..
साहित्य का वह कोना हमेशा के लिये सूना रह गया…

by Pragya

शिकवों के पुलिंदे….

November 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

यादों के पंख फैलाकर
सुनहरी रात है आई
उन्हें भी प्यार है हमसे
सुनने में ये बात है आई
पैर धरती पे ना लगते
उड़ गई आसमां में मैं
जीते जी प्रज्ञा’ देखो
स्वर्ग में भी घूम है आई .
चाँद पर है घटा छाई
गालों पर लट जो लटक आई…
सजती ही रही सजनी
सजन की प्रीत जो पाई
मिलन की आग में देखो
जल गये शिकवों के पुलिंदे,
पीकर नजरों के प्याले
प्रज्ञा बन गई मीराबाई…

by Pragya

‘प्रेम के उपनिषद्’

November 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

थक गई हूँ अब रोते-रोते,
तन्हा राहों पर चलते-चलते
इन बिखरी साँसों की
अरज बस है यही तुमसे
मिलन जब भी हमारा हो
ना कोई गिला-शिकवा हो
‘प्रेम के उपनिषद्’ पर बस
नाम अंकित तुम्हारा हो
बिखर कर टूटने से पहले
जब मिलना कभी हमसे,
मुझी में डूब जाना तुम,
फकत बाँहों में भरकर के…

by Pragya

“हे भारतीय ! हे सैनिक प्रिय !”

November 26, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

“२६-११ हमले पर भावभीनी श्रद्धांजलि”
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याद है वो २६-११ हमले की घटना
जिसमें हमारे जवान शहीद
हुए थे
कैसे भूलेंगेे हम वो दिन जब
हमारे सैनिक हमसे दूर हुए थे
उन वीरों को प्रज्ञा’ की नम आँखों से श्रद्धांञ्जलि
२६-११ हमले की घटना ना हो फिर कभी..
लड़ना है जिनको आयें वो
शत्रु रण में आगे
टिक पायेंगे ना वो भारतीय वीरों के आगे..
बुज्जदिलों के जैसे करते हैं पीछे से हमला
हम भारतीयों का जिगरा है सिंहों से भी तगड़ा…
हे भारतीय ! हे सैनिक प्रिय !
तुमको प्रज्ञा का नमन है
तुम हो भारत माँ के सच्चे सपूत
तुम-सा ना कोई कल था, ना कोई अब है…

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