Pragya
कैसा ये इश्क है !!
October 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
बहुत सोंचने समझने के बाद
मैं इस नतीजे पर पहुँची कि
तू मेरा नहीं हो सकता
और चाहे जिसका हो जाए
मैं तेरे सिवा किसी और की नहीं हो सकती चाहे दुनिया
इधर की उधर हो जाए..
कयामत हो ही जाती है..!!
October 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम्हारे नाम से दिल में
एक हलचल-सी मचती है
तुम होते हो जब पास
शराऱत हो ही जाती है
लगा ले लाख कोई
अपने दिल पर पहरे
हो जब महबूब इतना
खूबसूरत तो
मोहब्बत हो ही जाती है
तेरी यादों की गर्मी से
तपा करती हैं ये साँसें
जब पास में मौजूद हो
चाँद-सा हमदम
कुछ हो ना हो लेकिन
कयामत हो ही जाती है…!!
इंसान कहाँ मानते हो तुम
October 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
नहीं सोंचा था हमनें
इतना बैर मानते हो तुम
हम छिड़कते हैं जान तुम पर
और मुझे गैर मानते हो तुम
दूरियों से प्यार बढ़ता है
ये जमाने को कहते सुना करते थे
अब आया समझ में
मुझे क्या मानते हो तुम
बेकार ही है तुमसे दिल
लगाना मेरा
मेरे प्यार को प्यार
कहाँ मानते हो तुम
सबकी रखते हो खबर और
सबका खयाल
मुझको इंसान कहाँ मानते हो तुम…
“वो कॉलेज वाला लड़का”
October 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
वो कॉलेज वाला लड़का
परीक्षा में मेरे पीछे
बैठा करता था
बोलता कुछ भी नहीं था
पर छुप-छुप के देखा
करता था
सारी परीक्षाओं में
मेरी कॉपी से लिखता
रहता था
पढ़ता कुछ भी नहीं था
मेरे ही भरोसे रहता था
मैं भी ना जाने क्यों
परोपकार करती रहती थी
पलट के कॉपी के पन्ने
उसको दिखलाया
करती थी
मेरी कॉपी से टीपने
के कारण वह भी टॉपर
बन जाता था
मैं आती थी कॉलेज में फर्स्ट
वह भी सेकेण्ड आ जाता था
फिर मिल गई डिग्री और
हम दोनों हो गए अलग-थलग
वो अपने रस्ते और
मैं अपनी सड़क
फिर आयी टी.ई.टी की बारी
वो हो गया बेचारा फेल
मैंने फिर बाजी मारी
काश ! टी.ई.टी में भी वो
मेरे पास बैठा होता
वो भी मेरी तरह
69000 भर्ती में लटका होता !!
————————
कामयाबी का जुनून
October 12, 2020 in शेर-ओ-शायरी
कामयाबी का जुनून है मुझे
फिर मुश्किलों की मजाल है
जो मुझे रोंक पाएं
मंजिल तक पहुँचने से…
***राम कसम***
October 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
रह जाते हैं ख्वाब अधूरे
झूठे-मूठे वादों से
जब से तूने ये दिल तोड़ दिया
डर लगता है सबकी बातों से
चाँद ताक कर कटती हैं
जब से मेरी रातें
*राम कसम’* तबसे मुझको
डर लगता है रातों से…
‘मेरे चाँद की मुस्कान’
October 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
बहुत दिनों बाद देखा
आज मैंने चाँद
मुस्कुरा रहा था,
लग रहा था खुश था !
आँखों में थी उसकी बदमाशियाँ
होंठों पर सजी थी खामोशियाँ
एक अर्से बाद
उसका दीदार हुआ
मुझे यूँ लगा के नया जनम हुआ
तरस गई हूँ मैं उसके दीदार के लिए
मन्नतें माँगती हूँ मैं उसके प्यार के लिए…
मेरी छोटी-सी गुड़िया
October 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
छोटी-सी है पर बड़ी शैतान है
उसी में बसती हर पल मेरी जान है
नादानियों पर उसकी
बड़ा प्यार आता है मुझको
मैं ही नहीं पूरा परिवार
प्यार करता है उसको
ना जाने कहाँ की
बोलती है वह भाषा
हो जाए झट से बड़ी
यही है हम सबकी आशा
बहुत प्यारी है मेरी छोटी-सी गुड़िया
लगती है जैसे हो आफत की पुड़िया
टूट जाते हैं रिश्ते
October 11, 2020 in शेर-ओ-शायरी
फूल से कोमल होते हैं रिश्ते
हरी डाल की तरह लचीले
होते हैं रिश्ते
बहुत सम्भाल कर रखना
पड़ता है इन्हें
वर्ना शीशे की तरह टूट
जाते हैं रिश्ते..
खामोंश हैं लब
October 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
कितना बोलता है दिल
पर तुम नहीं सुनते
मेरी धड़कनों की सदा
क्यों नहीं सुनते
खामोंश हैं लब मेरे
कुछ मजबूरियां हैं इसलिए
वरना ऐसा नहीं है कि
तुमसे प्यार हम नहीं करते…
खत में रखे गुलाब…!!
October 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम्हारा खत
*********************
तुम्हारा खत पढ़ ही रही थी कि
भाभी आ गईं
खत तो छुपा लिया पर
खत में रखे तुम्हारे दिए गुलाब
गिर पड़े पलंग पर
इससे पहले भाभी देखें
उन्हें बातों में भरमाया
अपने दुपट्टे के अन्दर
फूलों को तुरंत छुपाया
“ओ भाभी ! आज तो आपका चेहरा
बहुत चमक रहा है
क्रीम का है कमाल या
एल.ई.डी. लाईट का इफेक्ट पड़ रहा है”
भाभी मुसकाने लगीं और
मन ही मन शरमाई
कुछ इस तरह उस दिन बुद्धी से मैंने
अपनी जान बचाई….
“एक और परीक्षा”
October 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
खत्म हुई अाज जिन्दगी की
एक और परीक्षा
फिर जीत गई मैं
हमेशा की तरह
अब परिणाम की प्रतीक्षा भी नहीं
क्योंकि स्वयं की मेहनत पर
अटूट विश्वास है
परीक्षा का अनुभव कैसा भी
रहा हो पर
परिणाम तो अच्छा ही होगा
मेरा दिल मुझसे कहता है प्रज्ञा !
एक दिन ऐसा भी आएगा जब
तेरे कदमों तले जहान होगा..
**स्वयंवर**
October 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
सीता सम हो स्वयंवर
हर नारी को मिले
अपना वर चुनने का अधिकार
तभी तो बनेगी राम-सीता की जोड़ी..
परिवार ढूंढ लाते हैं रावण-सा
दामाद और भेज देते हैं संग में
अपनी दुलारी
कैसे रहेगी ? कैसे निभेगी ?
जब मिलती नहीं है जरा भी सोंच दोनों की
आखिर दुलारी
होती है प्रताड़ित झेलती है जीवन भर
रावण को या फिर
छोंड़ जाती है बेबस हो दुनिया बेचारी…
लड़के की खातिर ढूंढ लाते हैं
शूर्पनखा-सी पत्नी
और बनाते हैं उसे अपने घर की लक्ष्मी
वो तो बेटा ही जानता है
कैसे कटती हैं उसकी रातें
किससे कहे वह
अपने दिल की बातें…
**डोली अरमानों की**
October 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
अनगिनत सपनें लेकर
बैठी थी डोली में
कैसे होंगे ससुराल वाले
यह प्रश्न उठा करता था मन में
विदा होकर परिजनों से
पिया संग चल दी
मेरे अरमानों की डोली भी
मेरे साथ चल दी
मेरे सपनों को मेरा पति ही
पूरा करेगा
जिस डगर चलूंगी
मेरा साथ देगा
बसाऊंगी घर मैं उसके दिल में
कोई ना होगा संग
पर पिया साथ होगा
जब आई ससुराल तो
एक-एक करके
टूटते नजर आए सपनें
रोई मैं फूट-फूट करके
जो डोली अरमानों की
साथ आई थी मेरे
उठ गई अर्थी उसकी सदा के लिए!!
*मेरा प्रण तो भीष्म प्रतिज्ञा है*
October 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
है सपना कुछ कर जाने का
दुनिया में छा जाने का
बेमोल जिन्दगी को
अनमोल बना दिखलाने का
हैं मुट्ठी भर अरमान मेरे
जग में छा जाने का
कौशल है
यदि ठान लिया कुछ करना है!
तो मेरे कदमों नीचे भूतल है
प्रज्ञा’ नहीं है यूँ ही नाम मेरा
मुझमें सचमुच प्रज्ञा है
जो ठाना करके दिखलाया
मेरा प्रण तो भीष्म प्रतिज्ञा है….
“कचरापार्टी”
October 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
उसकी आवाज सुनकर
आँख खुल जाती हैं
उनींदी आँखों में ही
उठ पड़ती हूँ बिस्तर से
धड़कनें तेज और तेज हो जाती हैं
रात होती है ब्रह्म मुहूर्त में मेरी
उठने में दोपहर हो जाती है
पर जब से आने लगी है
कचड़े वाली गाड़ी
मेरी नींद हराम हो जाती है
अजान की आवाज से खुल ही
जाती थी आँखें !
अब तो
नगरपालिका की गाड़ी भी
आ जाती है
“गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल”
ये गाना लाउडस्पीकर पर रोज
बजाती है
मन आता है मार-पीटकर
उसी को कचरा बना दूँ
कसम से जब आँख खुल
जाती है
यूँ ही गर रोज गाड़ी आती रही
तो मैं पागल हो जाऊंगी
फिर तो सड़कों का कचरा
खुद ही बीनने लग जाऊंगी…
आशु कवि
October 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
जब कविता लिखने का कोई
मूड नहीं बन पाता है
मार सुड़ुप्पा चाय का प्यारे !
ये दिल आशु कवि बन जाता है
दो-तीन कपों में मैं तो पूरी
कविता लिख लेती हूँ
पाँच कपों में खण्डकाव्य और
निबंध का सृजन कर लेती हूँ
यदि होती कोई टेंशन है तो
चाय का सुट्टा मार के मैं
खुद को टेंशन फ्री कर लेती हूँ
यदि पी लूँ पच्चीस प्याला चाय
तो टोन में फिर आ जाती हूँ
महाकाव्य लिखकर ही मैं
नशे से बाहर आती हूँ…
वो मेरा जीवनसाथी था….
October 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
मेरे सुंदर चेहरे और मीठी आवाज
पर टिका थे वो रिश्ते
जब आवाज घरघराने लगी
चेहरे पर झुर्रियां पड़ गईं
ढल गई जवानी
शाम-सी जब
दर्पण भी नजर चुराने लगा
तब टूट गये सारे रिश्ते
सब छोंड़ गये
मुझको मरते
तब दिया सहारा
जिन बाँहों ने
सहलाया जिसने हाँथों से
वह मेरा जीवनसाथी था
जो मेरे सुंदर चेहरे पर नहीं
सुंदर हृदय पर मरता था
उस समय समझ आया मुझको
ये जो सम्बंध होते हैं
वो सुंदर
हृदय और अटूट विश्वास पर
चलते हैं…..
‘कोरी जिन्दगी’
October 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
तेरी तस्वीर को व्हाट्सएप पर देखा
आज मैंने कई सालों बाद
वो दौर याद आ गया
जब हम रात-रात भर
बातें किया करते थे
उन होंठों से काफी
पुराना रिश्ता रहा है मेरा
जो तस्वीर में खामोश
दिख रहे थे
आँखों में वो चमक भी नहीं थी
जो पहले हुआ करती थी
मैं तो सिमट ही गई हूँ
अपनी कोरी जिन्दगी में
पर तुम्हें क्या हो गया ?
बडे़ उदास नजर आ रहे हो !
वो प्यारी-सी हँसी कहाँ गई ?
जो कभी होंठों पर सजा करती थी….!!
मलिका***
October 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
जिन्हें हम प्यार करते हैं
नहीं इजहार करते हैं
देखते हैं उन्हें छुपकर
पर सामने जाने से डरते हैं
एक दिन पूँछ बैठे हम
किसी से प्यार है तुमको
वो बोले हाँ हम किसी
से किसी से प्यार करते हैं
आज तो उगलवा ही लेंगे हम
ये सोंच लिया हमने
पूँछा कौन है वो लड़की
क्या नाम है उसका ?
वो बोले:
जिसे हम प्यार करते हैं
नहीं बदनाम करते हैं
हमने बड़ी शिद्दत से
फिर पूँछा
कहाँ रहती है वो लड़की
और दिखने में है कैसी ?
वो बोले जाने कैसी है !
मुझे तो अच्छी लगती है
गोरी-सी है पतली-सी
है थोड़ी नकचिढ़ी लड़की
रहती है सीतापुर में
और करती है बी.टी.सी.
मेरे दिल की है मलिका
रोज ख्वाबों में आती है
लिखा करती है कविताएं
मुझे जी-जान से चाहे
करता हूँ बात जब उससे
तो टेसू ही बहाती है
खुद को ही अपनी वो
सौतन समझती है
अपने आप को ही वो
सौ गाली बकती है
मुझे प्यार है किसी और से
वो इस गलतफहमी में
रहती है
मेरे प्यार का वो कहाँ
एहसास करती है
ना बोलूंगा कभी उसको
कि कितना प्यार है मुझको
देखता हूँ वो कब इस
बात को जान पाती है…
वो ज्वार है इश्क
October 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
मर के भी ना खत्म हो
वो जुनून है इश्क
जी कर जो अधूरी रह जाए
वो कहानी है इश्क
तेरे-मेरे दर्मियां जो
रिश्ता है
उसका नामोनिशान है इश्क
बीच की खिड़की खोलकर
जो बातें होती हैं
उन बातों का बहाना है इश्क
रब होगा पर देखा नहीं
मेरे लिए तो मेरा भगवान है इश्क
नजरों से नजरें टकराने पर
जो होता है
वो एहसास है इश्क
मेरे होंठों ने जो ना कहा
मेरे कानों ने जो ना सुना
वो अल्फाज है इश्क
तेरे सामने आते ही जो मचती है
हलचल दिल में
वो ज्वार है इश्क
तेरे स्पर्श से जो रोंम-रोम
पुष्पित हो उठता है
उस बसंत की बहार है इश्क..
प्यार का इजहार
October 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
अरमां हमारे कम नहीं
इरादों में भी दम कम नहीं
रोज सोंचते हैं आज तो कर देंगे
उनसे प्यार का इजहार पर
उनके सामने जाने की हिम्मत नहीं
खिड़की से देखकर खिड़की
बंद कर लेती हूँ
वो भी हमारे प्यार में पागल
कम नहीं
गर हो गई किसी और से शादी तो
इस जहान में रहेगे हम नहीं
मर जाएगे और रोज आएगे सताने
किसी सौतन को उनके पास
आने देगे हम नहीं
कितने भी भूत-प्रेत भगाने के
जतन कर लें वो पर
उनके शरीर को छोंड़कर
जाएगे हम नहीं…
हमारे दिल में रहते हैं
October 9, 2020 in शेर-ओ-शायरी
इरादे नेक रखते हैं
सभी को प्रेम करते हैं
वही दिल को दुःखाते हैं
जो हमारे दिल में रहते हैं
उसने कहा…!!
October 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
उसने कहा
बड़ा अच्छा लिखने लगी हो आजकल
मैंने कहा नहीं तो पहले भी
बेहतर लिखा करती थी
वो बोला हाँ
तो मैंने ऐतराज कब किया !
बस आज कुछ खास था तो
बता दिया
मैंने शर्माते हुए कुछ कहना चाहा
पर ना कहा
दिल बोल रहा था
पर होंठों ने कुछ ना कहा…
कौन कहता है…!!
October 9, 2020 in शेर-ओ-शायरी
कौन कहता है कि दूरियाँ सिर्फ मीटरों में मापी जाती हैं
**********************************
कभी-कभी तो खुद से मिलने में भी एक उम्र बीत जाती है…
शब्द और सोंच
October 9, 2020 in शेर-ओ-शायरी
शब्द और सोंच दोंनो ने बढ़ा दिये फासले
**********************************
क्योंकि कभी हम समझ नहीं पाए और
कभी समझा ही नहीं पाए…
जिन्दगी के हर दौर का मजा लेती हूँ
October 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
छोंड़कर शिकायत बस
शुक्रिया अदा करती हूँ
जितना है पास बस
उसी का मजा लेती हूँ
जिधर से भी निकलती हूँ
मीठी मुस्कुराहट बिखेरती हूँ
जिन्दगी के हर दौर का
मजा लेती हूँ
अश्क देख ना ले कोई
मेरी आँखों में इसलिए
आँखों में ही छुपा लेती हूँ….
पानी:- जीवन का आधार
October 9, 2020 in मुक्तक
जीवन का आधार है पानी
हर मानव का प्राणाधार है पानी
चलो बचाए जीवन इसका
सृष्टि का दिया वरदान है पानी
मानवता को बचाओ..
October 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
जरा कम ही शोर मचाया करो
क्योंकि मैंने अक्सर शोर मचाने वालों को
भीड़ का हिस्सा बनते देखा है
जिनका स्वयं का कोई
अस्तित्व नहीं होता है
सिर्फ दूसरों का अनुसरण करते हैं
खुद की होती नहीं कोई पहचान
दूसरों की परछाई बनते हैं
है तेज तुममें तो शोर मत मचाओ
जाओ घर से बाहर
मरती मानवता को बचाओ
जाकर देखो जरा
दुनियाँ की परेशानियों को
अपनी परेशानी छोटी नजर आएगी
जब लगेगी भूँख तो सूखी रोटी भी
स्वादिष्ट बन जाएगी
जैसा बनाकर देती हूँ
चुपचाप खा लो वरना
जाओ किसी हलवाई से ब्याह रचा लो…..
रिश्ते
October 8, 2020 in शेर-ओ-शायरी
रिश्ता होने से रिश्ते नहीं बना करते
निभाने से बनते हैं
जो रिश्ते बनते हैं दिमाग से
वह केवल बाजार तक चलते हैं
जो निभाए जाते हैं दिल से
वो आखरी सांस तक चलते हैं
चाय-पानी !!
October 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
ना जाने कितनी परीक्षाओं से
गुजरना पडे़गा
आखिर और कितना
पिसना पडे़गा
नसीहत सब देते हैं पढ़ने की
अब नौकरी के लिए क्या
किताबें घोलकर पीना पडे़गा
अरमां हैं आसमान छूने के
पर हकीकत की जमीन पर
ही रहना पडे़गा
युवावस्था में क्या यूं ही
आत्मनिर्भर का पाठ पढ़ना पडे़गा
अगर पता होता कि
ऐसा कुशासन आएगा
युवा बैठकर यूँ ही गाल बजाएगा
जीवन भर पकौडे़
तलने पडे़ंगे
फसेगीं भर्तियां कोर्ट में
धरना देने पर पड़ेेगे कोड़े
ना पढ़ाई में पैसा बहाते
ना किताबों में आँखें गडा़ते
ना व्यर्थ करते अपनी जवानी
ढाबा खोलकर सबको कराते
चाय-पानी !!
वो एक कप कॉफी***
October 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
वो एक कप कॉफी का वादा
तुम्हें याद होगा
रोज़ मिला करते थे तुम मुझसे
उसी वादे की खातिर
कहना चाहते थे मगर
कह नहीं पाते थे
कि चलोगी मेरी बाइक
की बैक सीट पर बैठकर
एक कप कॉफी पीने ?
जो वादा किया था
तुमने एक रोज़
पर कहने वाली एक बात भी
ना कहते थे तुम और
ना जाने कितनी बातें कर जाते थे
वो एक कप कॉफी तुम्हारे साथ
पीने को बेताब मैं भी थी
पर तुम कभी कह ही नहीं पाए और
वो एक कप कॉफी का वादा
अधूरा रह गया !!
वो एक कप कॉफी अगर हम साथ पीते तो…
“वो जवानी के दिन”*****
October 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
मेरे आने पर दिल में
गिटार बजा करती थी
चलती थी सड़कों पर
तो कतार लगती थी
अपने भी दिन हुआ करते थे साहब!
जब मैं जवान हुआ करती थी…
अब इन बूढी़ झुर्रियों ने
कान्ति खत्म कर दी
जो दीवाने थे उनकी
दीवानगी खत्म कर दी…
पर हुआ करते थे हमारे
वो जवानी के दिन
हँसने, खेलने, इतराने के दिन
आँखों में काजल लगाकर
मैं चला करती थी
वैलेंटाइन को
गुलाबों की झड़ी लगा करती थी….
कुछ सामने से देते थे लव लेटर
कुछ सहेलियों के हाथों
भिजवाया करते थे
उन आशिकों में मरती थी
मैं भी किसी पर जब
तुम्हारे बाबू जी बुलट पर
आया करते थे…
क्या बताएं तुम्हें टिंकू !
कभी हम भी जवान हुआ करते थे !!
हमारी मोहब्बत के किस्से
तमाम हुआ करते थे…..
“उम्र और जिंदगी”
October 7, 2020 in शेर-ओ-शायरी
उम्र और जिंदगी में फर्क:-
——————————
उम्र वो है दोस्तों जो बीते अपनों के बिना,
*******************************
जिंदगी वो है जो अपनों के साये में गुजरती है|
हम मुस्कुरा के चल दिए…
October 7, 2020 in शेर-ओ-शायरी
उन्हें हमारी मौजूदगी से
परहेज होने लगा
हमें यह जैसे ही समझ आया
हम मुस्कुरा के चल दिए….
कैसे हमदर्द हो…!
October 7, 2020 in शेर-ओ-शायरी
जाहिर ना होने देंगे हम अपने दर्द को,
तुम समझ ना सको तो कैसे हमदर्द हो !
मेरा आईना…!!
October 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
मैंने गुस्से से उसे देखा
उसने भी गुस्से से देखा
मैंने आँखें दिखाईं
वो भी आँखें दिखाने लगा
मैं तंग आकर हँसने लगी
तो वह भी खिलखिला उठा
मैं मुस्कुराई वह मुस्कुराया
मैं इतरायी वह शर्माया
मैं रो पड़ी जब कभी
वह भी फूट-फूटकर रोया
मेरी तरह वह भी
जाने कितनी रातें जगा
ना सोया
मेरे जीवन वो अभिन्न हिस्सा है
सब झूठे हैं एक वह ही
सच्चा है
मेरे सजने पर सबसे पहले
वही मुझे देखता है
मेरी सभी कमियों को
बिना हिचक बता देता है
मेरा दोस्त है मेरे जीवन का
हिस्सा है…
मेरा आईना…. !!
मुसीबत आई
October 7, 2020 in शेर-ओ-शायरी
जब मुसीबत आई तो मैंने ये नहीं सोंचा
कि ‘अब कौन काम आएगा’
बल्कि यह सोंचा कि देखती हूँ
अब कौन साथ छोंड़ जाएगा..
पुराने दिन फिर लौट आए
October 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
वो जब आया घर तो बिल्कुल
खामोश था
कुछ नहीं बोल रहा था
कोई आवाज नहीं
मैंने पैकिंग खोली
सेल डाले, चैनल सेट किया
आवाज बढ़ाई
रेडियो चलने लगा और
पहली बात जो सुनाई दी…
**************
“ये आकाशवाणी का लखनऊ केंद्र है
अब आप प्रादेशिक समाचार सुनेंगे”
लगा जैसे जीवन में
बहार आ गई
पुराने दिन फिर लौट आए…..
जानती हँ
October 7, 2020 in शेर-ओ-शायरी
मैं लड़ना जानती हूँ
मगर चुप रहती हूँ !
**************
क्योंकि अगर मैं जीत गई
तो जानती हूँ
सब कुछ हार जाऊंगी
चंद्रशेखर
October 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
भीम पार्टी आई देखो
भीम पार्टी आई
दलित को गोद में लेकर
खुद को नेता समझे भाई
वह कहती है
ब्राह्मण, ठाकुर और तलवार
इनको मारो जूते चार
और सभी प्यारे बंधु
दलित पर हो रहा है अत्याचार
यह कैसी सोंच है भाई ?
और कहाँ कि है नैतिकता
भारत लड़ लेता है
बाहरी दुश्मनों से पर
आस्तीन के सांपों के
आगे ना टिकता
गंदी राजनीति करके
चंद्रशेखर क्यों फूट डालते हो
हम हिन्दू भाईयों में
पहले से ही है संग्राम छिड़ा
पाकिस्तानियों और चीनियों में
एक कानून देश में लागू है
लोकतंत्र का देश है
सब रहते हैं स्वतंत्र यहाँ
यह हमारा प्यारा देश है…
जर्जर हैं दीवारें
October 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
हास्य कविता
——————–
गारंटी है जरा भी हँसी नहीं आयेगी !
******************
जर्जर हैं दीवारें इसकी
मत तुम जोर लगाओ
रहना है तो रहो नहीं तो
तुम यहाँ से जाओ
दूसरे भी हैं लगे लाइन में
मेरा दिल तो हाउसफुल है
जो देखे कहे यही
ये लड़की तो ब्यूटीफुल है
मैं उनमें से नहीं कि तेरे
बहाऊं आँसू
तेरी माँ को देख सामने
बोलूं पांय लागूं सासू
मैं हूँ आज की नारी
जीवन व्यस्त बड़ा मेरा है
मेरे आगे-पीछे तो
लड़कों का डेरा है
स्वीटहार्ट हूँ किसी मैं तो
किसी की जानेमन हूँ
सारी लड़कियां मांगे पानी
मैं ही नंबर वन हूँ..
मेरा प्यारा टिंकू
October 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
मेरा कानपुर वाला दोस्त
आज बहुत याद आ रहा है
एक अर्से के बाद
दिल में उसका खयाल
आ रहा है
हनी सिंह के गाने
मेेरे कहने पर गुनगुनाता था
नाराज होती थी जो तो
प्यार से मनाता था
कभी उदास होती थी गर
तो चुटकुले सुनाकर
खुद ही हँसता जाता था
करता था प्यार मुझसे
पर छुपाता था
मेरे उनका फोन आने पर
जल-भुन जाता था
रोता था मेरे लिए पर
सामने हँसता था
मुझसे मिलने सीतापुर भी
आ जाता था
गली में खड़ा होकर देखता था मुझे
मुहल्ले वालों के निकलने पर
भाग जाता था
पता नहीं कहाँ है अब वो
सुना है इन्जीनियर बन गया है वो
मेरा प्यारा टिंकू
बहुत बड़ा हो गया है….
हाथरस की बेटी
October 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
कैसी है ये दरिन्दगी?
हाथरस की बेटी संग जो
होता है कुकर्म उसे
जनता से छुपाया जाता है..
मीडिया की आवाज को
आखिर क्यों दबाया जाता है…
पहुँचते हैं कुछ राजनीतिक दल
राजनीतिक रोटियाँ सेंकने
आखिर गैंग रेप को क्यों
मुद्दा बनाया जाता है..
कानून के रखवाले ही करते है
कानून का भक्षण
पीड़िता के शव को क्यों आखिर
आधी रात जलाया जाता है..
यह कहाँ का न्याय है
आखिर क्या घोटाला है ?
इतनी पुलिस थी क्यों तैनात वहाँ
दाल में लगता कुछ काला है..
यदि इतनी ही पुलिस सतर्क
होती तो क्यों हाथरस की
बेटी मरती
आखिर किन सबूतों को
चुपके-चुपके मिटाया जाता है…
यह दिशा नहीं राजनीति की
October 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
यह दिशा नहीं राजनीति की
पीड़ित परिवार के घर जाओ
यह दिशा नहीं राजनीति की
रेप जैसी घटना पर राजनीतिक
रोटियां सेकों
यह दिशा नहीं राजनीति की
घर में ही नजरबंद करो
यह दिशा नहीं राजनीति की
मीडिया को ना मिलने दो
यह दिशा नहीं राजनीति की
क्या छुपाना था जो रात को ही
जला दिया उस लड़की को
पर्दा डालने के लिए चंद
पुलिसवालों सस्पेंड किया
यह दिशा नहीं राजनीति की…
हम उस देश के वासी हैं
October 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
हम उस देश के वासी हैं जहाँ तिरंगा
लहराया जाता है
भारत माता की जय हो’
यह नारा खूब लगाया जाता है
पर अफसोस है इस बात का हमको
यह कैसी है राजनीति!
जब लुटे किसी की इज्जत तो
उसे राजनीति का मुद्दा बनाया जाता है
गलत हुआ उस लड़की संग
प्रज्ञा यह दिल से कहती है
पर दलित बोलकर उसे
क्यों जातिगत मुद्दा बनाया जाता है
क्या इज्जत लूटने से पहले
कोई पूंछता है तुम किस जाति की हो
पंडित हो तो छोंड़ दिया जाएगा
दलित को ही लूटा जाता है…
दीवानगी का आलम
October 6, 2020 in शेर-ओ-शायरी
दीवानगी का आलम कुछ यूं है
जिधर भी देखती हूँ मैं
लगता है बस तू है
कितनी भी कोशिश कर लूं
मैं तुझे भूल जाने की
पर मेरी तो हर साँस में
मौजूद तू है…
कॉलेज के दिन…!!
October 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम्हे याद हैं वो लम्हे
जब हम साथ पढ़ा करते थे
तुम्हारी कॉपी से देखकर
परीक्षा में लिखा करते थे
तुम मुझे कॉफी के लिए
रोज़ पूंछते थे और हम
मना कर दिया करते थे
आते थे कभी सज-धज कर
तुम हमारे सामने तो हम
तुम्हारा मजाक
उड़ा दिया करते थे
कभी लड़ते थे तुमसे
आँखें दिखाकर
तो कभी
परदे के पीछे छुप जाया करते थे
अब कहाँ रहे
वो कॉलेज के दिन
जब हम मुस्कुराया करते थे !!
दरख्तों से गिरते पत्ते
October 6, 2020 in शेर-ओ-शायरी
दरख्तों से गिरते पत्ते
उठा करके रोये
जब भी खुल गई आँखें
फिर हम ना सोये
जब भी आई मेरे सामने
तुम्हारी सहेली
लिपट करके उससे तेरी
यादों में रोये…
जनाजा़
October 6, 2020 in शेर-ओ-शायरी
शिद्दत से उठाओ तुम मेरा जनाजा
हम ना कहेंगे किसी से कि जिन्दा
अभी हैं हम…