खुदा का फैसला
खुदा से बढ़ कर खुद कोई, नवाब नहीं होता।
उसकी मर्ज़ी के बिना कोई, कामयाब नही होता।
खुदा से खौफ खा बंदे, गुनाह करने से पहले,
कौन कहता गुनाहों का कोई, हिसाब नहीं होता।
यहीं भुगतना सभी को, अपने कर्मों का फल,
उसके फैसले का भी कोई, ज़वाब नहीं होता।
देवेश साखरे ‘देव’
Wahhh
Thanks
Nice poem
Thanks
वाह बहुत सुंदर
Thanks