कैसा रस्ता
ये कैसा तसव्वुर, कैसा रब्त, कैसा वक्त है,
जो कभी होता भी नहीं, कभी गुजरता भी नहीं,
ये कैसा रंग, कैसा वर्ण, कैसा रोगन है,
जो कभी चढ़ता भी नहीं, कभी उतरता भी नहीं,
ये कैसा सफर, कैसा रस्ता, कैसा मन्ज़र है,
जो कभी मिलता भी नही, कभी सुलझता भी नहीं।।
राही (अंजाना)
Nice
Thanks
Nice