क्या उकेर देती
क्या उकेर देती ,
मैं इन कोरे पन्नों के ऊपर।
अपने भीतर की वेदना या दूसरों की प्रेरणा ।
अनकही बातें या सुनी सुनाई बातें।
नहीं जानती इसका अर्थ क्या होता ।
क्या उकेर देती,
मैं इन कोरे पन्नों के ऊपर ।
किसी की हास्य परिहास या कसमों वादों का साथ ।
मां की मीठी लोरी या बचपन की हमजोली।
वही रोज की थकान या फिर अपने अरमान ।
क्या उकेर देती ,इन कोरे पन्नों के ऊपर ।
बचपन की खुशहाली या युवा रोजगारी।
उकेर देती देश की पुकार या पीड़ितों की चित्कार ।
उकेर देती आरोप-प्रत्यारोपों की दुकान,
जो खुली रहती है दिन रात ।
क्या उकेर देती, इन कोरे पन्नों के ऊपर।
तुम्हारे कुछ न कहने के बाद ।
तुम्हारे कुछ न कहने के बाद।
अतिसुंदर
Beutiful
Thank you
वही तो लिखते हैं हम, जो हम देखते हैं, अनुभव करते हैं दूसरों के दर्द को, तकलीफों को
बहुत सुंदर भाव
बेहतरीन प्रस्तुति
बहुत बहुत धन्यवाद
धन्यवाद सर
अतिसुंदर
धन्यवाद जी