चिठ्ठी और मोबाइल
आज एक नयी धुन लगी मेरे मोबाइल को
बोला आज याद आ रही है चिट्ठी अम्मा की
मिलने की जिद पकड कर के
निकला पडा जेब से तड़के
चल पड़ा किसी पुराने कमरे की ओर
फिर उसमे कोने मे पडी
एक अलमारी खोल ली
बहुत ढूँढा, बहुत आवाज दी
सारी किताबें टटोल ली
फिर किसी बंद पुरानी किताब में
आखिर मिल ही गई चिट्ठी अम्मा
काफी बूढ़ी हो गई थी
दसको से कोई मिलने नहीं आया था
बरसों बाद दादी पोते से मिल रही थी
पोता दादी के चेहरे से धूल साफ करने के लिए
बाहर कमरे में ले आया
दादी के चेहरे की झुर्रियाँ एक टक देखता रहा
उधर दादी की खुशी का ठिकाना न था
बरसो के बाद किसी ने हाथो में हाथ थामा था
बंद पड़ी और बरसों दबी
सलवटों में कुछ शब्द मिट चुके थे
दादी की स्मृतियों की तरह
दादी की पुरानी बातें, पुराना अंदाज
आज का स्मार्ट पोता समझ नहीं पा रहा था
एक बहुत बड़ा जनरेशन गैप आ गया था
दोनो की बातो में
दिन भर खूब गपशप हुई दादी पोते में
पोते ने एक सेल्फी भी ली, दादी के साथ
सोचा स्टेटस में लगाऊंगा
और आज दादी भी बहुत खुश थी
अब चैन से वापस सो जाएगी
वापस उन्ही पन्नों के बीच कहीं
और मीठे सपनों में खो जाएगी
लेकिन पोता उदास था
ये सोचकर कि एक दिन वो भी बूढ़ा हो जाएगा
वो भी इसे ही पडा रहेगा किसी कोने में
पड़ा रहेगा अकेला गुमसुम सा
और
स्विच ऑफ सा ।
Nice