जब सब नर में तुम्हीं बसे हो राम

jay shri ram
जब सब नर में तुम्हीं बसे हो राम
तब क्यूँ किसी को रावण बनाते हो राम
और क्यूँ किसी का बेड़ा पार लगाते हो राम
—————————————————-
जब सब नर में तुम्हीं बसे हो राम
तब क्यूँ किसी को रावण बनाते हो राम ।।1।।
—————————————————-
ये खेल है कैसा तेरा राम
कब-तक खेलोगे खूद के साथ राम
तुम्हीं हारते, तुम्हीं जीतते हो राम
———————————————
जब सब नर में तुम्हीं बसे हो राम
तब क्यूँ किसी को रावण बनाते हो राम ।।2।।
——————————————-
माया तुम हो, मायापति भी तुम हो
सृष्टि तुम हो, ब्रह्माण्ड भी तुम हो
कुछ भी तुम्ह हो, कुछ भी तुम्ह जो ना हो
———————————————
जब सब नर में तुम्हीं बसे हो राम
तब क्यूँ किसी को रावण बनाते हो राम ।।3।।
—————————————————–
कवि विकास कुमार

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

होते हम खूद ही दुःखों का जनक और मिथ्यारोपन लगाते गैरों पर ।

होते हम खूद ही दुःखों का जनक और मिथ्यारोपन लगाते गैरों पर । अपने व्यवहार प्रतिकूल संबंध बनाते, ये नहीं देख पाते हम । इसलिए…

Responses

New Report

Close