पत्थरों को भी खड़े होने का सलीका सिखाने में

पत्थरों को भी खड़े होने का सलीका सिखाने में,
कितना काबिल दिखता है वो पिरामिड बनाने में,
सन्तुलन कोई रखता नहीं दो रिश्ते निभाने में,
बेहद तस्सली सुझाता है वो शिलाओं को सिखाने में,
सहज नहीं होता कुछ भी जिस जालिम जमाने में,
भला किस कदर जमाये उसने कदम इस वीराने में।।
राही (अंजाना)
Very nice
धन्यवाद