हम उन बच्चों के साथी है

हम उन बच्चों के साथी है ,जिनके पास न कोई साधन है।
उनके पिता आत्मनिर्भर है, वो सरकारी की भ्रष्टाचारियों के चंगुल में फंसे है।
वो लाख कमाते है, फिर भी अपनें बच्चें को अच्छी तालिम क्यूँ नहीं दे पाते है।
कर में चली आधी वेतन, आधी वेतन महंगाई खा जाती है।
अब खाक़ बचा क्या उनके पास, ये बात हमारी सरकार जानती है क्या?।।1।।

लाखों की तदाद में सरकारी विद्यालय होने के बाबजूद भी।
आम जनता गैर सरकारी विद्यालय में अपने बच्चे को पढ़ना क्यूँ पसंद करते है?
है बहुत सारी सरकारी अस्पताल खोले गये है अपने देश में और उसमें है चिकित्सक बड़े महान।
लेकिन आमजनता सरकारी अस्पताल में जाने से क्यूँ डरते है?
या तो हमारी देश की जनता की मस्तिष्क खराब है या हमारी देश की व्यवस्था कोई काम की नहीं है।।2।।

अब क्या बताये हम देश की प्रशासनिक-व्यवस्था के बारे में?
यहाँ के पुलिस-दरोगा आमजनता को गालियाँ देते है ।
अगर कोई नागरिक अन्याय विरूध्द जूलुस निकालते है।
तो हमारी देश की व्यवस्था आमजनता पे लाठियाँ बरसाती है।
धन्य है हमारी देश की व्यवस्था रक्षक ही भक्षक का काम करती है ।।3।।

यह देश था, धर्मज्ञों, नीतिज्ञों व आचर्य कौटिल्य महान का।
लेकिन यहां के राजा बना दिया सोने की चिड़िया को दरिद्रों का देश है ।
इतिहास दुहराता या वर्तमान कहूँ मैं ये सोच के मैं रोता ।
रात-दिन यहीं सुनता मैं सरकारी की भाषण लगती है सदियों पुरानी ।
कहते है राजा अब रामराज्य लायेंगे लेकिन शिक्षा-व्यवस्था को कभी नहीं सुधारयेंगे ।।4।।
कवि विकास कुमार

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