अब बात मेरी जान पे है
पुरानी डायरियों से-
**अब बात मेरी जान पे है::गज़ल**
जेहन में दर्द जो उठता है आसमान पे है,
बात ये है कि अब बात मेरी जान पे है l
खौफ़ लगता है कि सांसें ना अब दगा कर दें,
खैर! ये बात ज़िन्दगी तेरे ईमान पे है l
आस जिस्म की चौखट पे थक के बैठी है,
क़रार बन के परिंदा कहीं उड़ान पे है l
तमाम उम्र इक आहट का मुन्तज़िर रहा हूं मैं,
चले आओ कि मेरी उम्र अब ढलान पे है l
तू मेरे सिवा और किसी का नहीं हो सकता,
ज़िन्दगी है अगर तो बस इसी गुमान पे है l
आज मत छेड़ मेरे दिल के तराने “सागर”,
मेरी आंखों का समन्दर आज उफान पे है ll
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-Er Anand Sagar Pandey
bahut khoob sagar ji
बहुत-बहुत धन्यवाद श्रीधर जी
बहुत सुन्दर …
तह-ए-दिल से शुक्रिया उदित जी l
Nice
शुक्रिया जी शुक्रिया