Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
चरित्र
वो देखते ही नहीं आईना पलटकर यारों, गर आईने में चित्र की जगह चरित्र उनके दिखाई देते, और होता ही नहीं जो सामना शमशीर ऐ…
चरित्र
वो देखते ही नहीं आईना पलटकर यारों, गर आईने में चित्र की जगह चरित्र उनके दिखाई देते, और होता ही नहीं जो सामना शमशीर ऐ…
नज़र ..
प्रेम होता दिलों से है फंसती नज़र , एक तुम्हारी नज़र , एक हमारी नज़र, जब तुम आई नज़र , जब मैं आया नज़र, फिर…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
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