Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मनुज अब सुमिरन करता है
श्रीराम हरो पीड़ा मनुज अब सुमिरन करता है। जहां तहाँ फैली महामारी, दुखी हुई प्रजा यह सारी, दूर करो रजनी अंधियारी, सुमिरन करता है, मनुज…
मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
आह्ववाहन
देश वासियों जागो, जागो जागो जागो, इतने बलिदानों से आजादी जो पाई, मूल्य उसका पहचानो, जागो,जागो,जागो। बीत गया जो काल कठिन था,। मुश्किल था रहना…
समय जगा रहा हैं
‘समय जगा रहा है’ कठिनाइयां बहुत हैं,चेतावनी विविध हैं, संघर्ष पथ कठिन हैं, जो एकता विहीन हैं। जागों भारतीयों जागों, समय जगा रहा हैं, वो…
जागो हे भरतवंशी
जागो हे भरतवंशी अलसाने की बेर नहीं । सहा सबकी साज़िशों को,करना है अब देर नहीं ।। शालीनता की जिनको कदर नहीं,विष के दाँत छिपाये…
Sundar
Ati sundar
धन्यवाद आपका
बहुत बहुत आभार आपका