Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मां तूं दुनिया मेरी
हरदम शिकायत तूं मुझे माना करती कहां निमकी-खोरमा छिपा के रखती कहां भाई से ही स्नेह मन में तेरे यहां रह के भी तूं रहती…
म्हा- शक्ति
मौलिक–विचार है म्हा–शक्ति, जो उसने ख़ुद तेरे चित् जगाई है, रहते ख़ास कारण उसके काम मैँ,क्यों उसने तुममे यह भरपाई है ? निर–विचार जो…
रात तूं कहां रह जाती
अकसर ये ख्याल उठते जेहन में रात तूं किधर ठहर जाती पलक बिछाए दिवस तेरे लिए तूं इतनी देर से क्यूं आती।। थक गये सब…
माँ
Happy mothers day हर सफलता के पीछे माँ का सहारा है दोस्तों डूबती नैया पार लगदे वो किनारा है दोस्तों माँ के आशीर्वाद से जीवन…
कर्मयोगी
कर्मयोगी अपने कामुक सुखों को कर दमन , अपने गुस्से को दया मेँ कर बदल , अपने लालच को दान की राह कर चलन…
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