मेरा परिचय, मेरी कलम
मेरी कलम , जिससे कुछ ऐसा लिखूँ
के शब्दों में छुपे एहसास को
कागज़ पे उतार पाऊँ
और मरने के बाद भी अपनी
कविता से पहचाना जाऊँ
मुझे शौक नहीं मशहूर होने का
बस इतनी कोशिश है के
वो लिखूं जो अपने चाहने वालों
को बेख़ौफ़ सुना पाऊँ
ये सच है के मेरे हालातों
ने मुझे कविता करना सीखा दिया
रहा तन्हा बहुत अब कलम
और कागज़ का साथ थमा दिया
जी चाहता है के लिखता रहूँ
बस लिखता रहूँ
जो कभी कह न सका किसी से
उसे दुनिया तक पहुँचा पाऊँ
मेरी आवाज़ अक्सर शोर में दब
जाया करती थी
पर जब से कागज़ पे बोलना शुरू किया
अब वो भी वाह वाह करते हैं
जिनका नाम शायद इन कविताओं
में न ले पाऊँ
शुक्रगुज़ार हूँ आप लोगों का
जिन्होंने इतना सराहा मुझे
वरना मेरी क्या हस्ती थी
जो लोगों के दिलों में
घर कर जाऊँ
बस यूँ ही निभाती रहना साथ
तू “मेरी कलम” के
मैं शब्द लिखूं और एहसास बन कर
लोगों को हमेशा याद आऊं
और मरने के बाद भी अपनी
कविता से पहचाना जाऊँ
बेहतरीन
shukriya
Wah
dhnyawad
Nice
Thank you
वाह बहुत सुंदर
apka aabhar
Nice
Thank you
Kya kehna
thank you