Categories: मुक्तक
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मैं बस्तर हूँ
दुनियाँ का कोई कानून चलता नहीं। रौशनी का दिया कोई जलता नहीं। कोशिशें अमन की दफन हो गयी हर मुद्दे पे बंदूक चलन हो गयी॥…
मैं हु एक शराबी शराब जानता हू
मैं हु एक शराबी शराब जानता हू कुछ नहीं सिवा इसके नाम जानता हू उतर जाती है ये सीनै में सुकून देने कुछ नहीं में…
दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
कविता- कौन जानता था |
कविता- कौन जानता था | कर्मवीर होंगे बेचैन अपने घर कौन जानता था | राह निहारेंगे कब ताला खुलेगा कौन जानता था | आयेगा ऐसा…
हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन
संगीत सहित हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन काटो भव-बंधन मेरे हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन काटो भव-बंधन मेरे राम तुम्हीं हो भव-भय हरन वाले — 2 बार…
उत्तम
बहुत-बहुत धन्यवाद सर 🙏 ऐसे ही हौसला बढ़ाते रहें 🙏😊
शानदार
बहुत बहुत आभार 🙏
nice
धन्यवाद 🙏 जी
Very nice
बहुत-बहुत आभार व धन्यवाद
Nice
Thank you 🙏
मेरे पंख।
कवि ने उत्तम
उपमा का प्रयोग किया है