कविता :मोहनदास करमचन्द गांधी
दुनियां में हैं शख्स लाख ,पर दिल के पास हैं गाँधी
अहिंसा ,सत्य ,समता शांति की तलवार हैं गाँधी
अटल ,अविजेय ,अविचल ,वज्र की दीवार हैं गाँधी
अडिग विश्वास ,जीवन का उमड़ता ज्वार हैं गाँधी
उमड़ता कोटि प्राणों का ,पुलकमय प्यार हैं गाँधी
मनुजता के अमर आदर्श की झंकार हैं गाँधी
सूर्य सम कांतिमयी दीप्तिमान हैं गाँधी | |
खादी के द्वारा स्वावलंबन का ,सपना गाँधी ने देखा था
स्वदेशी का उनका विचार सबसे अनोखा था
गीता कर्मयोग में उन्हें विश्वास था
अंजनि के लाल सा ,उनमे उजास था
कहतें हैं लोग व्यक्ति बड़ा वो महान था
आंधियों के बीच मानो तूफान था
वह क्रान्ति की एक मशाल था
वह सत्य का ही आदि था
अंधकार मध्य में वो ही प्रकाश था
गहन दासत्व -तम में मुक्ति -मंत्रोच्चार था
भारत छोड़ो नारे का वो सूत्रधार था
परतंत्र भारत की नव शक्ति की ललकार था | |
“प्रभात ” गाँधी जी का जीवन है मानवता का सार
कहते थे सदा ही वो ,बुरे को नहीं बुराई को दो मार
संजोकर अपने मन में ,हमको रखना है आबाद
आओ मिलकर मनाएं ,गाँधी जयंती का त्यौहार
आओ खुशहाली के फूल बिखेरें ,खुश्बू से चमन महकाएं
राम राज्य लाकर देश में देश का मान बढ़ाएं | |
बहुत ही सुंदर रचना
Thanks sir
बहुत खूब, बहुत सुंदर
Thanks sir
बहुत सुंदर रचना
Thanks ma’am