प्रतियोगिता
आँगे बढ़ने प्रतियोगिता में
सब हुए हिस्से दार
पग बढ़ रहे हैं भीड़ के लगातार
मुश्किल है भीड़ को पहचान पाना
भीड़ में अपनी पहचान बनाना
प्रतियोगिता में पिछड़ने वालो को
अपराधी मानते हुए
उपेक्षित कर दिया जाता है
अकेला जानकार उपेक्षित को
शैतान अपने वश में कर लेता है
उसे नाजायज बनाता है
उसके हाथ में तलवार थमाता है
जिससे वह सबसे आँगे हो जाता है
प्रकरण न्यायालय में पहुंचता है
भीड़ के हाथ उसके समर्थन में
उठ जाते हैं
न्यायधीश बाइज्जत बारी का
फैसला सुनाते हैं
Beautifiul poem
Nice
बहुत खूब, बहुत खूब, निरन्तर बढ़ते रहिये
साहित्य एक सेवा है साधना है
आपकी लेखनी में अदभुत क्षमता है पाठक जी
सादर धन्यवाद
वाह