मुक्तक
तेरी सूरत का मैं दीवाना हूँ कबसे! तेरी बेताबी का परवाना हूँ कबसे! अंजामे-बेरूखी से बिखरी है जिन्दगी, जख्मे-तन्हाई का अफसाना हूँ कबसे! मुक्तककार- #महादेव'(24)
तेरी सूरत का मैं दीवाना हूँ कबसे! तेरी बेताबी का परवाना हूँ कबसे! अंजामे-बेरूखी से बिखरी है जिन्दगी, जख्मे-तन्हाई का अफसाना हूँ कबसे! मुक्तककार- #महादेव'(24)
मेरी बेखुदी को कोई नाम न देना! मेरी तमन्नाओं को इल्जाम न देना! बहके हुए इरादों को तड़पाना न कभी, सुलगी हुई तन्हाई की शाम…
कबसे तड़प रहा हूँ तुमको याद करते करते! कबसे तड़प रहा हूँ मैं फरियाद करते करते! बैठा हुआ हूँ मुद्दत से तेरे इंतजार में, कबसे…
कभी तो तेरे लब पर मेरा नाम आएगा! कभी तो मेरी चाहत का पैगाम आएगा! खींच लेगी तुमको कभी यादों की खूशबू, कभी तो तेरी…
खामोश नजरों के नजारे बोलते हैं! खामोश लहरों के किनारे बोलते हैं! मुश्किल है कह देना लबों से चाहत को, खामोश कदमों के इशारे बोलते…
कभी राहे-जिन्दगी में बदल न जाना तुम! कभी गैर की बाँहों में मचल न जाना तुम! सूरत बदल रही है हरपल तूफानों की, कभी हुस्न…
तेरी आरजू का कैसा ये असर है? ख्वाबों का सफर भी जैसे एक कहर है! जिन्दगी बेचैन है चाहत में हरपल, धड़कनों में शामिल यादों…
दौर-ए-सितम में सभी यार चले जाते हैं! दौरे-ए-सितम में वफादार चले जाते हैं! हर आदमी की जिन्दगी लेती है करवटें, हौसले मंजिल के बेकार चले…
तेरी जुदाई से मैं हरपल डर रहा हूँ! तेरी बेरुखी से मैं हरपल मर रहा हूँ! कबसे भटक रहा हूँ मैं तेरे ख्यालों में, शामें-मय़कशी…
तेरे लिए मैं अपना ठिकाना भूल जाता हूँ! तेरे लिए मैं अपना जमाना भूल जाता हूँ! मदहोश हो चुका हूँ तेरी चाहत में इतना, तेरे…
कई बार वक्त का मैं निशान देखता हूँ! कई बार मंजिलों का श्मशान देखता हूँ! दर्द की दहलीज पर बिखरा हूँ बार-बार, कई बार सब्र…
तुम बार बार नजरों में आया न करो! तुम बार बार मुझको तड़पाया न करो! जिन्दा है अभी जख्म गमें-बेरुखी का, तुम बार बार दर्द…
जब इरादों की तन्हा रात होती है! तेरी यादों से मुलाकात होती है! खोज लेती है नज़र हसरतें तेरी, दिल में मुरादों की सौगात होती…
बेकरारी दिल की तेरे नाम से मिलती है! रोशनी चाहत की तेरे नाम से जलती है! तेरी याद भी आती है तूफानों की तरह, साँस…
आज भी तेरे हैं तलबगार हम! हुस्न की बाँहों में गिरफ्तार हम! खौफ नहीं है हमको अंजाम का, हर जख्म़ के लिए हैं तैयार हम!…
तेरे बगैर मैं तो तन्हा जिया करता हूँ! शामों-सहर मैं तुमको याद किया करता हूँ! जिन्द़गी थक जाती है करवटों से लेकिन, नींद में भी…
तेरी ‘#आरजू हर-वक्त हमारी है! सिलसिला दर्द का आज भी जारी है! खुदकुशी ख्याल की हो रही है जबसे, मेरी मयकशी वक्त-ए-लाचारी है! #महादेव_की_कविताऐं'(21)
तेरी यादों में एक तन्हाई सी रहती है! तेरे ख्यालों में एक गहराई सी रहती है! झूमती है जब कभी जिन्द़गी मयखानों में, हुस्न की…
तेरे लिए खुद को भुलाता चला गया! तेरे लिए अश्क़ बहाता चला गया! हुयी है जब भी शाम मेरे दर्द की, शमा चाहतों की जलाता…
क्यों मेरी जिन्द़गी से दूर हो गये हो तुम? हुस्न के रंगों से मगरूर हो गये हो तुम! भूला नहीं हूँ आज भी मैं कसमों…
तुमको भूल जाने का बहाना नहीं आता! तुमसे अपने प्यार को बताना नहीं आता! बुझती नहीं है रोशनी चाहतों की लेकिन, अपने जख्मे-जिगर को दिखाना…
जब भी याद तेरी कहानी आ जाती है! जख्मों की नजर में निशानी आ जाती है! किस्तों में टूटते हैं जिन्दगी के लम्हें, अश्कों में…
क्यों तुम मेरे ख्यालों में आकर चली जाती हो? अपनी जुल्फों को बिखराकर चली जाती हो! रग रग में उमड़ आता है तूफान हुस्न का,…
कभी जिन्दगी में चाहत मर न पाएगी! कभी मंजिलों की ख्वाहिश डर न पाएगी! दौर भी कायम रहेगा खौफ का मगर, आरजू अंजाम से मुकर…
तेरे बगैर मुझको कबतक जीना होगा? जामे-अश्क मुझको कबतक पीना होगा? भटकी हुई है जिन्द़गी राहे-सफर में, जख्मे-दिल को हरपल कबतक सीना होगा? #महादेव_की_कविताऐं’
मुझको कभी मेरी तन्हाई मार डालेगी! मुझको कभी तेरी रुसवाई मार डालेगी! कैसे रोक सकूँगा मैं तूफाने-जख्म़ को? मुझको कभी बेरहम जुदाई मार डालेगी! #महादेव_की_कविताऐं’
मेरा दर्द तेरा ही नाम बोलता है! मेरी जिन्दगी का अंजाम बोलता है! बंदिशें जमाने की मगरूर हैं लेकिन, तेरी आरजू का पैगाम बोलता है!…
मेरी जिन्दगी को तन्हाई ढूँढ लेती है! मेरी हर खुशी को रुसवाई ढूँढ लेती है! ठहरी हुई हैं मंजिलें अंधेरों में कबसे, मेरे दर्द को…
मुझको याद तेरा अफसाना आ रहा है! मुझको याद चाहत का जमाना आ रहा है! जिन्द़गी में आयी है तन्हाई लौट कर, मुझको याद महफिले-पैमाना…
जब कभी तुम मेरी यादों में आते हो! धूप सा ख्यालों को हरबार जलाते हो! घुल जाती हैं साँसें फूलों के रंग में, चाँद की…
तेरा ख्याल मुझको रुलाने आ गया है! तेरा ख्याल मुझको सताने आ गया है! मांगा था तकदीर से मंजिल को लेकिन, तेरा दर्द मुझको तड़पाने…
तेरे बिना छायी हुई हरतरफ उदासी है! तेरे बिना अब भी मेरी जिन्दगी प्यासी है! उम्र थक रही है मेरी मंजिल की तलाश में, तेरे…
बिखर गये हैं ख्वाब मगर यादें रह गयी हैं! जिन्दगी में दर्द की फरियादें रह गयी हैं! साँसें भी थक गयी हैं तेरे इंतजार में,…
आज भी मुझे तेरी कमी महसूस होती है! ख्वाबों की पलकों में नमी महसूस होती है! रूठी हुई है मंजिल भी तकदीर से मेरी, दर्द…
कभी न कभी हमारा ख्वाब बदल जाता है! रूठे हुए पलों का जवाब बदल जाता है! जज्बों की आजमाइशें होंगी कभी न कम, दर्दे-जिन्दगी का…
तेरा नाम लेकर तन्हाई मिल जाती है! तेरा दर्द बनकर रुसवाई मिल जाती है! शामों-सहर भटकता हूँ मैं तेरे लिए मगर, मेरी जिन्द़गी को जुदाई…
कौन है वो शक्स जो हमारा बनेगा? बेबसी के दौर में सहारा बनेगा! बुझ न जाए तन्हा चिराग जिन्द़गी का, डूबते इरादों का किनारा बनेगा!…
तेरे लिए हरपल बेकरार सा रहता हूँ! तेरे लिए हरपल तलबगार सा रहता हूँ! गुफ्तगूँ की चाहत भी जिन्दा है लेकिन, तेरी बेरुखी से लाचार…
मेरी जिन्दगी से यादों को तुम ले लो! मेरे दर्द की फरियादों को तुम ले लो! हर घड़ी रुलाती हैं अब तेरी ख्वाहिशें, मेरे ख्यालों…
तेरा कमाल आज भी नहीं जाता! तेरे बगैर कुछ नजर नहीं आता! छायी हुई है बेखुदी ख्यालों में, तेरे सिवा कोई भी नहीं भाता! #महादेव_की_कविताऐं'(20)
मुझे चाहतों का ईनाम मिल गया है! मुझे बेरुखी का पैगाम मिल गया है! बिखरी हुई लकीरें हैं अरमानों की, दर्द का आलम सुबह शाम…
रात जाती है फिर से क्यों रात आ जाती है? धीरे—धीरे दर्द की बारात आ जाती है! भूला हुआ सा रहता हूँ चाहतों को लेकिन,…
तेरी आरजू ने यही काम किया है! मेरी जिन्द़गी को बदनाम किया है! कैसे मैं छुपाऊँ अंजाम को सबसे? दर्द ने नुमाइश तेरे नाम किया…
तुमको मैं जबसे खुदा मान बैठा हूँ! जिन्द़गी को गुमशुदा मान बैठा हूँ! खोजती हैं महफिलें जमाने की मगर, खुद को मैं सबसे जुदा मान…
मेरे दर्द का आलम गुजर गया है! तेरी बेरुखी का जख्म भर गया है! कोई नहीं है मंजिल न राह कोई, चाहतों का हर मंजर…
मुझको तेरी याद कहाँ फिर से ले आई है? हरतरफ ख्यालों में फैली हुई तन्हाई है! भटके हुए हैं लम्हें गम के अफसानों में, साँसों…
आज भी मैं तेरी राहों को देखता हूँ! बेकरार वक्त की बाँहों को देखता हूँ! जुल्मों सितम की दास्ताँ है मेरी जिन्दगी, आरजू की दिल…
साथ नहीं हो लेकिन क्यों हमसे रूठ गये हो? राह-ए-जिन्द़गी में तुम हमसे छूट गये हो! बढ़ती ही जा रही हैं अपनी दूरियाँ दिल की,…
मेरे नसीब क्यों मुझको रुलाते रहते हो? हरवक्त जिन्दगी को तुम सताते रहते हो! नाकाम हो गया हूँ मैं हालात से लेकिन, बेरहम सा बनकर…
दर्द तन्हा रातों की कहानी होते हैं! गुजरे हुए हालात की रवानी होते हैं! होते नहीं हैं रुखसत यादों के सिलसिले, दौरे-आजमाइश की निशानी होते…
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