याद रहे

पार्थ! तुम भटक रहे हो क्या? उस धर्म के मार्ग से जिस मार्ग का अनुसरण करने का पाठ आप पढ़ाते रहे हैं वनवास के समय…

ये सांप

सांप! मारना नहीं चाहिए था ये वाला वो बता रहे हैं ये पानी वाला सांप था जानता था कितने सांप, मगरमच्छ और है उस तालाब…

रिश्ता

रिश्ता तो एक ही है तुमारा और मेरा उनसे तुमारे पास जमीन है ना! और वो उसी का भाव जानते है। ~ राजू पाण्डेय

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