तेरे बिन गुजारा नहीं
रोज मिलने के वादे तोड़ते हो जो तुम बात तेरी ये मुझको गवारा नहीं। बात ही बात पे रूठते हो जो तुम जानते हो तेरे बिन गुजारा नहीं। रोज अपनी गली देखते हो मुझे आशिक हूँ तेरा पर आवारा नहीं। थोड़ा नजरें इनायत फरमाओ तुम गैर नजरों के खातिर सँवारा नहीं। मेरी एकलौती चाहत अरमान तुम डोले हर फूल “राजू” वो भंवरा नहीं।। ~राजू पाण्डेय बगोटी (चम्पावत) »