तेरे बिन गुजारा नहीं
रोज मिलने के वादे तोड़ते हो जो तुम बात तेरी ये मुझको गवारा नहीं। बात ही बात पे रूठते हो जो तुम जानते हो तेरे…
रोज मिलने के वादे तोड़ते हो जो तुम बात तेरी ये मुझको गवारा नहीं। बात ही बात पे रूठते हो जो तुम जानते हो तेरे…
टूटते क्यों नहीं सत्ता के पाषाण ह्रदय तटबंध उन आँसुओं के सैलाब से जो बहते है गुमसुम बच्चों की खाली थाली देखकर जब चीख उठते…
पार्थ! तुम भटक रहे हो क्या? उस धर्म के मार्ग से जिस मार्ग का अनुसरण करने का पाठ आप पढ़ाते रहे हैं वनवास के समय…
सांप! मारना नहीं चाहिए था ये वाला वो बता रहे हैं ये पानी वाला सांप था जानता था कितने सांप, मगरमच्छ और है उस तालाब…
रिश्ता तो एक ही है तुमारा और मेरा उनसे तुमारे पास जमीन है ना! और वो उसी का भाव जानते है। ~ राजू पाण्डेय
भीड़ है बहुत दिखता तन्हा हर इंसान हैं एक दूजे से मुँह फुलाये खड़े मकान हैं सूरज को भी जगह नहीं झांक पाने की फुर्सत…
पैर जैसे ही पड़े आंगन में बरसों बाद एक एक पाथर मचल उठा, सुबक पड़ा उसके आने के अहसास से ये तो वही पैर थे…
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