by Pragya

आज भी जिन्दा हैं बापू जी

October 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दुबले-पतले बापू जी
ऐनक पहने बापू जी
राष्ट्रपिता कहलाते सबकी
नोट पे रहते बापू जी
नमक आन्दोलन हो या फिर
असहयोग आन्दोलन हो
सबका नेतृत्व आगे बढ़कर
करते बापू जी
देश को किया आजाद और
लहराया जीत का परचम
हो कितनी भी कठिनाई पर
हर दम मुसकाते बापू जी
नहीं रहे इस दुनिया में
हम सबको छोड़ के चले गये
पर अपने कर्मों से देखो
हर भारतवासी के दिल में
आज भी जिन्दा हैं बापू जी….

by Pragya

तुम्हारा खत

October 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बार-बार वही खत खोलकर
पढ़ती हूँ मैं
कि आखिर क्या लिखा
करते थे तुम हमारे लिये
उठाकर तुम्हारा खत
सीने से लगा लेती हूँ
जब भी कभी तुम्हारी याद आती है
यूँ महसूस कर लेती हूँ
जैसे तुम ही आ गये हो
बाँहों में….

by Pragya

तेरा गुरूर

October 6, 2020 in शेर-ओ-शायरी

इरादे हम जो कर लें गर
फलक से तोड़ लें
तारे!
तो तेरा गुरूर फिर बोल
कब तलक यूं
ठहरेगा…

by Pragya

बेआबरू हो बैठे हैं

October 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

देख प्रज्ञा!
तेरी मोहब्बत में
दीवाने हो बैठे हैं
वो हँस रहे हैं मुझ पर
जो लोग सामने बैठे हैं
तुमने जो शर्माकर फेर दीं
निगाहें मुझ पर
आबरू की आरजू में
बेआबरू हो बैठे हैं…

by Pragya

आरजू

October 5, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आरजू बस तुम्हारी की मगर
अफसोस इतना है
सब कुछ हुआ हासिल
एक तुझे छोंड़कर..

by Pragya

सारा आलम भीगा-भीगा है

October 5, 2020 in शेर-ओ-शायरी

सारा आलम भीगा-भीगा है
तेरा आंचल क्यों फीका-फीका है
लगा ले मेरे प्यार का काजल
जो तेरी नजरों से भी तीखा-तीखा है…

by Pragya

रंगीन है तिरंगा

October 5, 2020 in शेर-ओ-शायरी

रंगीन है तिरंगा मेरे महबूब की तरह
बेरंग है ये दुनिया मेरे रकीब की तरह..

by Pragya

जख्म बाबस्ता है

October 5, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जख्म बाबस्ता है तुम्ही से
और तू ही है इस दिल का मरहम
बस तुझे ही मागे ये दिल
तू ही है बस मेरा हमदम

by Pragya

हमदर्द बनाया हमने..

October 5, 2020 in शेर-ओ-शायरी

तुमको हमदर्द बनाया हमने
कुछ इस तरह दिल को दर्द बनाया हमने
सालों रहे तेरी मोहब्बत में बिगड़े
संभल गये जब धोखा खाया हमने…

by Pragya

राष्ट्रपिता:-महात्मा गाँधी

October 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दुबली-पतली कद काठी थी
धोती पहनकर चलते थे
आँखों में थे अनमोल सपने
ऐनक लगाकर चलते थे
राष्ट्रपिता थे प्यारे बापू
सबकी आँख के तारे थे
अंग्रेजों के छक्के छूटे
जब वह सत्याग्रह पर
जाते थे
पूरा देश था डटा हुआ
गाँधी जी के साथ खड़ा
हल्की-सी मुस्कान से वह
दुश्मन को मार गिराते थे
ना हथियार उठाते थे
अहिंसा के पुजारी थे
जब चलते थे वह
तन कर तो
दिल दुश्मन के हिल जाते थे..

by Pragya

लैला-मजनू

October 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

लैला मजनू ने सिखाया
मोहब्बत में फना होना
वरना हम तो तेरे साथ
जीने के ख्वाब देख रहे थे
जो ख्वाब कभी पूरे हो
नहीं सकते थे
हम तुझसे जुदा रह नहीं
सकते थे
मरने की फिजूल बातों
पर ना गौर कभी किया था
तेरे साथ ही रहने को
उतावले रहते थे
पर याद आई मुझको
मजनू-लैला की जिन्दगानी
जो जी रहे थे संग में
मरने की उन्होंने ठानी
एक-दूजे के लिए ही
जी रहे थे दोनों
जिस्म तो दो थे पर
जान एक ही थी
एक की थमी साँसे तो
दूजे की धड़कन
ऐसी मिसाल से थर्राया सारा
आलम !
अब हम भी ना जियेंगे जो तुम
ना रहोगे
सारे दुःख हम सहेगे
आँसू तुम पियोगे
ना हम ही रहेंगे ना तुम ही
रहोगे
दूरियां ना सहेंगे
जन्नत में पास तुम रहोगे…

by Pragya

हीर-रांझा

October 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बंदिशें कितनी लगाई गईं
पहरे कितने दिये गए
फिर भी ना मिट सकी मोहब्बत
हीर-रांझा कितने ही चल बसे
प्रगाढ़ होती गई मोहब्बत
हद से बढ़ता गया जुनून
जितनी तकलीफें मिली
मजनुओं को सब सहते
चले गये
रात-दिन की यही हालत है
जो भी प्यार के पंछी हैं
जीते रहे मोहब्बत में
और मोहब्बत में ही मर गये…

by Pragya

खुले आसमान तले

October 5, 2020 in शेर-ओ-शायरी

खुले आसमान तले सुकून मिलता है
बंद कमरे में घुटन होती है
जब नींद के आगोश में
होता है जहान
प्रज्ञा किसी की यादों में
बहुत रोती है…

by Pragya

रातें सजाकर देख लो

October 5, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हँसते-हँसते चले जाएगे
जहान से हम
बस एक बार तुम मुस्कुरा
के मुझे देख लो
आ ही जाओगे मेरी बातों में
अपनी रातें सजाकर देख लो….

by Pragya

रातें सजाकर देख लो

October 5, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हँसते-हँसते चले जाएगे
जहान से हम
बस एक बार तुम मुस्कुरा
के मुझे देख लो
आ ही जाओगे मेरी बातों में
अपनी रातें सजाकर देख लो….

by Pragya

गुरू

October 5, 2020 in मुक्तक

सबसे खूबसूरत तोहफा है गुरू
रब से भी पाक होता है गुरू
ढूंढ लो चाहे सारी दुनिया में
ना है जहान में कोई तुम-सा गुरू

by Pragya

इबादत

October 5, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मिन्नतें खूब कर लेंगे
इबादत खूब कर लेंगे
तू एक बार तो सही
तुझे बाँहों में भर लेंगे…

by Pragya

निर्भया कितनी दफा रोई…

October 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

निर्भया कितनी दफा रोई
दरिंदों की पनाहों में
सिसकता ही रहा यौवन
वासना की बाँहों में
तब तलक रूठेगा बचपन
पूँछती है यही नारी
मरेगी कब तलक बेटी
बचेगा कब तलक अत्याचारी
पुरुष की बन के कठपुतली
नाचती क्यों है हर औरत
उसी के आँचल में है जन्नत
और कदमों तले शोहरत
उसके आगे तो ईश्वर भी
सिर झुकाता है
नारी ही जने पुरुष को
वह ये क्यों भूल जाता है
तो आखिर क्यों उसी कोख को
कलंकित करता है कोई
यही सोंचकर प्रज्ञा’ हाय !
कितनी दफा रोई..

by Pragya

आसमान अधूरा है

October 5, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आसमान अधूरा है सितारों के बिना
ये दिल अधूरा है तेरी दोस्ती के बिना

by Pragya

नारी हूँ मैं…!!

October 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

पापा की प्यारी हूँ मैं
फूलों की क्यारी हूँ मैं
पर सबसे पहले नारी हूँ मैं…

अहिल्या हूँ मैं सीता हूँ मैं
पवित्र पावन गीता हूँ मैं
कभी शेरनी तो कभी चीता हूँ मैं
पर सबसे पहले नारी हूँ मैं…

उम्मीदों का सावन हूँ मैं
नव सुतों का जीवन हूँ मैं
मनमोहिनी और मनभावन हूँ मैं
पर सबसे पहले नारी हूँ मैं…

सृष्टि की वाहक हूँ मैं
कुटुंब की संचालक हूँ मैं
दैवीय आहट हूँ मैं
पर सबसे पहले नारी हूँ मैं…

भावों की अनुपम माला हूँ मैं
कभी चंडी हूँ कभी ज्वाला हूँ मैं
प्रकृति की सुकोमल बाला हूँ मैं
पर सबसे पहले नारी हूँ मैं…

by Pragya

रात-दिन

October 4, 2020 in शेर-ओ-शायरी

उसे रूठने में एक पल भी नहीं लगा
मनाने में उसे कुर्बान
रात-दिन कर दिये हमने..

by Pragya

वो मोती

October 4, 2020 in शेर-ओ-शायरी

छलक कर आँख से आँसू
पन्नों पर बिखर गया
हर तरफ ढूंढता है दिल
वो मोती किधर गया….

by Pragya

वो मोती

October 4, 2020 in शेर-ओ-शायरी

अचरज भरा आकाश है
कहीं धूप है कहीं छांव है
आसमान की चादर में
सितारों के बूटे हैं
बादलों के घोड़े हैं
जो दौड़ते हैं इधर-उधर
जुगनू भी अपनी प्रेयसी को
ढूंढते हैं रात भर
चाँदनी है छितरी हुई
सबकी छतों पर इस तरह
रजत पिघलाकर किसी ने
फैला दिया हो जैसे हर जगह…

by Pragya

अचरज भरा आकाश

October 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

अचरज भरा आकाश है
कहीं धूप है कहीं छांव है
आसमान की चादर में
सितारों के बूटे हैं
बादलों के घोड़े हैं
जो दौड़ते हैं इधर-उधर
जुगनू भी अपनी प्रेयसी को
ढूंढते हैं रात भर
चाँदनी है छितरी हुई
सबकी छतों पर इस तरह
रजत पिघलाकर किसी ने
फैला दिया हो जैसे हर जगह…

by Pragya

‘मधुमास का आगमन’

October 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

नीले आसमान पर
सूरज की उपस्थिति
सौंदर्य की पराकाष्ठा
किरणों की लालिमा से
चमक रहा है पृथ्वी का
हर कण हर क्षण….

पत्तियों की सरसराहट से
मधुमास का सुंदर आगमन
चमन की सुगंध से
महक रहा है सारा मन-गगन…

स्थिति हृदय की आज है
मनचली तितलियों की तरह
उड़ रहें हैं पक्षी गगन में
मेरे अरमानों की तरह…!!

by Pragya

कदम

October 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

डगमगा जाते हैं कदम आजकल
एक जरा से झोंके से मगर,
एक वक्त था जब हमारे इरादे
बुलंद हुआ करते थे..

by Pragya

पारखी नजर

October 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हुनर सब में है बस तराशने की जरूरत है
हीरा बन सकता है हर पत्थर बस
पारखी नजर की जरूरत है…

by Pragya

और कुछ अधूरे ख्वाब…!!

October 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जिंदगी की आरजू में दफ्न हो गये
सुकून के कुछ पल थे और कुछ अधूरे ख्वाब !!

by Pragya

“आधुनिक पत्रकारिता”

October 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो कहते हैं बलात्कार की
घटना हमने सबसे पहले
दिखलाई है
पीड़िता के घर तक सबसे
पहले हमारी पत्रकार
पहुंच पाई है
हमने दिखलाया सबसे पहले
पीड़िता के भाई को
पीड़िता की आवाज सबसे
पहले हमने सुनवाई है
हमने कोशिश की सबसे पहले
उस परिवार से मिलने मिलने की
पीड़िता की जलती लाश
हमने सबसे पहले दिखलाई है
क्या यही है आधुनिक पत्रकारिता
शर्म नाम की चीज नहीं
आखिर हिन्दुस्तान की मीडिया
कितने निचले स्तर पर उतर
आई है…

by Pragya

लफ्ज ना हों

October 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जरा सोंच कभी हम ना हों
तेरी जिंदगी में कोई गम ना हों
कैसे कटेगा वक्त तेरा
अगर जुबां हो पर लफ्ज ना हों.

by Pragya

ख्वाबों का महल

October 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आखिर डूब ही गया
ख्वाबों का महल,
कितनी दफा रोंका था दिल ने
समुंदर पर आशियां बनाने से…

by Pragya

लकीरें वक्त की

October 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

रोज यूं ही नहीं बन जाते हैं अफसाने नये-नये
लकीरें वक्त की बनती बिगड़ती रहती हैं…

by Pragya

नफरत के ज्वार

October 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हैं कितनी कड़वाहटें मन भरी आजकल
किसी को देखकर नफरत के दिल में
ज्वार उठते हैं…

by Pragya

इस बार

September 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

इस बार अगर ठुकरा दिया तूने
तो फिर कभी लौटकर ना आएगे
चली गई साँस भी मेरी तो भी
तुझसे कंधा ना लगवाएगे….

by Pragya

मैं कविताएं नहीं लिखती

September 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मैं कविताएं नहीं लिखती
ना लिखना ही जानती हूँ
बस अपनों के दिये दर्द ही
बयां करती हूँ..

by Pragya

मरने की कगार पर

September 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मरने की कगार पर पहुँच गये हैं हम
पर लोगों ने आज भी मुझ पर
चिल्लाना नहीं छोंड़ा…

by Pragya

ईद का चाँद

September 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आँखें पथराई हैं तेरी राह देखकर
मुलाकात को बेचैन हैं इतना
पर तू तो ईद का चाँद हो गया है..

by Pragya

ख्वाहिशों की बातें

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

ख्वाहिशों की मैं बातें आजकल नहीं करती

जिंदगी को बस किश्तों में जिया करती हूँ।

by Pragya

ख्वाहिशे

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

रोती हैं ख्वाहिशे और तन्हाई मुस्कुराती है
****************************
जब कभी भी हम तुझको याद किया करते हैं।

by Pragya

रात-दिन

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

रात-दिन रहते थे हम एक-दूजे के साये में
****************************
एक-दूजे के तन से हम बदन को ढका करते थे।

by Pragya

चाँद को बेदाग

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

चाँद में दाग है ये वो बार-बार कहता था
हम चाँद को बेदाग कहा करते थे
वो मेरी हर एक बात मान जाता था
हम हर एक बात पे उससे सवाल करते थे।

by Pragya

गुरूर

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

छुप-छुप के देखती थी मुझको जब नजर उसकी
—————————————-
तब कितना खुद पे हम गुरुर किया करते थे।

by Pragya

अंदाज

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

रोज-रोज रूठती थी मैं और वह मनाता था
—————————————-
अपनी जवानी के ये अंदाज हुआ करते थे।

by Pragya

मेरी ईद

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

उसकी दीद में ही मेरी ईद हुआ करती थी
——————————————
हम कुरान उसकी इबादत में पढ़ा करते थे।

by Pragya

कल तलक फिरता था

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कल तलक फिरता था वह मेरा बनके दीवाना
हम आंखों ही आंखों में बात किया करते थे
आज बहुत दूर है वो हमसे मगर फिर भी
हम सपनों में उनसे रोज़ मिला करते हैं।

by Pragya

गुड्डी भी सुलझा लेंगे

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

नींदें हैं आजकल ना जाने क्यों रूठी हमसे
वो मिलेगा तो यह गुत्थी भी सुलझा लेंगे

by Pragya

पैर पड़ लेंगे

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

दीद हो जाएगी तो बातें चार कर लेंगे
रोना आएगा तो उसके कंधे पर सिर रख लेंगे
वह जाने लगेगा रूठ कर अगर हमसे
हम मनाने के लिए उसके पैर पड़ लेंगे।

by Pragya

हम तो सिहर जाते हैं

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

उनके आने से मेरा जहान जगमगाया था
उनके जाने के खयाल से भी पैर डगमगाते हैं,
छोड़ जायेंगे एक दिन वो मुझको तन्हा ही
यह सोचकर भी हम तो सिहर जाते हैं।

by Pragya

खेल मुकद्दर का

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

टूट कर चाहने से कुछ भी
नहीं होता है,
सब खेल मुकद्दर का होता है
ये अब समझ पा रही हूँ मैं।

by Pragya

मुनासिब

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जिसके बिन जीना एक पल भी ना मुनासिब था
++++++++++++++++++++
उसके बिना पूरी उम्र जिए जा रही हूँ मैं…

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