by Pragya

तारों की दुनिया में

December 6, 2022 in शेर-ओ-शायरी

जिंदगी भर काम आया
मेरा तमीजदार रहना
बस कुछ बदतमीजों की खातिर
हम बदजुबान हो गए।

दिन की शुरुआत ऐसा करो
जैसे ये तुम्हारा पहला प्यार हो।

जिंदगी की उलझनों ने ऐसा उलझा रखा है
फिर भी लिखने का ख्वाब पूरा ही कर लेती हूँ

तारों की दुनिया में चलो चलते हैं
जमी पर ना सही आसमां में मिलते हैं
वहां तो नहीं होगा जात पात का बंधन
चलो चले हम अपनी अधूरी मोहब्बत को
पूरा करते हैं..❤❤

by Pragya

चांद हमारी बात ना माने…

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

मोहब्बत हो गई है तुमसे
चांद हमारी बात ना माने
जुगनू, सितारे ठिठोली करते
सब हैं मेरी दुविधा जाने
पीर प्रेम में ऐसी होवे
दिल ही दिल का रोना जाने।
सब जाने सब पहचाने
बस चांद हमारी बात ना माने।

by Pragya

लेखन सम्मान

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

लिखने पर जब इतना सम्मान मिला
तो समझ आया,
हुनर बेकार नहीं जाता।
जिगर में जलाए रख गम का चिराग
सच्चा आँसू बेकार नहीं जाता।

by Pragya

संगमरमर

December 6, 2022 in शेर-ओ-शायरी

श्याम ने बंसी नहीं बजाई
राधा हो गई जब से पराई

आज एक खत लिखा
चांद को,
तुमसे भी खूबसूरत है कोई!!
❣❣❣

शिखर तक पहुंचने के लिए
गिरकर संभलना भी जरूरी है
नए आयत गढ़ने के लिए
पिघलना भी जरूरी है

तेरी यादों का मौसम
जब भी आता है
मेरे बदन को
सराबोर कर जाता है
रूह में तू शामिल है इस तरह
तू होता है आस-पास तो
दिल में गिटार सा बज जाता है

तेरे संगमरमर से बदन पे जो बूदें फिसल रही हैं
लगता है जैसे आसमां से बर्फ पिघल रही है

by Pragya

जाने कहाँ ले जा रही है जिंदगी

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

न जाने कहां ले जा रही है जिंदगी..
जाने क्या चाहती है मुझसे यह जिंदगी??

खुद को जितना गमों से दूर रखती हूं,
उतना ही गमगीन होती जा रही है जिंदगी…

खुशियों की बात तो जैसे करनी है छोड़ दी मैंने, अपनों से भी दूर ले जा रही है जिंदगी…

कभी-कभी मन करता है छोड़ दूं जिंदगी का दामन, बिल्कुल भी ना अब मुझको भा रही है जिंदगी।।।

by Pragya

ललित सरिता

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

जीवन ज्योति की एक
ललित सरिता बहे
सुंदर सुकोमल कविता बने,
हो चहुँ ओर प्रकाश फैला हुआ
मेरी लेखनी में वो बात रहे।
नहाए हुए से लगे शब्द मेरे
भाव तो जैसे खो ही गए हैं
बिछड़ गए जो वो फिर ना मिले हैं
कितनी दूरियां आ गई हैं दर्मियां
हमदर्द जो थे वो ना मिले हैं ।
तभी तो ये “जीवन डोर”🌹 संभलेगी
प्रज्ञा’ इश्वर से जा मिलेगी।

by Pragya

गुनाह

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब दिल में दर्द सा उठा
एक तीर सा चुभा,
जो कल था मेरी निगाहों से मारा गया।
आज मेरे ही दिल का कातिल बना।
वो फरेबी भी है, वो आशिक भी है,
मेरी सांसों की गर्मी में शामिल भी है।
रूह को मेरी उसने था एक दिन छुआ,
आज वो ही मेरे दिल का कातिल बना।
ये किस “गुनाह” ⚠️की मुझे मिली है सजा
जो मेरा प्रियतम ही मेरा कातिल बना।

by Pragya

हिंदी दिवस

December 6, 2022 in शेर-ओ-शायरी

यादों के भरोसे
कट रही है जिन्दगी
बाकी तो मर ही चुकी थी
प्रज्ञा’ तेरे इन्तज़ार में।

हिंदी वो भाषा है जो
हृदय की गहराईयों से
निकल कर सौंदर्य के सागर में नहाती है
और अभिव्यक्ति का उच्छ्वास करती है।

तुम हो मेरा शब्द सागर मेरे व्याकरण का अर्थ हो तुम।
मेरे जिक्र को हरगिज़ ना समझो पर मेरे मौन को समझने में समर्थ हो तुम।।

बना दी मैने भी एक दुनिया
ईश्वर से प्रेरित होकर…

ख्वाबों की दुनिया…!!

by Pragya

लक्ष्य

December 6, 2022 in Other

लक्ष्य को पाने के लिए
अर्जुन सी निगाह होनी चाहिये
मछली चाहे जितनी बड़ी ही क्यों ना हो
सिर्फ आँख पर निगाह होनी चाहिए

by Pragya

Aa jao….

December 6, 2022 in मुक्तक

अँधेरा होने से पहले आ जाओ
इतने प्यार से बुलाया है आ जाओ
जख़्म पे मरहम ना लगाओ ना सही
जख़्म को हरा करने ही आ जाओ।

by Pragya

Pragya shukla sitapur shayri

December 6, 2022 in शेर-ओ-शायरी

मोहब्बत में कितने फलसफे लिखे
मेरे खत तेरे तकिये के नीचे मिले

बुला लो अगर बुलाना है वरना आ जाओ
इस दिल में तुम्हारा ही आशियाना है..

आजाद हूँ….
अपनी मस्ती में हूँ….
तुम्हारे बिन…
मैं ज्यादा खुश हू….!!!🤣

तुम हो तो सबकुछ है…!
मेरा कल मेरा आज…!
मेरी जिन्दगी और मेरा रुआब….!

अगर अपनाना है तो अपना लो मुझे
गर गिराना है नजरों से तो बता दो मुझे
बहुत दूर चली जाऊँगी…..!!
फिर कभी ना लौट आऊंगी…!!!!

दुहाई मत दे की तू नाशाद है
मेरी ही दुआओं से तू आबाद है

जब से तेरी मोहब्बत को सीने में दबा रखा है
क्या बताऊँ मैंने अपना क्या हाल बना रखा है

by Pragya

किताबों पर पड़ी धूल

December 6, 2022 in शेर-ओ-शायरी

किताबों पे पड़ी धूल को कब से झाड़ा नहीं
मैने आँगन को भी बुहारा नहीं
बाल गंदे हो जाएँगे, रंग दब जायेगा,
इसलिये कभी किसी काम को हाथ लगाया नहीं।
🤣🤣🤣

by Pragya

प्रज्ञा शुक्ला शायरी

December 6, 2022 in शेर-ओ-शायरी

बे इन्तेहा मोहब्बत करते हैं
ये हम बहुत गलत करते हैं
तू मेरे कदमों के लायक भी नहीं और हम
तुझे सर पर बिठा कर रखते हैं..!!!

एक प्यारा सा दिल है
जिसमें कई सपने हैं
आती है मुस्कान जब
उसके पास अपने हैं

मुड़ के देखा इसलिए…
……..इन आँखों को
तुम्हारे आने का इन्तज़ार है…..!!

जब बात हो अच्छे स्वास्थ्य की……..तो बादाम नहीं
अच्छे माहौल की आवश्कता होती है।।।

जवाब के इन्तज़ार में…..जीवन बीत गया….पर कोई जवाब नहीं…।।

प्यार की तलाश में तेरे दर तक आये..
पर तुझे किसी और के साथ देखा तो….
हताश होके लौट आये…..।।

by Pragya

जवाब की खोज में

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

जवाब की खोज में
हमनें आसमान की….
……..भी छान-बीन
कर डाली…..
……….पर जब खुद को
टटोला तो……
…….हर प्रश्न पर ही
प्रश्नचिन्ह लग गया…

by Pragya

तू कांच का टुकड़ा

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

तू कांच का टुकड़ा है मैं तेरी टूटी तकदीर,
तू फटा हुआ कागज मैं नाव बदनसीब।
तू रेल सी चलती है और मैं वक्त हूँ ठहरा हुआ,
तू तीखे बोल बोलती है पर मैं कान से बहरा हुआ।
ऐ जिन्दगी! तू क्या है धूप या छांव
मैं आज तक ना समझ सका….!!

by Pragya

दिल ही जानता है

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये तो दिल ही जानता है
हम तुम बिन कैसे रहते हैं
तुम्हें किसी और के साथ देखते हैं
ये दर्द कैसे सहते हैं
दिन तो हंसी खुशी बीत जाता है
रात की खामोशी को चुपचाप सुनते हैं
मेरी सिसकियां कमरे के बाहर नहीं जाती
हम तकिए को अश्कों से भिगोते हैं

by Pragya

साथी साथ चलो मेरे

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

अकेले चलने से डर लगता है
साथी साथ चलो मेरे
मुझे अंधेरे से डर लगता है
बाहों में लेकर रोज झूमते हैं तुम्हें
तुम्हें खोने से डर लगता है
पकड़ लो मेरा हाथ और
ले चलो अपने घर
सुनसान राहों में तो डर लगता है

by Pragya

मान जाओ ना

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

बहुत हुआ रूठना
अब मान जाओ ना
यूँ दूर दूर रह कर
दिल जलाओ ना
बरसात है रुत जवाँ है
अब आ भी जाओ
यूँ मुह बना कर ना बैठो
हँस भी दो ना!!!

by Pragya

तेरी आंखें

December 6, 2022 in मुक्तक

तेरी आँखों में देखकर मैं दुनिया भूल जाता हूँ
तेरी तस्वीर को देखकर मैं बेख्याल हो जाता हूँ

by Pragya

शाम और हम

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

शाम और हम…
जब एक साथ होते हैं
क्या कहे वो पल- छिन
हम कैसे जीते हैं
याद में कट जाती है पूरी रात
और दिन तड़प तड़प के
कटते हैं।

by Pragya

भर गई समर्पण की गगरी

December 1, 2022 in अवधी

नहीं चाह रही इस जीवन की
भर गई समर्पण की गगरी
अब पछताए क्या होवे है
जो रोवे है सो खोवे है
तीर लगा इस पाथर को
पाथर में भी जान तो होवे है
अबका होगा ? अब का होई ?
यही पूँछ पूँछ हम रोवे है!

by Pragya

इतना तो मेरा हक बनता था…

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम्हें गले लगाकर रोना था
इतना तो मेरा हक बनता था।
हाथ पकड़ के कुछ दूर तक चलना था
इतना तो मेरा हक बनता था।
रुक जाते कुछ देर हम बहला लेते दिल को
देर तक निहारते तुम्हें
इतना तो मेरा हक बनता था।
ऐसी क्या जल्दी थी तुम्हें जो चाय तक ना पी!
एक कप मेरे हाथ से पीते
इतना तो मेरा हक बनता था।
रुसवा किया मुझे, रुलाया मेरी मोहब्बत को
दो आँसू तुम भी बहा लेते लिपट कर
इतना तो मेरा हक बनता था।

by Pragya

प्यार सिखाता है

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

खुद से पहले दूसरों का खयाल रखना
प्यार सिखाता है ।
इज्ज़त से पेश आना प्यार सिखाता है।
मन हो या ना हो फिर भी
दूसरों की खुशी की खातिर
खुद को कुर्बान करना
प्यार सिखाता है ।
त्याग करो प्यार करो
सबको खुश रखो
प्यार सिखाता है ।

by Pragya

मेरे पैरों तले चांद सितारे होते

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

अगर ऐसा होता कि तुम हमारे होते
मेरे पैरों तले फिर चांद सितारे होते
छू लेते हम वो आसमान भी बाँहें फैलाकर
तकदीर में लिखे जो तुम हमारे होते।

by Pragya

बेवकूफ थे वह लोग

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

जरूरत से ज्यादा तुझसे प्यार करते थे
बेवकूफ थे वो लोग जो तुझसे प्यार करते थे
क्या है तुझमे!! और क्या खास है तू??
जो बेफ़िजूल में लोग अपना वक्त बर्बाद करते थे।

by Pragya

मुक्तक

November 24, 2022 in मुक्तक

1 मेरे दिल से खिलवाड़ ना कर..
मैं तूफान का जलजला हूँ मुझसे प्यार ना कर..

2 बढ़ती उम्र के साथ जिद समझौतों में बदल जाती है

3 इस चेहरे से

तुमको प्यार नहीं है…!!!!

तुम्हारा दिमाग तो

खराब नहीं है…

🤣🤣🤣

4 तड़पा तड़पा के मार देती है जिन्दगी कोई सुराग नहीं छोड़ती..!!

5 जब नहीं थी जरुरत तो ना ही करते
प्यार था कोई व्यापार नहीं…!!

by Pragya

मोहब्बत की इबारत

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

मोहब्बत की इबादत मैने हर बार की है
कभी कभी प्यार में तकरार भी की है
मिलो अगर कभी तन्हा तो बता देंगे तुम्हें,
प्रज्ञा’ ने मोहब्बत में जान की भी ना परवाह की है।

by Pragya

इतनी ना करो मोहब्बत

November 24, 2022 in शेर-ओ-शायरी

मोहब्बत इतनी ना करो कि पागल हो जाओ
इस नूरानी चेहरे के अलावा भी मेरे और रूप हैं।।

by Pragya

तन्हा कर देती हैं यादें

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

लोगों की भीड़ मुझे कब पसंद आई है
भर आई आँख मेरी जब तेरी याद आई है
तन्हा कर देती हैं यादें” मुझे फिर मैं क्या करूँ !
देख सब छोड़ कर तेरी राधा लौट आई है

by Pragya

कलम की आहत5

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

बंद कलम की आहट भी
…..आजकल
सुन लेती हूँ….
…….जब से सिर्फ
खुद से…..
मोहब्बत कर
….. बैठी हूँ!!!
❤❤

by Pragya

पत्तों पर मोहब्बत

November 24, 2022 in शेर-ओ-शायरी

एक अर्से से…
सम्भाल रखा है…
….इन पत्तों को क्योंकि
…..इसी पर तुमने
मोहब्बत लिखी थी…!!!

by Pragya

लाज

November 24, 2022 in शेर-ओ-शायरी

तुमने कहा-
….मेरी इबादत करोगे
लाज आ गई !!!!
तुम्हारी बात सुनकर…..😊

by Pragya

मेहंदी

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरे नाम की मेहंदी
लगा रखी है।
तुझसे मिलने की बेचैनी
दिल में छुपा रखी है।
आओगे तो घूंघट ना खोलूंगी
दरबान बना करके मैने
कमरे में लाज बिठा रखी है।।

by Pragya

राधा और कृष्ण

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं राधा तू कृष्ण बन जा
हर नब्ज में लहू बन के रम जा।
उदास राहों में भी पुष्प बिछा दूँगी मैं !
अगर तू मेरे जैसा थोड़ा-सा भी बन जा।

by Pragya

(शायरी)

November 24, 2022 in शेर-ओ-शायरी

1)
क्यों मजबूर हुए हम ये कभी सोंचा है??
मेरा गुरूर तो तुम्हें दिखता है
वक्त मिले तो कभी सोंचना जरूर !
ये मासूम सा चेहरा इतना उदास क्यों रहता है

2) Attitude’ है मुझमें तो क्यों जलते हो।
इसी हुस्न पर तुम भी तो मरते हो।।

by Pragya

अभिमान

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

इतना घमंड क्यों भरा है इन्सान में
मत जियो अभिमान’ में।
नफरत की बेल इतनी क्यों चढ़ा रखी है
कांटों की सेज क्यों बिछा रखी है
प्रेम के दीपक का तेल क्यों कम हो गया है
स्वाभिमान का कागज भी नम हो गया है।
अभिमान ही अभिमान भरा है
पैसे का रुआब पर्वत चढ़ा है।
चंद टुकड़ो की खातिर बिक रहा ईमान है
कितना औपचारिक हो गया इन्सान है।

by Pragya

चांद की गोद में

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये वादियां ये फिजाएं क्यों बुलाती हैं मुझे
जाने क्यों इतनी मोहब्बत जताती हैं मुझे।

इन फिजाओं में लिपटी हुई मोहब्बत है
मेरी दुआओं में फैला हुआ बस तेरा हक है।

वफा की राह में घायल हुई दीवानी हूँ।
इन पर्वतों में लिखी हुई कहानी हूँ।

चांद की गोद में लग रहा है मैं बैठी हूँ।
सितारों से मांग अपनी मैं सजा बैठी हूँ।

by Pragya

दुनिया पर गौर

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब दुनिया पर गौर करो
तो अपना अस्तित्व नजर आता है
भूल हो जाए तो हर शख्स रूठ जाता है
अच्छाई कहाँ याद रहती है किसी को
एक गलती से रिश्ता भी टूट जाता है
ओ मेरे व्यक्तित्व पर सवाल उठाने वालों !
प्रज्ञा’ का तो चाहने वाला भी अनमोल हो जाता है
जो मेरी गली आता है !!!!!
वो फिर सब कुछ भूल जाता है !!!!!!

by Pragya

चादर

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

सपनों की धूप में
हम अपनी चादर सुखा रहे थे
तेरे दिखाये हुए रास्ते में हम
फूल बिछा रहे थे
तेरी बेचैनी बढ़ गई थी कितनी
जब हम मोतियों से बाल सजा रहे थे
उतार के फेंक दी मैने वो पायल
जो तुम सौतन के पैरों से उतार कर ला रहे थे
मुझे तो पहचानने तक से इनकार
कर दिया तुमने और हम
तुम्हें जान से भी ज्यादा चाह रहे थे
एक बूँद ही बरसा दी होती प्यार की हम पर
हम बेवजह ही अश्कों से तकिया भिगा रहे थे।

by Pragya

शबनम

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

सबसे छुपा कर रखा है तुझको
तू किसी और का ना हो जाये डर लगता है मुझको
धूप की चादर हो चाहे शबनम की फुहार
जान से ज्यादा चाहेंगे तुझको।

by Pragya

शिकायत

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

शिकायतों के पुलिंदे…….
……….अगर खोलना चाहोगे ?

उस हुजूम में ………..
…….सबसे आगे मुझको पाओगे

by Pragya

शायरी ।।।

November 24, 2022 in शेर-ओ-शायरी

Mera guroor hi tod diya tumne…
Kitna naaaz tha tum par….😞

आओ लौट चले पुराने कल में, कोई बाधा ना हो जीवन में……

by Pragya

शायरी।।

November 24, 2022 in शेर-ओ-शायरी

इन नशीले नैनों से सम्मोहित करके
कत्ल कितनों के किए होंगे तुमनें….

हादसों का शिकार हो गया
मेरा प्यार भी किसी और का हो गया

by Pragya

रूठे रूठे से हुजूर

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

रुठे रुठे से हुजूर नजर आ रहे हैं
हमें बेवफा बताकर शायद किसी के घर जा रहे हैं
कानों की बाली खो गई है उनकी या
किसी को निशानी में देके आ रहे हैं
सुर्ख लाल जोड़ा पहन रखा है उन्होंने
हवाओं में जुल्फ़ों को लहरा रहे हैं
ये सब इन्तजाम वो फिर से कर रहे हैं
मोहब्बत हो गई है किसी से या हमको जला रहे हैं
कितने नादान हैं वो रब ही जानें !
हैं हमसे ही खफा! और भरी महफिल में हमको ही
देखे जा रहे हैं।।

by Pragya

दिलनशीं शाम के सवेरे

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

मानवीय अलंकार से सुसज्जित:-

दिलनशी शाम के सवेरे हैं
वायु में मद घुली हुई है
शहर का कोलाहल शांत
है देखो !
शबनम भी नहा रही है
चलो घूम लें थोड़ी देर छत पर
रूह की तरंगों से
आओ छू ले एक दूजे को
फटी हुई हृदय की शिराओं को
एक सूत्र में बांध लें आओ
तुम वहां से चांद को देखो
कुछ इस तरह से के मुझको भी नजर आओ!!!

by Pragya

रोको मत

November 24, 2022 in शेर-ओ-शायरी

मत रोको !!!!
जाने वाले को जाने दो 🤗
उसको भी अपनी औकात समझ में आ जाएगी।❣
लौट के फिर वो आएगा आपके पास….
….जब सारी दुनिया उसको ठुकराएगी। ❤

by Pragya

Khayal

November 24, 2022 in मुक्तक

उसके होंठों को जब तुमने प्यार से चूमा होगा । ❤
खयाल एक पल को मेरा भी तो आया होगा । ❤

by Pragya

तू जिन्दाबाद रहे

November 17, 2022 in शेर-ओ-शायरी

तू जहाँ रहे आबाद रहे जिए यूँ ही मुस्कुराकर
आसमान में ज्यों सूरज वैसे ही तेरी शक्सियत
जिन्दाबाद रहे।।

🙏🙏🙏🙏

by Pragya

तुम्हारी शान में

November 17, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम्हारी शान में जो लफ्ज निकले गजल बन जाये।
तेरे अधरों से निकला अल्फ़ाज ही कुरान बन जाये
नसीहत तुझको क्या देगा कोई ऐसी किसकी जुर्रत!
तू जो एक बार कह दे बस वही पहचान हो जाये।

😍😍😍✍️✍️😍😍😍

by Pragya

जख़्म

November 17, 2022 in शेर-ओ-शायरी

जख्म खाए हुए बैठा हूँ
रोता हूँ दिल में और हँसता हूँ

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