कविता हो मेरी पूरी

मेरे गम में तुम शामिल ,
मेरी खुशियों में भी शामिल
आपके साझे के बिन ,
खुशियां है मेरी अधूरी
मेरी खुशियों में शामिल हो
खुशियां कर दी मेरी पूरी
हम जानते हैं ये भी ,
हम मानते हैं ये भी
बहुत ममता है भरी
आपके हृदय में हमारे लिए
आपके गुनगुनाने से,
कविता हो मेरी पूरी..

*****✍️गीता*****

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Responses

  1. प्रस्तुत कविता जीवनगत सूक्ष्म अनुभूति पर आधारित है। अपनी खुशी और गम में साथ देने वाले सहयोगी के महत्त्व पर प्रकाश डालने की एक कोशिश है यह कविता। इस कविता में उपस्थित ‘मैं’ के द्वारा सुख-दुख की जीवनानुभूतियों में साथ देने वाले सहयोगी के प्रति स्नेह व्यक्त करने की कोशिश की गई हैं। भाव प्रधान कृति में जीवन मे प्रचलित सरल भाषा है और सुंदर लयबद्धता है। सुन्दर रचना

    1. इतनी सुन्दर समीक्षा हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद सतीश जी ।
      कविता के भाव की गहराई तक पहुंचने के लिए आपका बहुत बहुत आभार सर 🙏

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