जग

जी ले जीवन ऐ मनवा,
ये जग तो रैन बसेरा

न हो बंधन न हो मुक्ति,
नित रहे प्रिय का पहरा

जी ले जीवन ऐ मनवा,
ये जग तो रैन बसेरा

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

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