Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन
संगीत सहित हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन काटो भव-बंधन मेरे हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन काटो भव-बंधन मेरे राम तुम्हीं हो भव-भय हरन वाले — 2 बार…
तुमसे हैं सब एहसास मेरे
कभी समय की ठोकर से, यदि हिल जाएँ विश्वास मेरे कभी जो तुमसे कहने को यदि, शब्द नहीं हों पास मेरे कभी तुम्हारी अभिलाषाएं,.. यदि…
ओडिशा यात्रा -सुखमंगल सिंह
यात्रायें सतयुग के सामान होती हैं और चलना जीवन है अतएव देशाटन के निमित्त यात्रा महत्वपूर्ण है | मानव को संसार बंधन से छुटकारा पाने…
नाम सुमिरन का बल बड़ा तगड़ा है
घर से तू बाहर न निकलो जनाब हर गली में कोरोना का पहरा है। हाथ धोओ रे साबुन से बारम्बार हर गली में कोरोना का…
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