Categories: शेर-ओ-शायरी
Tags: #shayri

UE Vijay Sharma
Poet, Film Screenplay Writer, Storyteller, Song Lyricist, Fiction Writer, Painter - Oil On Canvas, Management Writer, Engineer
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एक ऐसी ईद भी आई एक ऐसी नवरात गई जब न मंदिरों में घंटे बजे न मस्जिदों में चहल कदमी हुई बाँध रखा था हमने…
खता
लम्हों ने खता की है सजा हमको मिल रही है ये मौसम की बेरुखी है खिजां हमको मिल रही है सोचा था लौटकर फिर ना…
ख़ता दर ख़ता
सोच कर यह , ख़ता दर ख़ता किए जा रहे हम , प्यार में तो वोह मिलने से गए , सजा देने ही शायद आ…
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जिक्र करता हूँ बस हिज़्र1 का, ऐसी बात नहीं, कभी वस्ल2 का कुछ न कहा, ऐसी बात नहीं। ठहरे हुए हैं कई ख़्याल, आकर ज़ेहन3…
मन हमारे आजकल अपनेपन की परिभाषाये
मन हमारे आजकल अपनेपन की परिभाषाये बदल रहे हैं,, सारे प्यारे दोस्त हमारे,, अब भीड़ सामान ही लग रहे हैं,, पराई नगरी में भी अकसर…
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