ऐ ज़िन्दगी तेरा शुक्रिया
ऐ ज़िन्दगी तेरा शुक्रिया
ज़िन्दगी तूने जो दिया,
उसके लिए तेरा शुक्रिया
कल कहने का वक्त मिले ना मिले,
जो भी तूने मेरे लिए किया
उसके लिए तेरा शुक्रिया
बचपन में ऐ ज़िन्दगी तूने ख़ूब हंसाया मुझे,
जवानी में मेहनत करना सिखाया मुझे
मेहनत से जो मिला ,
उसके लिए भी तेरा शुक्रिया
ऐ जिंदगी तेरा शुक्रिया
किसी के काम आ सकूं मैं कभी,
तूने ही सिखाया है ऐ जिंदगी
तेरी सीख के लिए तेरा शुक्रिया,
ऐ ज़िन्दगी तेरा शुक्रिया
चलते चलते कभी गिरी,
गिरते-गिरते कभी उठी
संभालने के लिए तेरा शुक्रिया,
ऐ ज़िन्दगी तेरा शुक्रिया
आगे भी साथ देना यूं ही
थामे रहना मेरा हाथ यूं ही
करती रहूं मैं तेरा शुक्रिया,
ऐ ज़िन्दगी तेरा शुक्रिया
____✍️गीता
बहुत खूब, अति उत्तम
बहुत-बहुत धन्यवाद कमला जी
कवि गीता जी आपकी यह कविता जीवन की सुरम्यता से जुड़ी खूबसूरत कविता है। कविता में स्वकीयता के साथ परकीयता का भाव है। न दुष्कर भाव है और न शब्दों का आडंबर है, बल्कि बहुत ही खूबसूरत तरीक़े से जिंदगी पर प्रकाश डाला है। कविता में लिखी मन की बात सीधे पाठक मन से जुड़ने में सक्षम है। कविता में संवेदनशीलता के साथ सशक्त भाषा के ज़रिए प्रभावशाली ढंग प्रस्तुति दी गई हैं।
कविता की इतनी उच्च स्तरीय समीक्षा हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी ।आप की समीक्षाएं मेरा प्रेरणा स्रोत हैं सर । इतनी सुन्दर समीक्षा के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया
काबिल- ए-तारीफ़
शुक्रिया भाई जी 🙏
बहुत उम्दा
बहुत बहुत धन्यवाद ऋषि जी