जज्बा जो जगा है ज़हन में
जज्बा जो जगा है ज़हन में,
कुछ पाने का,
उसे कैंसर से कम ना समझना,
उबल रहा है हौसला,
फौलाद-सा,
कभी गलती से पस्त ना समझना।
जज्बा जो जगा है ज़हन में,
कुछ पाने का,
उसे कैंसर से कम ना समझना,
उबल रहा है हौसला,
फौलाद-सा,
कभी गलती से पस्त ना समझना।
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Very nice pratima ji
धन्यवाद जी
बहुत ही सुन्दर भाव है।
धन्यवाद सर
अतिसुंदर
धन्यवाद सर
नए नए प्रतीक एवं उपमानों का प्रयोग करना, श्रेष्ठ काव्य सर्जन की पहचान होती है
आपने कैंसर उपमान का बहुत ही सटीक प्रयोग किया है ऐसा जज्बा जो कैंसर की तरह कभी खत्म नहीं होता है बहुत ही तारीफ के काबिल रचना
काव्य के अंदर से उसकी आत्मा को निकालकर बयां करना आपको बहुत अच्छे से आता है आपकी समीक्षा को सलाम
बेहतरीन प्रस्तुति
धन्यवाद सर