जज्बा जो जगा है ज़हन में

जज्बा जो जगा है ज़हन में,
कुछ पाने का,
उसे कैंसर से कम ना समझना,
उबल रहा है हौसला,
फौलाद-सा,
कभी गलती से पस्त ना समझना।

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

कविता : हौसला

हौसला निशीथ में व्योम का विस्तार है हौसला विहान में बाल रवि का भास है नाउम्मीदी में है हौसला खिलती हुई एक कली हौसला ही…

Responses

  1. नए नए प्रतीक एवं उपमानों का प्रयोग करना, श्रेष्ठ काव्य सर्जन की पहचान होती है
    आपने कैंसर उपमान का बहुत ही सटीक प्रयोग किया है ऐसा जज्बा जो कैंसर की तरह कभी खत्म नहीं होता है बहुत ही तारीफ के काबिल रचना

New Report

Close