दान-धरम में खर्च
बिल्कुल देर न कीजिये,
भले काम में आप।
होता जायेगा भला,
खुद का अपने आप।।
गणना करते ही रहा,
पूँजी की दिन-रात।
उम्र बिता दी धन कमा,
समझ न आई बात।।
यहीं रह गया सब जमा
जान न पाया राज।
जाना है सबको भले
जाये कल या आज।।
थोड़ा सा हो जाय गर
दान-धरम में खर्च,
उत्तम है यह कार्य तुम
करो कहीं भी सर्च।
वाह वाह क्या बात है अतिसुंदर रचना
सादर धन्यवाद शास्त्री जी
विचारणीय पंक्तियाँ
सरल शब्दों में अत्यंत सुंदर भाव
मजा आ गया 😊
बहुत बहुत धन्यवाद
कवि सतीश जी द्वारा रचित अति उत्तम रचना , गागर में सागर भर दिया है कवि ने…. बहुत खूब
बहुत सुंदर रचना